BHOPAL. शुक्रवार का दिन भी गजब संयोग लेकर आया। शुक्रवार को शिवरात्रि भी और शक्ति का दिन भी। शक्ति यानी कि महिलाएं और महिला दिवस। आपको ऐसी खबर सुनाता हूं कि शक्ति का ये दिन और खास बन जाए। खबर जुड़ी है मध्यप्रदेश की उन लोकसभा सीटों से जिन पर बीजेपी (BJP) ने अब तक कोई प्रत्याशी नहीं उतारा है। अब यहां शक्ति के जरिए ही शक्ति प्रदर्शन की भी तैयारी है। आसान भाषा में कहूं तो इन पांच सीटों पर बीजेपी महिला प्रत्याशियों को तवज्जो दे सकती है। इसके दो बड़े कारण है। पहला कारण तो कांग्रेस है और दूसरा बड़ा कारण है महिला वोटर्स। अब ये कारण बीजेपी की सोच या फैसले को कैसे प्रभावित कर सकते हैं ये भी बताता हूं।
संभव है 4 सीटों पर महिला प्रत्याशी को मैदान में उतार दे
सबसे पहले बात करते हैं कांग्रेस की। जो लोकसभा सीटों का ऐलान होते ही मोदी की गारंटी को सवालों के घेरे में ले रही है। असल में बीजेपी ने पहली सूची में मध्यप्रदेश में चार महिला प्रत्याशी उतारे हैं। भिंड से संध्या राय, सागर से लता वानखेड़े, रतलाम से अनिता नागर सिंह चौहान, शहडोल से हिमाद्री सिंह को लोकसभा चुनाव का टिकट मिला है। इस ऐलान के बाद कांग्रेस ने महिला आरक्षण की मंशा के जरिए मोदी की गारंटी पर निशाना साधा है। कहा है कि अगर नारी शक्ति वंदन बिल पर वाकई अमल करना है तो बची हुई सीटों पर महिला उम्मीदवारों को ही टिकट मिलना चाहिए। जिन पांच सीटों के टिकट होल्ड पर हैं वहां चार पर तो ये संभव भी है कि बीजेपी महिला प्रत्याशी को ही चुनावी मैदान में उतार दे।
सीट दर सीट देखें तो...
- इंदौर की सिसायत में पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन और कैलाश विजयवर्गीय बड़ा फैक्टर है। यहां पर इन दोनों की सहमति से फैसला होना है। यहां पर सांसद शंकर लालवानी, भाजपा प्रवक्ता डॉ. दिव्या गुप्ता और भाजपा उपाध्यक्ष जीतू जिराती की दावेदारी है। पहली सूची में नाम न आने के चलते माना जा रहा है कि शंकर लालवानी का टिकट रिपीट नहीं होगा। ऐसे में दिव्या गुप्ता भी मजबूत दावेदार हैं।
- बात करें धार की तो इस सीट पर भाजपा को नए चेहरे की तलाश है। 2023 विधानसभा चुनाव में धार संसदीय सीट पर वोट प्रतिशत में कांग्रेस को बढ़त मिली थी। यहां पर सुमेर सिंह सोलंकी का नाम चर्चा में है। इसके अलावा मुकाम सिंह और रंजना बघेल भी दावेदार हैं।
- उज्जैन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का गृह नगर है। यहां पर पार्टी उनकी पसंद को महत्व दे सकती है। इस सीट पर वर्तमान सांसद का टिकट खतरे में बताया जा रहा है। यहां से पूर्व महापौर मीना जोनवाल, संघ से जुड़ी रानी जाटव की मजबूत दावेदारी बताई जा रही है।
- बालाघाट पर स्थानीय नेताओं की खींचतान के कारण नाम तय नहीं हो पाए। यहां से भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष वैभव पवार, सांसद ढाल सिंह बिसेन, पूर्व मंत्री गौरी शंकर बिसेन की बेटी मौसम बिसेन भी दावेदार है। गौरी शंकर बिसेन विधानसभा का चुनाव हार गए है। हालांकि, संगठन युवा चेहरे के रूप में वैभव पवार को प्रत्याशी बनाने के समर्थन में है।
- सबसे बड़ा पेंच फंसा है छिंदवाड़ा सीट पर ही। इस सीट पर बीजेपी महिला या पुरुष प्रत्याशी वाला चांस शायद ही ले। इस सीट पर बस एक ही डिमांड है। एक ऐसा प्रत्याशी जो नाथ परिवार के दबदबे को दरकिनार कर जीत दिला सके और छिंदवाड़ा की सीट बीजेपी की झोली में डाल सके।
महिला आरक्षण बिल के अनुसार बीजेपी टिकट देगी इस पर सबकी नजर
महिला प्रत्याशियों पर खास जोर इसलिए है क्योंकि इस बार बीजेपी खुद सदन में महिला आरक्षण के मुद्दे को उठा चुकी है और बिल भी ला चुकी है। अब उस बिल के अनुसार वो टिकट देती है या नहीं इस पर सबकी नजरें टिकी हैं। साल 2023 में संसद ने महिलाओं की संसदीय प्रक्रिया में भागीदारी बढ़ाने के लिए दोनों सदनों में महिला आरक्षण बिल पास किया था। हालांकि, बिल के हिसाब से पहले परीसीमन होगा और परीसीमन के लिए जनगणना के आंकड़े आने जरूरी हैं। इसके बाद ही 2029 तक महिलाओं को संसद में 33 फीसदी आरक्षण दिया जा सकेगा। महिलाओं को यह आरक्षण फिलहाल पहले 15 साल के लिए दिया जाएगा। 15 साल बाद महिलाओं का आरक्षण बरकरार रखने के लिए संसद को दोबारा कानून को मंजूरी देनी होगी। चूंकि बीजेपी इस की पहल कर चुकी है। इसलिए कांग्रेस 33 फीसदी आरक्षण पर जोर दे रही है।
दोनों ही दलों में महिलाओं के लिए ढेरों योजनाओं का ऐलान
ये तो हुई महिला प्रत्याशियों की बात जिसका दबाव कांग्रेस ने बनाना शुरू किया है। अब बात करते हैं महिला मतदाताओं की। जिन्होंने 2023 के विधानसभा चुनाव के नतीजे ही पलट कर रख दिए। ये बदलाव तब दिखा जब प्रदेश में दोनों ही दलों में महिलाओं के लिए ढेरों योजनाओं का ऐलान किया। इसके बाद महिला मतदाताओं ने बड़ी संख्या में मतदान किया। जिसके चलते उनकी ताकत को दरकिनार नहीं किया जा सकता है। चुनाव आयोग के अनुसार 2018 में 75.6 फीसदी तो 2023 में 77.2 फीसदी वोटिंग हुई। जबकि महिलाओं ने 76.03 फीसदी वोटिंग की। जो पिछले चुनाव के मुकाबले दो फीसदी ज्यादा थी।
महिलाओं की बढ़ती ताकत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता
प्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो 1000 पुरुषों पर महिला वोटरों की संख्या 917 थी। वहीं, 2023 में ये बढ़कर 945 हो गया है। इसमें 3.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 2023 में 34 विधानसभा सीटें ऐसी रहीं जहां पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने ज्यादा वोटिंग की। इसके साथ ही 2018 में कुल 10 विधानसभा सीटें ऐसी थीं, जहां महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से अधिक थी। 2023 में 29 विधानसभा सीटें ऐसी हो गई हैं, जहां महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से अधिक है। चुनाव जीतना है तो महिला मतदाताओं की बढ़ती ताकत को नजरअंदाज किया ही नहीं जा सकता। यही वजह है कि महिला दिवस पर ही पीएम मोदी ने सिलेंडर सौ रु. सस्ता करने की सौगात दी है और दिल्ली में सीएम अरविंद केजरीवाल महिलाओं के हक की बातें कर रहे हैं।
महिला वोटर्स विधानसभा चुनाव जैसा इतिहास रच सकती हैं
चुनावी सोच ये है कि महिलाओं से जुड़ी योजनाओं के साथ जब सामने महिला उम्मीदवार ही मौजूद होगी। तो महिला वोटर्स ज्यादा उत्साह से वोटिंग करने निकलेंगी। जो इतिहास महिला वोटर्स ने इस बार विधानसभा चुनाव में रचा है वही लोकसभा चुनाव में भी रच सकती हैं। उनकी ताकत को देखते हुए महिला प्रत्याशियों को मैदान में उतारना गेमचेंजर साबित हो सकता है।