इंदौर में जिनके खिलाफ खोला था मोर्चा उन्हीं से समझौता करने पहुंचे मोनू भाटिया; चुनाव से पहले नए समीकरण बनाने में जुटे 

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Jitendra Shrivastava
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इंदौर में जिनके खिलाफ खोला था मोर्चा उन्हीं से समझौता करने पहुंचे मोनू भाटिया; चुनाव से पहले नए समीकरण बनाने में जुटे 

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर गुरुसिंघ सभा चुनाव से पहले अभी तक घोर विरोधी रहे मोनू और रिंकू भाटिया। अब चुनाव में नए समीकरण बनाने की कोशिश में लग गए हैं। दो दिन पहले मोनू अचानक रिंकू से मिलने जा पहुंचे। दोनों की काफी देर तक एकांत मे चर्चा हुई। इस मुलाकात को 13 अगस्त को होने वाले चुनाव के पहले राजनीतिक नजरिए से देखा जा रहा है। दोनों की मुलाकात की जो भी वजह रही हो, लेकिन मोनू के रिंकू के पास जाने के बाद से उनके समर्थकों का भरोसा डगमगा गया है। असल मे रिंकू और मोनू भाटिया के परिवार में पुरानी अदावत रही है। रिंकू ने कम उम्र में ही मोनू के पिता गुरदीप सिंह को सभा के चुनाव में बुरी तरह शिकस्त दी थी। सूत्रों का कहना है कि मोनू ने अपनी पिता की हार का बदला लेने की कसम खाई थी। परिवार भी इसी कारण मोनू का साथ दे रहा था, लेकिन इस मुलाकात के बाद मोनू के परिजन और समर्थक बुरी तरह क्षुब्ध हैं और अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं।



चुनाव से पहले 10 साल बाद दोनों की मुलाकात कई सवाल खड़े करती है



मोनू और रिंकू की ये  मुलाकात क्या गुल खिलाने वाली है इसका खुलासा आगामी कुछ दिनों में ही हो जाएगा। रिंकू भाटिया ने मुलाकात की पुष्टि की है और कहा है कि समाज के प्रधान होने के नाते सभी व्यक्ती मिलते हैं और मोनू भी मुलाकात के लिए आए थे। हालांकि, पिछ्ले 10 साल से दोनों के बीच कोई मेल मुलाकात नहीं थी तो चुनाव से पहले दोनों की मुलाकात कई सवाल खड़े करती है।



मोनू मुलाकात में बॉबी के खिलाफ बोले, खुद के साथ टूटेजा के लिए समर्थन मांगा



सूत्रों के अनुसार इस मुलाकात के दौरान मोनू ने पुराने संबंधों का हवाला देकर रिंकू भाटिया से ना केवल खुद के लिए बल्कि अपने साथी सुरजीत सिंह टूटेजा जिन्हें सचिव पद का उम्मीदवार वह बना रहे हैं, उनके लिए भी समर्थन मांगा। वहीं मुलाकात के दौरान मोनू ने बॉबी छाबड़ा और उनकी पैनल के खिलाफ भी बोले। 



क्या है रिंकू और मोनू के बीच पुराने संबंध?



रिंकू भाटिया को समाज की राजनीति में लाने वाले और कोई नहीं बल्कि खालसा पैनल और गुरदीप सिंह भाटिया के समर्थक थे। रिंकू भाटिया ने खालसा पैनल से सदस्य पद का चुनाव जीता था। इसके बाद उन्होंने पाला बदलकर खंडा पैनल से प्रधान का चुनाव लड़ा। इस चुनाव मे मोनू के पिताजी गुरदीप सिंह को बुरी तरह हराया। गुरदीप भाटिया के निधन के बाद मोनू भाटिया कुछ साल पहले ही समाज की राजनीति में सक्रिय हुए और अब पिता की तरह ही प्रधान बनना चाहते हैं, लेकिन कुछ दिन पहले ही चुनाव अधिकारी की बैठक में मोनू ने संत राजिंदर सिंह बाबा पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी और कहा था कि उन पर एफआईआऱ् है और गुरुद्वारे की जमीन पर अवैध कॉलोनी काटी है। फार्म विवाद के दौरान भी मोनू पैनल ने आरोप लगाए थे कि उनकी पैनल के जगजीत सिंह फार्म उठाकर ले गए, इसमें जांच हो और केस हो, इस पर बाद में आरोप लगाने वालों ने सार्वजनिक माफी भी जगजीत सिंह उर्फ सुग्गा से मांगी थी।  सुमित मुटनेजा ने भी मोनू पर जान से मारने की धमकी के आरोप लगाए थे।



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मैदान में कौन-कौन 



खंडा पैनल से रिंकू भाटिया, फतेह पैनल से मोनू भाटिया और खालसा पैनल से बंटी भाटिया प्रधान के चुनाव के लिए दावेदारी कर रहे है। रिंकू और मोनू की मुलाकात के बाद संगत मे चर्चा आम हो गई है क्या मोनू और रिंकू मिलकर चुनाव लड़ेंगे।



दागियों की भरमार 



गौर करने वाली बात ये है कि गुरुसिंघ सभा के चुनाव में दागियों भरमार है। खंडा पैनल के रिंकू भाटिया, फतेह पैनल के मोनू भाटिया और खालसा पैनल के समर्थक बॉबी छाबड़ा पर आपराधिक मामले दर्ज है।


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