अरुण तिवारी, BHOPAL. कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, नए प्रदेश प्रभारी जितेंद्र सिंह और नए नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार क्या लोकसभा चुनाव में एक सीट से ज्यादा का आंकड़ा छू पाएंगे। इस समय कांग्रेस में सबसे बड़ा सवाल यही है। इसके लिए जीतू पटवारी, भंवर जिंतेंद्र सिंह के साथ दौरे भी कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव पर चिंतन और मंथन दोनों हो रहा है। लेकिन क्या लोकसभा चुनाव के भंवर से प्रदेश प्रभारी कांग्रेस को निकाल पाएंगे। क्योंकि वे अपने आने वाले प्रदेश दौरे में दर्जन भर से ज्यादा लोकसभा सीटों के नेताओं से चर्चा करेंगे। लेकिन एक विधानसभा के लिए उनके पास सिर्फ सात मिनट हैं। जबकि उनको प्रदेश में सात सीटें जीतनी है।
इस बार 7 सीटें जीतने का लक्ष्य
कांग्रेस के पास लोकसभा चुनाव की बड़ी चुनौती है। लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष,प्रदेश प्रभारी और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बदल दिए हैं। कांग्रेस की कोशिश है कि वो लोकसभा चुनाव में एक से ज्यादा सीटें जीतकर अपनी नाक बचाने की है। हालांकि पार्टी इस बार छह से सात सीटें जीतने के लिए जोर लगा रही है। लेकिन लोकसभा क्षेत्र के नेताओं से चर्चा करने के लिए प्रदेश प्रभारी जितेंद्र सिंह के पास सिर्फ सात मिनट हैं। यानी एक लोकसभा सीट की रणनीति बनाने के लिए उनक पास एक से सवा घंटा ही है।
अलग-अलग क्षेत्रों का दौरा करेंगे जितेंद्र सिंह
जितेंद्र सिंह आने वाली 4 फरवरी से सात फरवरी तक प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों का दौरा करेंगे। दौरे में उनके साथ जीतू पटवारी और उमंग सिंघार भी रहेंगे। इस दौरे के दौरान लोकसभा सीटों के नेताओं से भी चर्चा होगी। एक लोकसभा सीट में करीब आठ विधानसभा सीटें होती हैं। जितेंद्र सिंह एक लोकसभा सीट पर चर्चा करने के लिए एक से सवा घंटे का वक्त दे रहे हैं यानी एक विधानसभा सीट पर महज सात मिनट चर्चा ही हो पाएगी।
ये है कांग्रेस की लोकसभा चुनाव की रणनीति
4 फरवरी : ग्वालियर
10 बजे- ग्वालियर सीट पर चर्चा
12 बजे- गुना लोकसभा
1 बजे- भिंड लोकसभा
2 बजे- मुरैना लोकसभा
5 फरवरी : उज्जैन
10 बजे- उज्जैन लोकसभा
11 बजे- मंदसौर लोकसभा
12 बजे – रतलाम लोकसभा
1 बजे – धार लोकसभा
2 बजे इंदौर लोकसभा
6 फरवरी : भोपाल
10 बजे- भोपाल
11:15 बजे- होशंगाबाद
12:30 बजे- बैतूल
1:45 बजे- राजगढ़
3 बजे- देवास
4:15 बजे- विदिशा
अलग-अलग लोकसभा सीट पर चर्चा के साथ समन्वय को लेकर भी चर्चा करेंगे। कांग्रेस की कोशिश है कि जल्द से जल्द उम्मीदवार तय किए जाएं ताकि लोकसभा सीट का आंकड़ा इस चुनाव में थोड़ा बढ़कर आए।