इंदौर के यशवंत क्लब सचिव के 420 केस के आरोपी भाई नरेंद्र सहित 40 सदस्यों की सदस्यता खतरे में, फर्म एंड सोसायटी में लगी याचिका

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Vikram Jain
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इंदौर के यशवंत क्लब सचिव के 420 केस के आरोपी भाई नरेंद्र सहित 40 सदस्यों की सदस्यता खतरे में, फर्म एंड सोसायटी में लगी याचिका

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर के यशवंत क्लब के सचिव संजय गोरानी के 420 धारा के आरोपी भाई नरेंद्र गोरानी सहित 40 सदस्यों की सदस्यता खतरे में आ गई है। क्लब सदस्य बलमीत सिंह छाबड़ा ने इस सदस्यता को चुनौती देते हुए फर्म एंड सोसायटी भोपाल में याचिका दायर की थी, जिसे मंजूर कर सभी पक्षों को शुक्रवार को भोपाल बुलाया गया। इसके बाद इसमें सुनवाई के लिए चार फरवरी 2024 तारीख तय हुई है।

चैयरमेन, सचिव सहित सभी मैनेजिंग कमेटी बनी पार्टी

छाबड़ा द्वारा अधिवक्ता अजय मिश्रा के माध्यम से दायर की गई याचिका में क्लब चेयरमैन टोनी सचदेवा, सचिव संजय गोरानी सहित पूरी मैनेजिंग कमेटी सदस्य अतुल सेठ, आदित्य उपाध्याय, अनिमेष सोनी, रूपल पारिख, नितेश दानी, संजय जैन को पार्टी बनाया गया है। इसमें क्लब कमेटी खासकर सचिव गोरानी को लेकर आरोप लगाए गए हैं कि उन्होंने परिजन, परिचितों को सदस्य बनाने के लिए पूरा खेल किया और आर्थिक अनियमितता की है।

याचिका में यह उठाया गया है मामला

  • याचिका में कहा गया है शांतादेवी गोरानी ने अपने पुत्र को सदस्य बनाने के लिए क्लब को आवेदन किया जिसे निरस्त कर दिया गया, वह कोर्ट गई।
  • क्लब संविधान में प्रावधान है कि क्लब सदस्य की संतान जो 18 से 25 साल की उम्र की हो उन्हें सदस्यता दी जाएगी। लेकिन क्लब के कई सदस्य अपनी संतान को सदस्य बनाने से चूक गए। इसलिए 26 फरवरी 2018 में मैनेजिंग कमेटी ने ईओजीएम बुलाकर प्रस्ताव रखा कि यह लिमिट एक बार के लिए 25 साल की जगह अधिकतम 45 साल कर दी जाए।
  • एजेंडे में यही था लेकिन संविधान के विरूद्ध जाकर मीटिंग में एजेंडें में बदलाव करते हुए इस अधिकतम एज को हटाकर नो एज लिमिट कर दिया गया यानि क्लब सदस्य की कितनी भी अधिकतम उम्र की संतान सदस्यता ले सकती है, जो मूल एजेंडे में था ही नहीं
  • इसके खिलाफ क्लब सदस्य अनिल पटवा ने याचिका दायर कर दी, जो अभी भी चल रही है, हालांकि उनका निधन हो चुका है।
  • कोर्ट ने इन केस में स्टे दे दिया। लेकिन जब मैनेजिंग कमेटी बदल तो नए सचिव संजय गोरानी ने वकील बदल दिए और कोर्ट से स्टे हटवा लिया।
  • इसके बाद सचिव ने साल 2018 में पास प्रस्ताव को आधार बनाकर फर्म एंड सोसायटी इंदौर में इस प्रस्ताव का हवाला देकर संविधान में संशोधन कर इसे नो एज लिमिट कर लिया जो 31 जनवरी 2023 को हुआ।
  • मजे की बात यह है कि पांच साल पुराने प्रस्ताव पर संविधान संशोधन कराया गया जबकि इस दौरान ना कोई नया प्रस्ताव एजीएम में लाया गया ना ही पुराने प्रस्ताव के आधार पर कोई कोई नए सिरे से मंजूरी ली गई।
  • पुराने प्रस्ताव पर हुए संविधान संशोधन पर नरेंद्र गोरानी व अन्य करीब 40 सदस्यों को सदस्यता दे दी गई। दो संविधान के विरुद्ध है।

याचिकाकर्ता ने यह मांग की है...

याचिकाकर्ता के वकील अजय मिश्रा ने बताया कि हमने फर्म एंड सोसायटी से मांग की है कि क्लब की मूल संविधान भावना के खिलाफ पास हुए नो एज लिमिट प्रस्ताव को रद्द किया जाए और इस आधार पर दी गई सदस्यता को रद्द किया जाए। क्योंकि अभी भी कोर्ट केस चल रहा है और इस दौरान पांच साल पुराने प्रस्ताव को आधार बनाकर संविधान संशोधन कराना अवैधानिक है और यह पूरा प्रस्ताव आर्थिक अनियमितता है क्योंकि वह न्यू कैटेगरी में 25 लाख की फीस देकर भाई को महंगी सदस्यता नहीं दिलाना चाहते थे और इस लिए इस नो एज लिमिट के माध्यम से मामूली राशि में अपने भाई व अन्य को सदस्यता दिला दी।

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