जबलपुर में नवरात्रि पर्व के दौरान पश्चिमी सभ्यता वाले कपड़ों को लेकर जबलपुर में हिन्दू सेवा परिषद ने शहर के मंदिरों में पोस्टर लगाए हैं। परिषद ने मंदिरों और गरबा पंडालों में कटी फटी जींस,मिनी स्कर्ट, हाफ पैंट जैसे कपड़े पहनकर आने वालों के लिए प्रवेश पर रोक लगा दी है। परिषद ने शहर के प्रमुख मंदिरों और गरबा पंडालों में पोस्टर लगाकर यह निर्देश जारी किए हैं।
पोस्टरों में दी गई स्पष्ट गाइडलाइंस
हिन्दू सेवा परिषद द्वारा लगाए गए पोस्टरों में लिखा है कि मंदिरों में मर्यादित और भारतीय सभ्यता के अनुरूप कपड़े पहनकर ही प्रवेश किया जाए। पोस्टरों में खासतौर पर महिलाओं के लिए साड़ी और सलवार सूट को पहनने को कहा गया है, जबकि पुरुषों से अपेक्षा की गई है कि वे सभ्य वस्त्र धारण करें। छोटे कपड़े, कटी-फटी जींस, हाफ पैंट और अन्य अभद्र वस्त्रों को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है।
कार्यकर्ता होंगे तैनात
परिषद ने नवरात्रि के दौरान मंदिरों में अपने कार्यकर्ताओं की भी तैनाती की है, जो इस बात का ध्यान रखेंगे कि कोई व्यक्ति गाइडलाइंस का उल्लंघन न करे। अगर किसी ने जबरन इन नियमों का उल्लंघन किया, तो उसके खिलाफ सख्त कदम उठाने की चेतावनी भी दी गई है। हिन्दू सेवा परिषद के महानगर अध्यक्ष अतुल जैसवानी का कहना है कि यह कदम भारतीय सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए उठाया गया है। उनका मानना है कि पश्चिमी पहनावे का प्रचार-प्रसार भारतीय संस्कृति को नष्ट करने का एक हिस्सा है, जिसे रोकना आवश्यक है। जैसवानी ने कहा, "हम नवरात्रि में भारतीय सभ्यता और संस्कृति की हर स्तर पर रक्षा करेंगे। पश्चिमी सभ्यता के अनुकरण को बढ़ावा देने वाले कपड़ों को हम मंदिरों और गरबा पंडालों में किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेंगे।"
गरबा पंडालों में भी सख्त निर्देश
मंदिरों के साथ-साथ गरबा पंडालों में भी कटी फटी जींस, हाफ पैंट, मिनी स्कर्ट और अन्य पश्चिमी कपड़ों पर रोक लगाई गई है। परिषद ने सभी गरबा आयोजकों से अनुरोध किया है कि वे इन कपड़ों में आने वाले किसी भी व्यक्ति को पंडाल में प्रवेश न दें।
हिंदू संगठन ने दी विरोध की चेतावनी
परिषद ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर कोई महिला या युवती पश्चिमी कपड़ों में मंदिर या गरबा पंडाल में प्रवेश करने का प्रयास करती है, तो उसका खुलकर विरोध किया जाएगा। यह कदम महिलाओं और युवतियों के पहनावे को नियंत्रित करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, जिसे लेकर विभिन्न पक्षों की प्रतिक्रिया आने की संभावना है।
शहर में पोस्टरों को लेकर लोगों के हैं अलग-अलग मत
हिन्दू सेवा परिषद के इस फैसले को लेकर शहर में चर्चाओं का दौर भी शुरू हो गया है। जहां एक वर्ग इस कदम को भारतीय संस्कृति के संरक्षण के रूप में देख रहा है, वहीं कुछ लोग इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर अंकुश के रूप में मानते हैं। नवरात्रि के पहले दिन से ही शहर के करीब दो दर्जन मंदिरों में यह पोस्टर लगाए गए हैं, और यह सिलसिला आगामी दिनों में भी जारी रहेगा।
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