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INDORE. सीएम डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने पीथमपुर में पहुंचे यूका कचरे को लेकर इंदौर में सभी जनप्रतिनिधियों, विशेषज्ञों और प्रबुद्धजनों के साथ गुरुवार को बैठक ली। लेकिन इसमें धार विधायक नीना वर्मा ने साफ शब्दों में बोल दिया कि वह इस कचरे के यहां जलाने के पक्ष में बिल्कुल नहीं है। हमारी राय है कि सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन लगाई जाना चाहिए। आज मंत्री जी सभी आपकी ओर देख रहे हैं कि कचरा रामकी में नहीं जलें। मैं तो कहती हूं रामकी को ही बंद कर दिया जाए। दो-दो मंत्री है, सांसद है जनप्रतिनिधि है, आज तक किसी से सलाह नहीं ली गई और रातों रात कचरा भेज दिया गया।
बच्चे क्रिकेट खेलते हैं: विजयवर्गीय
विशेषज्ञों द्वारा मुख्य तौर पर इसके नकारात्मक प्रभाव की बात कही गई। हालांकि कुछ ने यह भी कहा कि 25 साल में जहरीलापन खत्म हो चुका है और अब कोई असर नहीं होगा। इस पर मंत्री विजयवर्गीय ने कहा कि अभी तक वहां भोपाल में कचरा रखा था वहां बच्चे क्रिकेट खेलते थे, कभी कुछ नहीं हुआ।
विधायक नीना वर्मा ने सभी को दे दिया जवाब
इस पर बात पर विधायक नीना वर्मा ने कहा कि मैंने 1984 के दौरान वहां लाशों के ढेर देखे हैं। जब 2014 में ट्रायल रन हुआ तब भी विरोध किया था, यह बात पीथमपुर की नहीं बल्कि महू कैंटोनमेंट, राउ, इंदौर की भी है। यह कोई दो-पांच ग्राम नहीं 300 टन है, यह छोटी बात नहीं है। आप (मंत्री विजयवर्गीय) कह रहे हैं कि बच्चे वहां क्रिकेट खेलते थे, लेकिन तब तकत वह डंप था, ढंका हुआ था। अब इसे जलाया जाना है। हवा के साथ जमीन पर भी असर होगा। क्यों नहीं वीराने में प्लांट बनाकर इसे वहां नष्ट किया जाता है। आबादी वाला एरिया ही क्यों चुनना है। मैं सरकार के विरोध में नहीं, ना ही सुप्रीम कोर्ट की अवमानना कर रही हूं, लेकिन मैं जनता के साथ हूं। पहले सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू लगाना चाहिए। मंत्री जी सभी आप की ओर उम्मीद से देख रहे हैं। यह कचरा रामकी में नहीं जलें। इतनी मदद हमारी कीजिए।
सीएम से रात को हुई बात
वहीं मंत्री विजयवर्गीय ने बताया कि मैं भी इसे लेकर चिंतिता था इसलिए अधिकारियों से बात की फिर रात को सीएम से बात की। सीएम ने कहा कि भयग्रस्त नहीं हो, मैं भी मालवा का बेटा हूं। मैं उनका संदेश लेकर यह बैठक कर रह हूं।
बैठक में कहा गया निजी अपील लगी उसी को सपोर्ट करें
बैठक के अंत होते-होते सभी इसी बात पर थे कि कचरा जलाए जाने के पहले इसका असर देखा जाए, साल 2014-15 की रिपोर्ट पुरानी है। यह भी मांग उठी कि रिव्यू पिटीशन हो। इस पर कहा गया कि यहां डॉक्टर्स ने पहले ही रिव्यू पिटीशन लगा रखी है, जिसके पास इसे लेकर जो मटेरियल हो वह पिटीशन वालों को दे दी जाए, जिससे पक्ष रखा जा सके। हालांकि मंत्री विजयवर्गीय ने अलग से शासन की ओर से पिटीशन लगाने की बात पर कोई जवाब नहीं दिया।
धार के प्रतिनिधि सभी विरोध में
उधर धार के सभी जनप्रतिनिधि विरोध में हैं। नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष देवेंद्र पटेल, क्षेत्रीय पार्षद सभी ने बैठक में इस कचरे को लेकर विरोध किया और सरकार से मांग की है कि फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई जाए।
अधिकारियों ने किया समर्थन
वहीं आईएएस विवेक पोरवाल ने सभी जिज्ञासाओं को जवाब दिया और कहा कि दर्जन भर से ज्यादा कमेटियों ने पूरा एनालिस किया है। इनका पूरा अध्ययन करके ही काम हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी रिपोर्ट को देखा है। अभी भी जो कचरा जलाया जाएगा उसकी हर दिन मॉनटरिंग होगी और उसी के अनुसार आगे बढ़ेंगे। पोरवाल बोले अभी जो कचरा है उसमें 60 फीसदी तो मात्र मिट्टी है। कचरे के केमिकल कंपोजिशन में नेपथॉल-7 है। नेपथॉल-7 के बारे में तथ्य है कि 25 साल में उसके सारे जहरीले प्रभाव समाप्त हो जाते हैं। बैठक में मंत्री तुलसीराम सिलावट, सांसद शंकर लालवानी के साथ ही संभागायुक्त दीपक सिंह, आईएएस स्वतंत्र सिंह व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
कचरा जलाने में लगेगा कम से कम 6 माह
संचालक गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग के डायरेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह ने कहा कि मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की मॉनिटरिंग में काम होगा। इस 337 टन कचरे को जलाने में करीब 6 महीने तक लग सकते हैं।
इधर जीतू ने ताई से मांगा सहयोग
उधर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस कचरे के निपटान के विरोध में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से मुलाकात की और आग्रह किया कि इस पर आप लीड लें। सरकार से बात करें। पटवारी ने कहा कि भोपाल की जमीन की नीलामी हुई, इसलिए यह निपटारा किया जा रहा है। पहले जो दस टन का ट्रायल रन हुआ था इसके बाद यहां बीमारियां फैली, जल और जमीन खराब हुई है। इंदौर कहीं इस कचरे के कारण महामारी ग्रसित नहीं हो जाए। पटवारी ने चेतावनी दी कि पूर्व के अनुभवों के अनुसार, जहरीला कचरा जलाने के परिणाम सकारात्मक नहीं रहे हैं। उन्होंने चिंता जताई कि अगर इसे जलाने की प्रक्रिया में जल्दबाजी की गई, तो इसका निकट भविष्य में यशवंत सागर पर नकारात्मक असर हो सकता है। यशवंत सागर का पानी इंदौर वासियों की जरूरतें पूरी करता है, इसलिए इस मुद्दे पर अतिरिक्त सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।
ताई यह बोलीं
ताई ने कहा कि यह राजनीतिक मुद्दा नहीं लोगों के जीवन से जुड़ी चीज है, जो भी खुद को जनप्रतिनिधि कहता है उन सभी को इस पर विचार करना चाहिए। सरकार को भी विचार करना चाहिए, क्योंकि वह भी जनता के लिए होती है। आज बैठक रखी गई है, जनप्रतिनिधियों के साथ अधिकारियों की। रामकी में जो भी मशीनरी लगी उससे नुकसान नहीं होगा यह कहने से नहीं होगा, सभी विशेषज्ञों से जानकारी लेना चाहिए। इंदौर, धार, पीथमपुर सभी जगह है। इस कचरे से डर तो लगता है, जहरीला केमिकल है। क्या रामकी संयंत्र इतना अच्छा है कि ठीक तरह से वह इसे जलाएगा औऱ कोई प्रदूषण नहीं होगा, इसे भी देखा जाना चाहिए।
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