BHOPAL. मप्र विधानसभा चुनाव 2023 में मालवा-निमाड़ की 10 सीटों पर AIMIM चुनाव लड़ेगी। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन पार्टी प्रदेश में कुल 15 अन्य सीट पर विधानसभा चुनाव लड़ेगी। पार्टी ने चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। दरअसल, 2018 विधानसभा चुनाव में मालवा-निमाड़ में कांग्रेस और बीजेपी में जीत-हार का अंतर 10 हजार वोटों से भी कम का था।
इंदौर और खंडवा पर होगा फोकस
ओवैसी मप्र विधानसभा चुनाव में इंदौर और खंडवा पर ज्यादा फोकस होकर काम कर रहे हैं। उन्होंने इंदौर की 3 सीट और खंडवा की 2 सीट पर अपने प्रत्याशी उतारने की तैयारी शुरू कर दी है। ओवैसी जिन सीटों पर प्रत्याशी उतारने की तैयार कर रहे है उन सीटों पर या तो वर्तमान में कांग्रेस के विधायक हैं या फिर कांग्रेस उन सीटों पर बहुत कम अंतराल से चुनाव हारी है।
एमपी में चुनाव लड़ने शुरू हुई तैयारी
मप्र विधानसभा चुनाव 2023 लड़ने के लिए एआईएमआईएम ने तैयारी शुरू कर दी है। ओवैसी का मानना है कि मप्र में टीम व कमेटी तैयार की जा रही है। मप्र में कौन सी व कितनी सीट पर चुनाव लड़ेंगे यह पार्टी प्रमुख ही तय करेंगे। खंडवा नगर अध्यक्ष जाहिद अहमद खान का कहना है कि पार्टी ने मप्र में विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। हम मप्र की 15 सीटों पर प्रत्याशी उतार चुनाव लड़ेंगे। जिनमें खंडवा की 2 सीटे खंडवा और मांधाता, इंदौर की 4 इंदौर 1, 5, 3 और राऊ, भोपाल की 1 सीट के साथ ही जबलपुर, बुराहनपुर, ग्वालियर ग्रामीण, जावरा, खरगोन, धार, महू, मंदसौर और नीमच में प्रत्याशी उतार चुनाव लड़ेंगे।
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कांग्रेस और बीजेपी का बिगड़ेगा गणित
एआईएमआईएम का मप्र विधानसभा में चुनाव लड़ने पर राजनीतिज्ञ विशेषज्ञों का कहना है कि ओवैसी की पार्टी प्रदेश की उन सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी का गणित बिगाड़ेगी। खासकर वहां जहां पर हार-जीत का मार्जिन 10 हजार वोटों से कम का है। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि ओवैसी की पार्टी मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर ज्यादा फोकस होकर चुनाव लड़ेगी जहां पर 5 हजार से 10 हजार वोटों से परिणाम को बदला जा सकेगा। वहीं, इंदौर में एआईएमआईएम पार्टी के सदस्य व पार्षद प्रत्याशी बंटी टाप्या ने बताया कि ओवैसी बीते दिनों इंदौर आए थे। इस दौरान उन्होंने हमें कहा कि युद्ध स्तर की तैयारी रखो।
तीसरी पार्टी से कांग्रेस होगा नुकसान
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर प्रदेश में एआईएमआईएम चुनाव लड़ती है तो इससे कांग्रेस को नुकसान होगा। क्योंकि हाल ही में मप्र में हुए नगरीय निकाय चुनाव में एआईएमआईएम ने बुरहानपुर में कांग्रेस का गणित बिगाड़ दिया था। यहां पर ओवैसी की पार्टी की महापौर प्रत्याशी ने 10 हजार वोट से जीत हासिल की थी। जबकि, बीजेपी और कांग्रेस के बीच हार का अंतर सिर्फ 500 वोट से भी कम था। वहीं, 7 पार्षद जो जीते थे उनकी वजह से ही कांग्रेस के पार्षदों को हार का सामना करना पड़ा था।
तीसरी पार्टी का स्कोप नहीं
इंदौर कांग्रेस नेता दीपक पिंटू जोशी ने कहा कि मप्र में इस बार एक तरफा कांग्रेस का माहौल है। प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई है। यहां पर तीसरी पार्टी का कोई स्कोप नहीं है। 2014 से पहले इस पार्टी का नाम किसी ने सुना नहीं था। वहीं बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता गोविंद मालू ने कहा कि ओवैसी की पार्टी आए या कोई और पार्टी आ जाए बीजेपी को इन पार्टियों से कोई फर्क नहीं पड़ता है। हमें अपने काम और जनता पर पूरा भरोसा है। बीजेपी पार्टी किसी से घबराने वाली नहीं है। कांग्रेस अपना घर देखें। कांग्रेस प्रवक्ता अमीनुल खान सूरी ने बताया कि जब-जब बीजेपी की जमीन खसकने लगती है, वह चुनाव हारने जाती है तब तक वह ओवैसी जैसी बी टीम को आगे कर देती है। लेकिन, अब जनता समझदार हो गई है। मप्र की जनता पूर्ण बहुमत के साथ इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनवाने जा रही है।