BHOPAL. मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पटवारी परीक्षा को लेकर हुए विवाद पर कहा कि ऐसी कोई अनियमितता हुई ही नहीं। उन्होंने कहा कि कर्मचारी चयन मंडल ने यह परीक्षा ली थी। इसका रिजल्ट मई-जून में आ गया था, लेकिन अब विधानसभा शुरू होने पर अनियमितता का ट्वीट आ रहा है। इस बीच में कोई शिकायत नहीं की गई। नरोत्तम ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के लोग रंजिशन चुनाव के पहले ऐसा कर रहे हैं। तीन साल पहले हुए सीधी के पेशाब कांड का वीडियो अभी ट्वीट होता है। उन्होंने कहा कि ग्वालियर के एनआरआई कॉलेज से 114 छात्रों का चयन हुआ है।
महिलाओं को दिए टोल नाके
वहीं कैबिनेट के अन्य निर्णयों की जानकारी देते हुए मिश्रा ने कहा कि अब मप्र में दो करोड़ से कम कमाई वाले टोल नाके महिला स्वसहायता समूहों को सौंपे जाएंगे। वहीं जिला पंचायत के अध्यक्षों का मासिक मानदेय 1 लाख मासिक होगा। जिला पंचायत के उपाध्यक्ष का मासिक मानदेय 42 हजार किया गया है। जनपद पंचायत के अध्यक्ष का मासिक मानदेय 19,500 रुपए और जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष का मासिक मानदेय 13,500 होगा। पंचों और उपसरपंचों का वार्षिक मानदेय 1800 रुपए सालाना होगा। रोजगार सहायकों का मानदेय 9,000 से बढ़ा कर 18,000 कर दिया गया है। जनपद और जिला पंचायतों के सदस्यों को मिलने वाला मानदेय तीन गुना होगा।
कमलनाथ ने कहा बड़ी गड़बड़ी हुई
पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा है कि प्रदेश में पटवारी भर्ती परीक्षा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के समाचार सामने आ रहे हैं। कई टॉपर एक ही सेंटर पर परीक्षा देकर सफल हुए बताए जा रहे हैं। एक बार फिर फर्जीवाड़े के तार बीजेपी से जुड़े दिख रहे हैं। व्यापाम, नर्सिंग, आरक्षक भर्ती, कृषि विस्तार अधिकारी और ऐसी ही कितनी ही भर्ती परीक्षाओं ने अंत में घोटाले का रूप लिया है। नौकरी देने के नाम पर भर्ती घोटाला करना शिवराज की सरकार का चरित्र बन गया है। इनसे तो जांच की मांग करना भी बेकार है, क्योंकि हमेशा बड़ी मछलियों को बचा लिया जाता है। मेरी मांग है कि कोई स्वतंत्र एजेंसी मामले की जांच करे और उन लाखों बेरोजगारों के साथ न्याय करे जो इन प्रतियोगी और भर्ती परीक्षाओं में शामिल होते हैं। मध्य प्रदेश अब भ्रष्टराज से मुक्ति चाहता है।
गोविंद सिंह ने लिखा जांच के लिए पत्र
इधर नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने सीएम शिवराज को पत्र लिखकर पटवारी भर्ती परीक्षा की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। गोविंद सिंह ने पत्र में लिखा कि रिजल्ट देखकर ऐसा लगता है बड़ी गड़बड़ी हुई है। 10 में 7 टॉपर कैसे एक ही सेंटर NRI कॉलेज के हो सकते है। हिंदी में साइन करने वालों को 25 में से 25 कैसे आए।