बिना पेड़ काटे ही बन सकेंगी दवाएं, RDU के रिसर्चर्स का शोध, पेटेंट भी कराया, दवा निर्माण के चलते कई प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर

author-image
Chandresh Sharma
एडिट
New Update
बिना पेड़ काटे ही बन सकेंगी दवाएं, RDU के रिसर्चर्स का शोध, पेटेंट भी कराया, दवा निर्माण के चलते कई प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर

Jabalpur. हम इंसानों ने दवाओं के निर्माण के लिए भी अंधाधुंध तरीके से पेड़ों का कत्लेआम मचाया है, आलम यह है कि दवा निर्माण में प्रयुक्त अनेकों प्रजातियों के पेड़ अब विलुप्ति की कगार पर हैं। ऐसे में जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने पर्यावरण के लिए बेहद सुखद अनुभव कराने वाला शोध पूरा कर लिया है। इस शोध के तहत अब पेड़-पौधों के औषधीय गुण प्राप्त करने के लिए उन्हें काटना नहीं पड़ेगा। इस शोध का बकायदा पेटेंट भी कराया जा चुका है। आरडीयू के डिजाइन एंड इनोवेशन सेंटर के विज्ञानी डॉ एसएस संधू और उनके दो स्कॉलर डॉक्टर सुनील सिंह और डॉक्टर रविंद्र ने एक ऐसा ही शोध किया है, जिससे कम से कम दवाओं के निर्माण के लिए तो पूरा का पूरा पेड़ नहीं काटना पड़ेगा। पर्यावरण के लिहाज से यह शोध बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 







  • यह भी पढ़ें 



  • भोपाल में CM शिवराज ने जनता को दिया संदेश, प्लास्टिक का यूज बंद करो, एक पेड़ जरूर लगाओ, सबने लगाए तो साल भर में लगेंगे 9 करोड़ पेड़






  • माइक्रो ऑर्गेनिजमस से मॉलिक्यूल





    डॉ एसएस संधू ने बताया कि उनके गुरू डॉक्टर रजक जो कि एक बायो साइंटिस्ट थे, वे अक्सर कहते थे कि जिस पौधे में जो औषधीय गुण पाए जाते हैं वह उस पौधे में पाए जाने वाले फंगस और बैक्टीरिया में भी पाए जाते हैं। प्रकृति में पाए जाने वाले हर जीव-जंतु और पेड़ पौधों के भीतर बहुत से दूसरे माइक्रो ऑर्गेनाइज्म भी पाए जाते हैं जिन्हें हम कवक, फंगस और बैक्टीरिया के रूप में पहचानते हैं। इनमें से कुछ माइक्रो ऑर्गेनाइज्म उस जंतु या पौध के दुश्मन होते हैं जो उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं लेकिन इसमें कुछ सूक्ष्म जीव ऐसे भी होते हैं जो उसे जंतु या पौधे के लिए फायदेमंद होते हैं। 





    फल्लियों से बनाई दवा





    शोधकर्ता डॉ संधु ने बताया कि उनकी यह सोच थी कि पेड़-पौधे के अंदर पाए जाने वाले मित्र बैक्टीरिया वायरस और फंगस से पौधे में पाई जाने वाली औषधीय गुणों को निकालने कोशिश की जाए। इसके लिए डॉ संधू ने अपने स्कॉलर्स के मदद से शोध की शुरूआत की। इस टीम ने ओरोक्सिलम इंडिकम नामक पौधे से अपना शोध शुरू किया। इस पेड़ से एंटीबायोटिक दवा बनाई जाती है, इस पौधे की फल्लियों का उपयोग कर दवा बनाई जाती है। इस टीम ने भी सबसे पहले पौधे की फल्लियों से ही दवा बनाई। 





    इसके बाद इस टीम ने अपने विचार के अनुसार पेड़ में पाए जाने वाले माइक्रो ऑर्गेज्म को उस पौधे से निकालकर अपनी लैब में उगाया और इस माइक्रो ऑर्गेनिकजम से भी दवा बनाई। जब इन दोनों दवा के रासायनिक संरचना की स्टडी की गई तो पता चला कि दोनों एक सी हैं। इस शोध के परिणाम को डॉ संधू ने अपने स्कॉलर्स के साथ पेटेंट के लिए मुंबई भेजा, जिसके बाद उन्हें न केवल नए मॉलिक्यूल को खोजने का पेटेंट मिला बल्कि इस पूरी प्रोसेस को भी उन्होंने पेटेंट करा लिया है। डॉ संधू ने बताया कि उनकी बताई विधि के जरिए अब पेड़ों को दवा बनाने के लिए काटना नहीं पड़ेगा। पौधे के जिस हिस्से में दवा मिलती है, उसका एक इंच का टुकड़ा भी बड़ी मात्रा में दवा बनाने के लिए पर्याप्त होगा। 



    Jabalpur News जबलपुर न्यूज़ Research of RDU researchers medicines can be made without cutting trees patent also done RDU के रिसर्चर्स का शोध बिना पेड़ काटे ही बन सकेंगी दवाएं पेटेंट भी कराया