आमीन हुसैन, RATLAM. रतलाम में पवन पुत्र हनुमान जी का प्राकट्य दिवस 23 अप्रैल मंगलवार को भक्ति भाव से मनाया गया। हनुमान प्राकट्य दिवस के मौके पर शहर में पहली बार सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा का 51 हजार बार पाठ किया गया जो कि वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ। हनुमान देवालयों पर आयोजन हो रहे हैं।
सुबह 7.30 बजे से 10 बजे तक हुए पाठ
रतलाम में पहली बार एक साथ 51 हजार सामूहिक हनुमान चालीसा का पाठ का पोलो ग्राउंड नेहरु स्टेडियम में किया। यह आयोजन श्री मंगलनाथ महाकाल रक्तदान मंडल (सेवा वीर परिवार) द्वारा किया गया। सुबह 7.30 बजे से 10 बजे तक हुए पाठ में करीब 15 हजार श्रद्धालुओं ने अपनी सहभागिता की। इस आयोजन में पंडाल भी छोटा पड़ गया। कुछ स्कूलों ने छुट्टी कर विद्यार्थियों को भी इस आयोजन में शामिल किया। नन्हें-मुन्ने भी हनुमान जी का रुप धरे शामिल हुए। एक बालिका तो अपने साथ बंदर के नन्हें बच्चे को भी साथ लाई। आयोजन में आने वाले श्रद्धालुओं को हनुमान चालीसा पाठ के लिए टोकन दिए गए। महिलाओं और पुरुषों के बैठने की अलग-अलग व्यवस्था की गई थी।
दो वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए
51 हजार हनुमान चालीसा पाठ का ऐतिहासिक आयोजन रतलाम के इतिहास में तो दर्ज हुआ ही साथ में लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड एवं वज्र वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हुआ है। आयोजन समिति को वर्ल्ड रिकॉर्ड टीम के ज्यूरी मेंबर ने वर्ल्ड रिकॉर्ड के सर्टिफेकिट प्रदान किए। पाठ के बाद राष्ट्रगान कर आरती की गई। सेवा वीर परिवार के पंकज भाटी ने बताया आयोजन के लिए दो माह से तैयारी की जा रही थी। करीब 15 हजार लोगों ने शामिल होकर हनुमान चालिसा का पाठ किया। एक-एक व्यक्ति ने 7 बार हनुमान चालीसा का पाठ एक साथ एक स्वर में किया।
संतों के सानिध्य में बनाया विश्व रिकार्ड
रतलाम में बने 51 हजार बार हनुमान चालीसा के सामूहिक पाठ में 15000 से अधिक लोगों ने संतों के सानिध्य में विश्व रिकॉर्ड बनाए। पाठ का संकल्प ले कर चलाए गए अभियान ने हनुमान जन्मोत्सव के दिन मूर्त रूप लेकर संतों के सानिध्य में 2 विश्व रेकॉर्ड बनाए गए। संतो में मुख्य रूप से दण्डी स्वामी आत्मानंद जी सरस्वती, स्वामी देवस्वरूप जी महाराज, आचार्य गुरुदेव दिनेश जी व्यास (संस्कार ऋषि), श्री श्री नील भारती जी महाराज, श्रीश्री 1008 आनंद गिरी जी महाराज, स्वामी सुजाल जी महाराज, सच्चिदानंद जी महाराज, स्वामी धर्मेश भाई, महर्षि संजय शिवशंकर दवे, स्वामी सेवादास जी महाराज, ब्रह्मचारी सौरभ चेतन्य जी महाराज उपस्थित रहे।