संजय गुप्ता, INDORE. मप्र के चर्चित सेक्स स्कैंडल हनी ट्रैप एक बार फिर चर्चाओं में हैं। स्पेशल कोर्ट इंदौर में सुनवाई 29 जनवरी को सूचीबद्ध है। बताया जा रहा है कि नवनियुक्त एसआईटी चीफ आदर्श कटियार पेश होंगे और पूर्व सीएम कमलनाथ को दिए गए नोटिस पर स्थिति को स्पष्ट करेंगे।
एसआईटी चीफ को यह बताना है
इस पेशी में सरकार को जवाब देना है कि पूर्व सीएम कमलनाथ को जो नोटिस भेजा गया था उस पर क्या एक्शन हुआ है। कमलनाथ ने 21 मई 2021 को भोपाल में प्रेस कांफ्रेंस में मीडिया से कहा था कि उनके पास हनी ट्रैप की पूरी सीडी और पेन ड्राइव है। इस पर आरोपियों के वकील यावर खान ने आपत्ति लगाई थी और पूछा था कि यह पेन ड्राइव कमलनाथ के पास कैसे पहुंची। इसी मामले में विवेचना सहायक और निरीक्षक शशिकांत चौरसिया ने उन्हें नोटिस जारी किया था।
नोटिस में यह लिखा था
शशिकांत चौरसिया द्वारा जारी नोटिस में था कि 21 मई 2021 को आपके द्वारा ली गई प्रेस कांफ्रेंस में कहा गया कि हनी ट्रैप की सीडी, पेन ड्राइव आपके पास है। थाना पलासिया जिला इंदौर के अपराध क्रमांक 405/19 के तहत धारा 419, 420, 384, 506, 120बी, 34 , 467, 468, 471, 370 (1)(3), 354 (सी), 389, 385, 66 (ई), 67, 67(ए) आईटी एक्ट के अनुसार इस जांच में यह सीडी, पेन ड्राइव अहम है। इससे जांच को अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता है और संवेदनशील हनी ट्रैप केस में है नवीन तथ्य ज्ञात किए जा सकते हैं। आपसे अपेक्षा है कि दो जून 2021 को दोपहर साढ़े बारह बजे तथा आफिस में आकर सीडी, पेन ड्राइव देने का कष्ट करें।
सितंबर 2019 में इस तरह हुआ था केस का खुलासा
हनी ट्रैप मामले का खुलासा सितंबर 2019 को तब हुआ था, जब प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार थी। इंदौर नगर निगम के इंजीनियर हरभजन सिंह ने पलासिया थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि अश्लील वीडियो भेजकर उनसे 3 करोड़ रुपए मांगे जा रहे हैं। इस शिकायत पर पुलिस ने 19 सितंबर को हनीट्रैप का खुलासा किया था। हनीट्रैप और ब्लैकमेल कर हरभजन सिंह से तीन करोड़ रुपए मांगने के आरोप में पुलिस ने इंदौर और भोपाल से पांच युवतियों आरती दयाल, मोनिका यादव, श्वेता जैन (पति विजय जैन), श्वेता जैन (पति स्वप्निल जैन), बरखा सोनी को गिरफ्तार किया था। इनके एक वाहन चालक ओमप्रकाश कोरी को भी गिरफ्तार किया गया था। वर्तमान में सभी जमानत पर बाहर हैं।
एक हफ्ते बाद भोपाल में दूसरा केस दर्ज
24 सितंबर 2019 को मानव तस्करी के दूसरे केस में भोपाल के सीआईडी थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। इसमें पीड़िता ने बताया था कि आरोपी महिलाओं ने उसे रसूखदार लोगों के पास भेजकर उनके आपत्तिजनक वीडियो बनवाए। इन वीडियो के बदले उन लोगों को ब्लैकमेल कर उनसे वसूली की गई। पीड़िता ने कई अफसरों व प्रभावशाली लोगों के नाम भी पुलिस को बताए थे। इसी आधार पर ये एफआईआर दर्ज की गई थी। इंदौर और भोपाल कोर्ट में बीते 4 सालों से इस केस की सुनवाई चल रही है।
अभी सुनवाई ही जारी है दोनो केस में, भोपाल केस अंतिम मोड़ पर
इंदौर कोर्ट केस में यह चल रहा है- हनीट्रैप केस में 29 जनवरी को इंदौर कोर्ट में पेशी है। नवंबर 2023 में एसआईटी ने अपने जवाब में कहा था कि एसआईटी चीफ विपिन माहेश्वरी रिटायर हो चुके हैं, नए चीफ बनने के बाद ही इस पर जवाब दाखिल किया जाएगा। अब 29 जनवरी को होने वाली सुनवाई में एसआईटी को पूर्व सीएम कमलनाथ को दिए नोटिस पर क्या हुआ यह बताना है? इसके अलावा मूल केस में अब आरोपों पर बहस होनी बाकी है। यानी सरकारी पक्ष ये तर्क रखेगा कि अब तक की जांच में आरोपियों के खिलाफ जो सबूत मिले हैं, उस आधार पर उनके खिलाफ केस चलाया जाए। इसके बाद केस की सुनवाई शुरू होगी।
भोपाल कोर्ट में यह चल रहा है
इस मामले में 16 लोगों की गवाही हो चुकी है। एसआईटी ने जनवरी महीने में हुई पेशी में कहा था कि वे टेलीकॉम अधिकारी की गवाही कराना चाहते हैं, ताकि ये प्रमाणित हो सके कि फरियादी की किन लोगों से बात हुई। आरोपियों के वकील ने तर्क दिया कि सरकारी पक्ष ने टेलीकॉम अधिकारी की गवाही 3 साल में क्यों नहीं कराई? पीड़िता ने पहले कोर्ट को दिए बयान में ये कबूल किया था कि उसे जबरन कुछ लोगों के पास भेजा गया। इसके बदले उसे पैसे मिले थे। लेकिन प्रति-परीक्षण में पीड़िता ने आरोपियों को पहचानने से इनकार कर दिया। फरवरी महीने में इस मामले की अगली सुनवाई होगी। इसमें सुनवाई अंतिम दौर में हैं।
सीनियर ब्यूरोक्रेट्स से लेकर नेताओं तक के नाम होने की आशंका
यह मप्र को सबसे ज्यादा घुमाने वाला चर्चित केस इसलिए हैं, क्योंकि तथाकथित तौर पर इसी मामले में कुछ ब्यूरोक्रेट्स और नेताओं के वीडियो क्लिप बाहर आई थी। हालांकि एसआईटी ने इस मामले में नाम कभी उजागर नहीं किए। तत्कालीन एसआईटी चीफ ने स्वीकार किया था कि उच्चतम वेतनमान वाले आईएएस और आईपीएस के अलावा बीजेपी-कांग्रेस के अनेक नेता भी आरोपी महिलाओं के बेहद नजदीक थे। लेकिन उनके नाम दस्तावेजों पर नहीं लिए गए।
भोपाल केस में इनके नाम लिए गए थे
मानव तस्करी केस में पीड़िता ने अरुण निगम, हरीश खरे सहित छतरपुर के स्थानीय नेता मनोज त्रिवेदी, चुलबुल पाण्डे और टिल्लू और जयपुर के राजेश गंगेले का नाम लिया था। अरुण निगम कांग्रेस सरकार में खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल के विशेष सहायक थे। पीड़िता ने अपने बयान में बताया था कि अरुण निगम के भी वीडियो बने हैं, लेकिन एसआईटी ने इन बिन्दुओं की जांच में क्या पाया, ये सामने ही नहीं आया।
आरोपी महिलाओं को किस तरह और कितना फायदा मिला?
हनी ट्रैप की आरोपी महिलाओं के एनजीओ को सीनियर ब्यूरोक्रेट्स ने कितना फायदा पहुंचाया, इसकी भी अब तक जांच नहीं हो पाई। मानव तस्करी केस की पीड़िता ने आरोपी के एनजीओ दृष्टि और जागृति का भी जिक्र किया था। इनके पास से अफसरों की मुहर भी बरामद हुई थी। तत्कालीन एसआईटी चीफ संजीव शमी ने कहा था कि ये जांच का विषय होगा कि अफसरों ने आरोपी महिलाओं के एनजीओ को किस तरह और कितना फायदा पहुंचाया था। यदि उनकी भूमिका पाई जाएगी तो उनके खिलाफ पद के दुरुपयोग और सरकारी धन के आवंटन में गड़बड़ी का केस दर्ज किया जाएगा।
चार साल में एसआईटी ने कोई खुलासा नहीं किया
कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के दौरान सितंबर 2019 में जब हनीट्रैप का खुलासा हुआ, तब मुख्य सचिव एसआर मोहंती थे। इस पूरे केस की हाई लेवल मॉनिटरिंग हुई। यही वजह थी कि इंदौर में ब्लैकमेलिंग की एफआईआर होने के बाद इसे एक संगठित अपराध मानते हुए भोपाल में आरोपियों के मकान में दबिश देने के लिए एटीएस को जिम्मा दिया गया था। एटीएस के पुलिस अधिकारियों ने ही उस समय आरोपी महिलाओं की गिरफ्तारी की थी और उनके घरों की तलाशी ली थी। इसमें हार्ड डिस्क और कई तरह के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स मिले थे। इसमें आपत्तिजनक वीडियो भी मिले थे।
शिवराज सरकार के समय धीमी हुई जांच
मार्च 2020 में जब शिवराज सरकार आई तो हनीट्रैप की जांच धीमी हो गई। लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले कमलनाथ ने ये कहकर विपक्ष को सकते में डाल दिया था कि उनके पास हनीट्रैप की पूरी पैन ड्राइव है। दिसंबर 2024 में मोहन यादव नए मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने एसआईटी चीफ के तौर पर आदर्श कटियार को जिम्मेदारी दी। कटियार की छवि काफी साफ-सुथरी है। वह अब नए सिरे से पूरी केस डायरी का अध्ययन कर रहे हैं।