BETUL. बगैर अनुमति के आमला में अंतर्राष्ट्रीय सर्वधर्म शांति सम्मेलन का आयोजन कर उसमें बिना अनुमति शामिल होने वाली डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे पर शासन का शिकंजा कसता नजर आ रहा है। इस्तीफे के बाद निशा बांगरे को शासन की ओर से 3 से 4 नोटिस और मिल चुके हैं। डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने कहा कि हालांकि अभी इस्तीफा स्वीकृत होने में लगभग 13 दिन का समय बाकी है, लेकिन यदि इस्तीफा स्वीकृत नहीं हुआ तो कैसे चुनाव लड़ेंगे? निशा बांगरे के इस वक्तव्य से एक बार फिर यह साबित हो रहा है कि उनका मूल उद्देश्य चुनाव लड़ना ही है यह अलग बात है कि वे चुनाव लड़ पाती है या नहीं? इस मुद्दे और अपने साथ हो रही शासकीय- प्रशासकीय कार्यवाही को लेकर शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ से भी मुलाकात कर अपनी व्यथा सुनाई थी।
इस्तीफे की शासकीय प्रक्रिया भी अंडर प्रोसीजर है
डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने कहा कि शासन से मुझे तीन से चार नोटिस और मिल चुके हैं। अभी तक इस्तीफा भी स्वीकृत नहीं हुआ है। चुनाव लड़ने के सवाल पर उनका कहना था कि जब अभी इस्तीफा स्वीकृत ही नहीं हुआ तो चुनाव कैसे लड़ेंगे? उन्होंने कहा कि इस्तीफे की शासकीय प्रक्रिया भी अंडर प्रोसीजर है। कुल मिलाकर फिलहाल निशा बांगरे के मंसूबों पर शासन पानी फिरता नजर आ रहा है। आने वाले समय में यह तय होगा कि ऊंट किस करवट बैठेगा?
सरकार निशा पर कड़ी कार्रवाई करना चाह रही है
कमलनाथ से मुलाकात के बाद हमेशा उत्साहित और आत्मविश्वास से लबरेज नजर आने वाली डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे निराश लगी। बातचीत से ऐसा लगा मानो वे शासन की कार्रवाई से बाहर नहीं निकल पा रही हैं। वहीं ऐसा भी लग रहा है कि सामान्य प्रशासन विभाग निशा का इस्तीफा स्वीकृत करने की बजाए उनके खिलाफ लगातार नोटिस जारी कर कड़ी कार्रवाई करना चाह रहा है। यदि सरकार ने उनका इस्तीफा ही मंजूर नहीं किया तो फिर वे चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगी। अभी इस्तीफा स्वीकृत होने की टाईम लिमिट में लगभग 13 दिन बाकी है। देखना यह है कि जीत किसकी होती है?
निशा से सुनाई व्यथा तो कमलनाथ ने जताई संवेदना
जिले के आमला में बगैर अनुमति के अंतर्राष्ट्रीय सर्वधर्म शांति सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस सम्मेलन में बिना अनुमति के शामिल होने वाली डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे और उनके पति सुरेश अग्रवाल ने शुक्रवार 7 जुलाई को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ से उनके भोपाल निवास पर मुलाकात कर व्यथा सुनाई। कमलनाथ ने भी संवेदना जताते हुए कहा कि अन्याय के खिलाफ लड़ाई में वे और कांग्रेस पार्टी निशा के साथ हैं। लगभग 15 मिनट की इस मुलाकात में निशा बांगरे ने शासन-प्रशासन द्वारा उन्हें किस तरह प्रताड़ित किया जा रहा है यह कमलनाथ को बताया और उनसे आगे की लड़ाई के लिए मार्गदर्शन भी लिया।
कमलनाथ जी को मेरे साथ हो रहे अत्याचार के बारे में बतायाः निशा
बांगरे दम्पति की कमलनाथ से हुई मुलाकात चर्चा का विषय बनी हुई है। कमलनाथ से हुई मुलाकात के संबंध में निशा बांगरे ने कहा कि मैंने कमलनाथ जी को अपने साथ हो रहे अत्याचार के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी कमलनाथ ने प्रेस कांफ्रेंस में मेरा पक्ष रखा था इसको लेकर भी मैंने उनका धन्यवाद ज्ञापित किया है। श्रीमती बांगरे ने अपने साथ हो रही प्रताड़ना और अंतर्राष्ट्रीय सर्वधर्म शांति सम्मेलन के संबंध में विस्तार से कमलनाथ को बताया। निशा बांगरे ने बताया कि कमलनाथ ने उनके साथ हुए अन्याय पर सहानुभूति जताते हुए कहा कि एक दलित महिला अधिकारी के साथ इस तरह से बर्ताव नहीं होना चाहिए। यह गलत है। कमलनाथ ने आश्वासन दिया कि अन्याय के खिलाफ लड़ाई में वे और पूरी कांग्रेस पार्टी निशा बांगरे का साथ देगी।
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शासन-प्रशासन के बिछाए जाल में फंसती दिख रही हैं निशा
अंतर्राष्ट्रीय सर्वधर्म शांति सम्मेलन के आयोजन, डिप्टी कलेक्टर के पद से इस्तीफा देने से लाइम लाइट में आई निशा बांगरे अब शासन के बिछाए जाल में फंसती नजर आ रही है। निशा ने बताया कि उन्हें 3 से 4 नोटिस और मिल चुके हैं। अभी तक शासन ने उनका इस्तीफा भी स्वीकृत नहीं किया है। हालांकि, इस्तीफा देने के एक माह बाद तक अर्थात 22 जुलाई तक इस्तीफा स्वीकृत होने की टाइम लिमिट है। प्रशासनिक जानकारों का मानना है कि निशा बांगरे शासन-प्रशासन के बिछाए जाल में फंसती दिख रही है। यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि वे इस जाल से निकल पाएंगी या फिर इसी में उलझकर रह जाएंगी?
लोगों का कहना- डॉक्टर के मौन स्ट्रोक का असर दिख रहा है
बैतूल जिले से एकमात्र भाजपा विधायक डॉ. योगेश पंडाग्रे ने निशा बांगरे की सक्रियता, आमला में किए गए आयोजन से लेकर अभी तक हो रही सभी गतिविधियों पर चुप्पी साधी हुई है। आमला विधायक डॉ. योगेश को करीब से जानने वालों का कहना है कि योगेश सुनता सबकी है, लेकिन करता मन की है। डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे के मामले में भी योगेश का ऐसा ही एटिट्यूड अभी तक सामने आया है। अंदर से डॉक्टर भले ही निशा की सक्रियता से विचलित हो सकते हैं, लेकिन सार्वजनिक तौर पर उन्होंने कभी यह शो नहीं होने दिया। डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे के मामले में जिस तरह से शासन-प्रशासन के बिछाए जाल निशा फंसती दिख रही हैं उससे तो लोग यही कह रहे हैं- मान गए डॉक्टर...। वैसे भी यह बात सर्वविदित है कि सत्ता के आगे सयान नहीं चलता है। इसी तर्ज पर डॉक्टर मौन रहकर जो स्ट्रोक लगा रहे हैं उसका फिलहाल तो असर दिख रहा है।