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BHOPAL. डॉ. मोहन यादव मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री होंगे। सोमवार को चले गहमागहमी भरे घटनाक्रम में भाजपा की ओर से यह चौंकाने वाला फैसला सामने आया। श्री यादव उज्जैन दक्षिण से विधायक चुने गए हैं। वह 2013 में पहली बार उज्जैन दक्षिण सीट से विधायक बने। इसके बाद 2018 में दूसरी बार और 2023 में तीसरी बार विधायक चुने गए। 2 जुलाई 2020 को उन्होंने श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली।
संघ के पदाधिकारी रहे यादव ने एबीवीपी से शुरु की राजनीति
आरएसएस के पदाधिकारी रहे मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री श्री यादव ने राजनीति एबीवीपी से सीखी। वह सबसे पहले साल 1982 में माधव विज्ञान महाविद्यालय छात्रसंघ के सह-सचिव एवं 1984 में अध्यक्ष चुने गए थे। वह 1984 मेंअखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद उज्जैन के नगर मंत्री एवं 1986 में विभाग प्रमुख बने। श्री यादव साल 1988 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद मध्यप्रदेश के प्रदेश सहमंत्री एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बने। 1989-90 में परिषद की प्रदेश इकाई के प्रदेश मंत्री तथा सन 1991-92 में परिषद के राष्ट्रीय मंत्री बने। श्री यादव 1993-95 तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, उज्जैन नगर के पदाधिकारी रहे।
'मैं अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह से निभाऊंगा'
मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा होते ही डॉ. मोहन यादव ने बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व और विधायकों का आभार जताया है। डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मैं पार्टी का एक छोटा सा कार्यकर्ता हूं। प्यार और सहयोग के लिए पार्टी की स्टेट लीडरशिप और केंद्रीय लीडरशिप का बहुत-बहुत धन्यवाद। मैं अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह से निभाऊंगा।
'भगवान महाकाल ने मेहनत का फल'
मोहन यादव को सीएम बनाए जाने के बाद उनके परिवार और समर्थकों में खासा उत्साह देखा जा रहा हैं। मोहन यादव की पत्नी सीमा यादव ने कहा कि मेहनत का फल अच्छा होता है। खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। भगवान महाकाल ने मेहनत का फल दिया है।
फोटो सेशन में भी मोहन यादव पीछे की पंक्ति में बैठे थे
बता दें कि मुख्यमंत्री की रेस में सीएम शिवराज सिंह चौहान के साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, प्रह्लाद पटेल और वीडी शर्मा के नाम शामिल थे. इस रेस में मोहन यादव का नाम तक शामिल नहीं था. इतना ही नहीं, विधायक दल की बैठक से पहले हुए फोटो सेशन में भी मोहन यादव पीछे वाली पंक्ति में बैठे थे. बता दें कि मध्य प्रदेश में बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल किया था. जिस राज्य में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर बताई जा रही थी. वहां कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया. मध्य प्रदेश में बीजेपी को 163 सीटों पर जीत हासिल हुई, जबकि कमलनाथ के चेहरे पर लड़ रही कांग्रेस महज 66 सीटों पर सिमट गई।