World Milk Day : सांची को विश्व स्तरीय ब्रांड बनाने में मदद करेगा अमूल

सांची दूध को अमूल डेयरी प्रबंधन टेकओवर करने जा रहा है। जानकारी के मुताबिक लोकसभा चुनाव के बाद इस फैसले पर मुहर लग सकती है। बताया जा रहा है कि यह फैसला एमपी के दूध उत्पादकों के हित में लिया जा रहा है।

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Dolly patil
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भोपाल मप्र का डेयरी ब्रांड सांची ( एमपी स्टेट कोआपरेटिव फेडरेशन ) गुजरात के विश्वप्रसिद्ध ब्रांड अमूल और नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड ( National Dairy Development Board) के साथ त्रिपक्षीय एमओयू करके विश्व स्तरीय ब्रांड( world class brand )  बनने की तरफ बढ़ने वाला है। इसी के साथ अमूल और एनडीडीबी को मप्र में आचार संहिता लगने से पहले एमओयू ( MOU ) का ड्राफ्ट भेजा जा चुका है। जानकारी के मुताबिक आचार संहिता खत्म होने के बाद इस एमओयू पर प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।

सांची ( Sanchi ) की गतिविधियों में स्टैंडर्ड क्वालिटी कंट्रोल लाने, किसानों की समितियों की संख्या बढ़ाने और दूध खरीदने से लेकर वितरण तक पूरी प्रक्रिया को आधुनिक बनाने के लिए सांची अमूल-एनडीडीबी की मदद लेने वाला है। हालांकि आधुनिकीकरण के ऐसे कुल 5 क्षेत्रों पर तीनों संस्थानों में सहमति बन चुकी है। साथ ही मप्र सरकार का उद्देश्य दूध का उत्पादन बढ़ाना और उत्पादकों को बेहतर मूल्य दिलाना है।

सांची और अमूल में हुई बैठक

 इस साल जनवरी में हुई गुजरात वाइब्रेंट समिट में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की उपस्थिति में सांची और अमूल के अधिकारियों में बैठक हुई थी। जानकारी के मुताबिक इसमें दो विकल्प निकले थे। पहला-सांची का अमूल के द्वारा टेकओवर  और दूसरा -अमूल द्वारा सांची के आधुनिकीकरण में मदद करना। दोनों ही पक्षों ने बातचीत के बाद दूसरा विकल्प चुना। सूत्रों की मानें तो सबसे बड़ा ग्लोबल ब्रांड बनने में जुटा अमूल अभी सांची को सिर्फ बाहरी मदद करने का ही इच्छुक है। सांची का टर्नओवर लगभग 2200 करोड़ है।

कुछ प्रस्तावों पर नहीं मिली थी सहमति

 सांची ने अमूल को कई अन्य प्रस्ताव भी दिए थे पर उन पर सहमति नहीं बन सकी। जैसे जॉइंट वेंचर में उत्पादन प्लांट स्थापित करना, अमूल के एक्सपर्ट की सेवाएं सांची में प्रतिनियुक्ति पर लेना, अमूल से सलाहकार  सेवाएं लेना आदि। मप्र में कम दूध उत्पादन वाले क्षेत्रों में प्रस्ताव था कि दूध की खरीदी और स्टोरेज का काम सांची करे और प्रोसेसिंग-मार्केटिंग का काम अमूल करे। फार्मर प्रोडूसर आर्गेनाईजेशन के गठन का भी  प्रस्ताव था।

किन क्षेत्रों में मिलेगी मदद

जानकारी के मुताहबिक दुग्ध सहकारी समितियों की संख्या बढ़ाई जाएगी। वर्तमान में मप्र में इनकी संख्या लगभग 10 हजार है, इसे तीन गुना करने का प्लान है। दोनों बड़ी संस्थाएं इन किसानों को ट्रेनिंग भी देगी। ताकि इन उत्पादों की ब्रांडिंग में मदद मिल सके। प्रोफेशनल स्टाफ की नियुक्ति होगी और दोनों बड़े संस्थानों के एक्सपर्ट आकर उनकी ट्रेनिंग करेंगे। दुग्ध समितियों की चुनाव प्रक्रिया मजबूत की जाएगी। गुजरात में हर जिले की समिति में नियमित चुनाव होते हैं पर मप्र में ये प्रक्रिया अभी नहीं है। हालांकि सांची में पूरी प्रक्रिया को आधुनिकीकरण करने में मदद मिलेगी।

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