अरुण तिवारी, BHOPAL. सीएम मोहन यादव के शपथ लेने के एक सप्ताह बाद भी कैबिनेट का गठन नहीं हो पाया है। मोहन के मन के मंत्रिमंडल पर सहमति नहीं बन पा रही है। वहीं वरिष्ठों और नए चेहरों को लेकर भी सभी एक राय नहीं हो पाए हैं। एक तरफ मोहन यादव की दिल्ली दौड़ जारी है तो दूसरी तरफ सीनियर एमएलए भी अपनी राय देने में पीछे नहीं हैं। अब गुरुवार (21 दिसंबर) को मोहन यादव फिर दिल्ली जाएंगे। वहां पर रात भी रुकेंगे। मंत्रिमंडल को लेकर उनकी मुलाकात जेपी नड्डा और अमित शाह से होगी।
मंत्रिमंडल पर नहीं बन रही सहमति
मध्यप्रदेश की नई सरकार के कैबिनेट बनने में बड़ी अड़चन आ रही है। नए चेहरों को मौका और वरिष्ठ विधायकों के समायोजन पर सहमति नहीं बन पा रही है। एक तरफ मुख्यमंत्री मोहन यादव नए चेहरों को ज्यादा मौका देना चाहते हैं तो वहीं कुछ वरिष्ठ चेहरे ऐसे हैं, जिनको कैबिनेट में शामिल करना जरुरी है। सीएम मोहन यादव इस संबंध में केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा कर चुके हैं। अंतिम चर्चा के लिए वे गुरुवार को फिर दिल्ली जा रहे हैं। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात हो चुकी है। जाहिर है उनकी चर्चा नई कैबिनेट को लेकर भी हुई होगी। वहीं प्रहलाद पटेल,कैलाश विजयवर्गीय और नरेंद्र सिंह तोमर भी अपने समर्थकों को मंत्री बनाना चाहते हैं। इन सब पेंच के बीच कैबिनेट अंतिम रुप नहीं ले पा रही है।
कैबिनेट गठन के ये फॉर्मूले जिन पर चल रही है चर्चा....
- फॉर्मूला नंबर 1 : कैबिनेट का गठन आने वाले लोकसभा चुनाव को नजर में रखकर करना है। हर लोकसभा सीट से एक मंत्री शामिल किया जाएगा।
- फॉर्मूला नंबर 2 : कैबिनेट में सीनियर और जूनियर का तालमेल बनाना है। इसके लिए साठ फीसदी नए चेहरे और चालीस फीसदी वरिष्ठ विधायकों को शामिल किया जा सकता है।
- फॉर्मूला नंबर 3 : विचार इसपर भी किया जा रहा है कि जो तीन बार मंत्री रह चुके हैं उनको नए मंत्रिमंडल में शामिल न किया जाए। हालांकि इसकी जद में अधिकांश वरिष्ठ नेता आ जाएंगे जिससे विवाद की स्थिति बन सकती है।
- फॉर्मूला नंबर 4 : क्षेत्रीय और जातिगत संतुलन साधना आवश्यक है। इसके लिए हर अंचल से और हर जाति वर्ग के विधायक मंत्रिमंडल में शामिल किए जाएंगे।
- फॉर्मूला नंबर 5 : प्रहलाद पटेल,कैलाश विजयवर्गीय,राकेश सिंह, उदय प्रताप सिंह और रीति पाठक को कैबिनेट में शामिल करना आवश्यक।
- फॉर्मूला नंबर 6 : पार्टी सूत्रों की मानें तो दिग्गजों की भूमिका को लेकर पेंच अटका हुआ है। यदि कैलाश विजयवर्गीय मंत्री बनेंगे तो इंदौर से रमेश मेंदोला को एडजस्ट करने में मुश्किल। वहीं प्रहलाद पटेल और राकेश सिंह जैसे नेताओं के पोर्ट फोलियो को लेकर भी आपसी सहमति बनानी होगी।
कल हो सकते है कैबिनेट के चेहरे तय!
मंत्रिमंडल गठन को लेकर सारे दावेदारों की धड़कने बढ़ी हुई हैं। अंदरुनी तौर पर सब अपनी-अपनी लॉबिंग में लगे हुए हैं। सिंधिया समर्थकों की उम्मीदों पर भी पानी फिर सकता है। कोई भी दावेदार कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है। ऐसा माना जा रहा है कि शुक्रवार (22 दिसंबर) को सीएम के दिल्ली लौटने के बाद कैबिनेट को लेकर स्थिति साफ हो जाएगी। संभवत: अगले तीन चार दिनों में नया मंत्रिमंडल अपनी शक्ल ले लेगा। माना ये भी जा रहा है कि कैबिनेट की सूची तैयार कर ली गई है। चूंकि अभी विधानसभा सत्र चल रहा है इसलिए पुरानी परंपरा अनुसार सत्र में बीच में कैबिनेट विस्तार नहीं किया जा रहा। सत्र के बाद कैबिनेट गठन किया जाएगा।