100 टायरों वाले ट्रक पर सवार होकर दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग पंहुचा सागर, भक्तों का लगा तांता

तमिलनाडु से बिहार जा रहा दुनिया का सबसे विशाल शिवलिंग 100 टायरों वाले विशेष ट्रक से एमपी के सागर जिले पहुंचा। इसे देखने भारी भीड़ उमड़ पड़ी। 210 टन वजनी और 33 फीट ऊंचे इस शिवलिंग को 10 साल की मेहनत से तैयार किया गया है।

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Kaushiki
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दुनिया का सबसे बड़ा और भव्य शिवलिंग सोमवार को सागर जिले की सीमा में आया। यह विशाल शिवलिंग सिवनी से होते हुए नेशनल हाईवे 44 के रास्ते देवरी और महाराजपुर पहुंचा। जब ये पावन काफिला वहां से गुजरा तो भक्तों की भारी भीड़ दर्शन को उमड़ पड़ी।

श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा और जयकारों के साथ इस अद्भुत शिवलिंग का भव्य स्वागत किया है। देर रात यह काफिला कंटनी मंदिर के पास सुरक्षित तरीके से विश्राम के लिए ठहरा।

सागर पहुंचा दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग : 100 टायरों वाले विशेष ट्रक ने 1  महीने में तय की 1593 किमी की दूरी #Sagar #WorldBiggestShivling  #PeoplesUpdate पढ़ें पूरी ...

100 टायरों वाले विशेष ट्रक पर सवार है शिवलिंग

इस विशेष शिवलिंग का कुल वजन लगभग 2 लाख 10 हजार किलो बताया जा रहा है। इतने भारी वजन को ढोने के लिए 100 टायरों वाले विशेष ट्रक का उपयोग किया गया  है। अधिक वजन होने के कारण ट्रक की रफ्तार मात्र 5 किलोमीटर प्रति घंटा रखी गई है।

ट्रक ड्राइवर बताते हैं कि पुल और पुलियों को पार करना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी है। सुरक्षा कारणों से बहुत ही धीमी और नियंत्रित गति से यह यात्रा आगे बढ़ रही है।

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तमिलनाडु से बिहार तक का सफर

ये पावन धार्मिक यात्रा 21 नवंबर को तमिलनाडु के महाबलीपुरम शहर से शरू हुई थी। अब तक इस ट्रक ने लगभग 1593 किलोमीटर की लंबी दूरी तय कर ली है। इस विशाल शिवलिंग को बिहार राज्य के चंपारण जिले में स्थापित किया जाना तय है।

अपने लक्ष्य तक पहुंचने में अभी भी इसे करीब 20 दिनों का समय और लगने की संभावना है। पूरे रास्ते में लोग सड़क किनारे खड़े होकर इस दिव्य संरचना की झलक पा रहे हैं।

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शिवलिंग को बनाने में लगे 10 साल

दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग को बनाने में कारीगरों को करीब 10 साल का समय लगा है। इसकी ऊंचाई और गोलाई दोनों ही 33-33 फीट के विशाल आकार में तैयार की गई हैं।

निर्माण की शुरुआत में लगभग 250 मैट्रिक टन का विशाल ग्रेनाइट पत्थर चुना गया था। सूक्ष्म नक्काशी और लगातार पॉलिशिंग के बाद अब इसका वजन 210 टन रह गया है। इस भव्य धार्मिक संरचना को बनाने में लगभग 3 करोड़ रुपए की लागत आई है।

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