यशवंत क्लब में क्या साजिश से बने नए सदस्य, शिकायत पर कलेक्टर ने बैठाई जांच

यशवंत क्लब में 57 नए सदस्यों की सदस्यता में फर्जीवाड़े की शिकायत मिलने पर कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए हैं। वहीं अब असिस्टेंट रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसायटी इस मामले में जांच करेगा।

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Sanjay gupta
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टोनी सचदेवा (ब्लैक कोट में) ,इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह (सफेद शर्ट), संजय गोरानी (ग्रेइश ब्लू कोट में)

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यशवंत क्लब में 16 दिसंबर को बनाए गए नए 57 सदस्य क्या फर्जीवाड़े से बने हैं, इसके पीछे लंबी साजिश के साथ ही बैलेट बॉक्स में खेल हुआ है? यह गंभीर आरोप क्लब की पूरी सदस्यता प्रक्रिया में लगे हैं और इसकी गोपनीय तौर पर कलेक्टर आशीष सिंह को शिकायत हुई है। इसके बाद उन्होंने इस मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं और इसके लिए असिस्टेंट रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसायटी को जांच का जिम्मा सौंपा है। उधर सोसायटी ने भी क्लब को इस मामले में पत्र लिखकर जानकारियां मांगी है। 

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गंभीर आरोप लगे हैं शिकायत में-

  • शिकायत में क्लब की मैनेजिंग कमेटी जिसमें चेयरमैन टोनी सचदेवा और सचिव संजय गोरानी है। उन पर गंभीर आरोप लगे हैं। क्लब सदस्यों ने शिकायत में पूर कमेटी को कठघरे में खड़ा किया है।
  • आरोप है कि 50 सदस्यीय बैलेटिंग कमेटी बनाने में कोई पारदर्शिता नहीं रखी गई, अपने लोगों को इसमें शामिल करने के लिए पूरी राजनीति की गई और कुछ योग्य दावेदारों को अलग किया गया।
  • मैनेजिंग कमेटी ने सदस्यता के लिए 186 फॉर्म किस आधार पर बांटे, इसका कोई खुलासा नहीं और ना ही इसकी कोई पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई गई। शहर के कई लोग जो भरना चाहते थे उन्हें कोई मौका नहीं मिला।
  • इन सभी फॉर्म भरने वालों को कैसे चुना गया, उनकी क्या जांच हुई और फिर उनकी सदस्यता के लिए किस तरह उन्हें प्राथमिकता में आगे और पीछे रखा गया, इसका कोई खुलासा नहीं है, यह मैनेजिंग कमेटी ने बंद कमरे में किया और किसी को कुछ भी नहीं बताया। 
  • कमेटी को ईओजीएम 2023 के आदेश पर केवल 25 सदस्य ही हर साल बनाने थे, लेकिन कमेटी ने एक साथ 2023-24 और 2024-25 के लिए 57 सदस्य एक साथ बना लिए। इसके लिए कोई नई ईओजीएम नहीं की गई और ना ही कोई अप्रूवल लिया गया।
  • इस पूरे मामले में फंड का भी दुरुपयोग किया गया और वित्तीय अनुशासन नहीं रखा गया है।

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कहा तो यह भी जा रहा है कि बैलेट बॉक्स बदला

कहा जो यह भी जा रहा है कि मैनेजिंग कमेटी ने दिखावे के लिए 50 सदस्यीय बैलेट कमेटी से वोट तो डलवाए लेकिन इसमें किसी के भी हस्ताक्षर आदि प्रक्रिया नहीं की गई और ना ही पारदर्शिता रखी गई। बाद में इन वोट को ही बदल कर दूसरा बॉक्स किया गया और पहले से ही तय वोट अपने वालों जिन्हें भी राजनीतिक तौर पर लाभप्रद लोगों को सदस्य बनाना था, उन्हें सदस्य बनने लायक तय वोट संख्या दे दी। 

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क्या है मांग सदस्यों की-

कलेक्टर को हुई शिकायत में सदस्यों की मांग है कि पूरी सदस्यता प्रक्रिया को रोका जाए। इस मामले में अनियमितता और मैनेजिंग कमेटी की हिटलरशाही हुई है, इसकी जांच की जाए, नई ईओजीएम को बुलाया जाए और फिर से नए सिरे से यह प्रक्रिया की जाए। सदस्यता फार्म देने, बैलेटिंग कमेटी बनन से लेकर वोट डलने और वोट गिनने तक की प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से सभी को बताते हुए क्लब में की जाए। 

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क्यों हो रहा है शक बैलेट बॉक्स बदलने का

मैनेजिंग कमेटी ने 15 दिसंबर को वोटों की गिनती के बाद पात्र पाए गए सदस्यों की लिस्ट चस्पा की, इसमें बताया गया कि 50 को सदस्य बनाना था लेकिन अंतिम कटऑफ वोट 33, जिन्हें भी मिला उन्हें ले लिया गया है और इस तरह कुल 57 सदस्य हुए हैं। कुल 75 सदस्यों के लिए वोटिंग हुई और 33 से कम वोट वाले 18 आवेदक बाहर हो गए हैं और वह अपात्र पाए गए हैं। यदि वोट पाने वालों की लिस्ट देखें तो अंतिम कटऑफ 33-33 वोट कुल 7 सदस्यों को, उसके ऊपर 34-34 वोट कुल 13 सदस्यों को, 35-35 एक जैसी वोट संख्या कुल 18 सदस्यों को, नौ लोगों को 36-36 वोट, पांच लोगों को 37-37 वोट, वहीं तीन को 38-38 वोट, एक को 39 वोट और एक को 41 वोट मिले। इसमें एक जैसी वोट संख्या 33, 34, 35 और 36 कई सदस्यों को मिली। खासकर कटऑफ वोट संख्या 33 पर भी शक है कि इसमें फर्जीवाड़ा किया गया। 

पूर्व चेयरमैन ने दो बार मैनेजिंग कमेटी को पत्र लिखा

सदस्यता प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं रखी जा रही है इसके लिए मैनेजिंग कमेटी को एक बार नहीं दो बार पूर्व चेयरमैन पम्मी छाबड़ा ने ई मेल, पत्राचार कर इस स्थिति से अवगत कराया था। छाबड़ा ने कहा भी था कि पूरे क्लब के लिए जरूरी है कि प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से हो, जिससे पता रहे कि फॉर्म किस आधार पर दिए जा रहे, जिन्हें चुना जा रहा है उनका आधार क्या है, बैलेटिंग कमेटी निष्पक्ष बने जो क्लब के हित में हो और वोटिंग के लेकर काउंटिंग की प्रक्रिया बंद कमरे की जगह पारदर्शी हो। लेकिन कमेटी ने इन ठंडे बस्ते में डाल दिया। अब क्लब सदस्यों ने कलेक्टर को शिकायत की है, जिसके बाद इसकी जांच बैठा दी गई है और पूरी मैनेजिंग कमेटी कटघरे में आ गई है।  

इन सभी को कम वोट मिलना बताकर किया बाहर

हाल ही में श्रीगुरु सिंघ सभा चुनाव में रिंकू भाटिया की खंडा पैनल को एकतरफा हराने वाले हरपाल उर्फ मोनू सिंह भाटिया बाहर हो गए। मोनू को 49 वैध मतों में से केवल 28 वोट मिलना बताया गया, इसी तरह उनके भाई गुरमीत सिंह भाटिया को मात्र 25 वोट मिलना बताया गया। इसके साथ ही बाहर होने वालों में पूर्व विधायक संजय शुक्ला के बेटे सागर शुक्ला भी 31 वोट ही पा सके थे और वह कट ऑफ वोट से दूर रहे। वह भी क्लब की सदस्यता से बाहर हो गए। इसके साथ ही वरिष्ठ पत्रकार हरीश फतेहचंदानी को भी केवल 26 वोट मिलना बताया गया और वह भी सदस्यता से बाहर हो गए। बिल्डर गोपाल गोयल, बिल्डर चुग की पत्नी, भी बाहर हो गए हैं। 

यह हो गए थे अंदर 

वहीं क्लब सदस्य बनने में बिल्डर नवीन मेहता के बेटे मेहुल मेहता, प्रमथ बाकलीवाल, दिशा बक्शी, निकेत मंगल, सुरेश भदौरिया के बेटे मयंक भदौरिया, हितेंद्र मेहता, पराग देसाई, भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे अधिकारी पराक्रम सिंह चंद्रावत, एमपीसीए के रोहित पंडित, बिल्डर विपिन कंधारी, सुमित आनंद जैसे नाम शामिल रहे।

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