छत्तीसगढ़ में गरमाया शराब घोटाला, डिस्टलरी संचालकों और अफसरों की मिली भगत से 2000 करोड़ की चपत

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Vikram Jain
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छत्तीसगढ़ में गरमाया शराब घोटाला, डिस्टलरी संचालकों और अफसरों की मिली भगत से 2000 करोड़ की चपत

याज्ञवल्क्य मिश्रा, RAIPUR. छत्तीसगढ़ में एक बार फिर शराब घोटाला गरमा गया है। सरकार ने इस मामले में प्रदेश के तीन डिस्टलरी संचालकों वेलकम डिस्टलरी बिलासपुर,भाटिया वाईन मर्चेंट मुंगेली और छत्तीसगढ़ डिस्टलरी लिमिटेड दुर्ग के साथ साथ नीतू नोतानी उपायुक्त आबकारी बिलासपुर,विकास गोस्वामी सहायक आयुक्त आबकारी बलौदा बाजार भाटापारा, इकबाल अहमद खान जिला आबकारी अधिकारी रायपुर और अशोक सिंह जिला आबकारी अधिकारी सीएसएमसीएल पार्ट 2 दुर्ग को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। कहा जा सकता है कि ईडी की छापामार कार्यवाही के बाद सरकार इस मामले में जागी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 8 जुलाई को यह संकेत दिए थे कि, शराब घोटाला मामले में डिस्टलर संचालकों पर कार्रवाई हो सकती है। 



ईडी ने शराब घोटाला उजागर किया था



छत्तीसगढ़ में दो हजार करोड़ से अधिक का शराब घोटाला ईडी ने उजागर किया है। ईडी ने इस मामले में अनवर ढेबर को सबसे अहम किरदार बताते हुए कोर्ट में पेश परिवाद में उल्लेख किया है कि, अनवर ढेबर के संबंध चैनल के टॉप पॉलिटिकल बॉस से थे। अनवर ढेबर ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर बगैर ड्यूटी पटाए शराब की बिक्री राज्य सरकार द्वारा संचालित शराब दुकानों से कराई जिससे राज्य सरकार को दो हजार करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ। ईडी के परिवाद में अनिल टूटेजा को अहम कड़ी बताया गया है। ईडी के अनुसार शराब की बोटलें डिस्टलरी से नकली होलोग्राम के साथ निकलती थीं और सरकारी दुकानों से इसकी बिक्री होती थी। 



पीएम मोदी ने सीधे तौर पर शराब घोटाले का जिक्र किया था



यही वह घोटाला था जिसका जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साइंस कॉलेज मैदान से दिए भाषण में किया था। प्रधानमंत्री मोदी के भाषण में शराब घोटाले के जिक्र के साथ यह आरोप भी था कि प्रदेश के सीएम अधिकारी और कई मंत्री घोटालों में शामिल हैं। 



भूपेश बोले डिस्टलरों ने लगाई करोड़ों की चपत



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के करीब चैबीस घंटे बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एयरपोर्ट पर इस घोटाले को लेकर कहा था कि, यदि गड़बड़ी हुई तो डिस्टलरी संचालकों ने की, उन्होंने नकली होलोग्राम लगाए और राज्य को बगैर ड्यूटी शुल्क अदा किए शराब दुकानों तक पहुँचाई। सीएम भूपेश ने संकेत दिये थे कि, आबकारी विभाग इन डिस्टलरी संचालकों पर कार्रवाई करने जा रहा है। बड़ा सवाल ये है कि सीएम भूपेश ने शराब घोटाले में पहले एक्शन लेने की पहल क्यों नहीं की। ईडी की कार्यवाही और प्रधानमंत्री मोदी के आरोप के बाद ही सरकार को इस घोटाले की सुध क्यों आई। क्या इससे पहले सरकार की जानकारी में नहीं था कि आबकारी अफसर और डिस्टलरी संचालक मिलकर सरकार को करोड़ों रुपए की चपत लगा रहे हैं।



डिस्टलरी संचालकों को लिखा गया है



आबकारी विभाग ने डिस्टलरी संचालकों को कारण बताओ नोटिस जारी कर कहा है कि वर्ष 2019-20 से लेकर 2022-23 तक उनके बॉटलिंग यूनिट से सरकार की फीस दिए बगैर अवैध तरीके से शराब की सप्लाई करने की शिकायत मिली है। शिकायत की जांच में प्रारंभिक रुप से ये बात सामने आई है कि आपने बॉटलिंग यूनिट में पदस्थ आबकारी अफसरों से सांठ-गांठ करके सरकार को करोड़ों रुपए की चपत लगाई है। ऐसे में आपका उक्त कृत्य गंभीर किस्म को होकर आबकारी नियमों के प्रावधानों के अनुसार दंडनीय है। क्यों न आपके खिलाफ कार्यवाही की जाए। 



आबकारी अफसरों से भी मांगा जवाब



आबकारी अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इसमें राजनांदगांव, बिलासपुर, बलौदा बाजार भाटापारा,रायपुर और बालोद का जिक्र करते हुए कहा गया है कि वर्ष 2019-22 में आपके प्रभार के जिले में देसी मदिरा बॉटलिंग यूनिट से अवैध रुप से शराब की खेप निकाली गई। ये शराब जिलों में संचालित मदिरा दुकानों से बेची गई। प्रारंभिक जांच में इसकी पुष्टी हो चुकी है। विभाग को मिली शिकायत में कहा गया है कि आप लोगों ने ये सारा खेल डिस्टलरी संचालकों के साथ मिली भगत से किया गया है। इससे सरकार को करोड़ों रुपए की हानि भी हुई। ये कृत्य आपके  सिविल सेवा (आचरण) नियमों के विपरित है। क्यों न आपके खिलाफ कार्रवाई की जाए। 



आबकारी मंत्री को हुई थी शिकायत



आबकारी आयुक्त जनक पाठक से द सूत्र को बताया कि आबकारी मंत्री को किसी ने ये शिकायत की थी। मंत्री ने जांच के लिए उक्त शिकायत को विभाग को भेजा था। प्रारंभिक जांच के बाद संबंधित डिस्टलरी संचालकों और आबकारी अफसरों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं।



ईडी की कार्रवाई में अहम बयान है डिस्टलर संचालकों के



सूत्रों के अनुसार ईडी ने जो कार्रवाई की है उस कार्रवाई के आधार में विभिन्न डिजिटल तथा अन्य अभिलेखों के साथ साथ डिस्टलर संचालकों के बयान भी बेहद अहम साबित हुए हैं। ईडी की ओर से पेश परिवाद में इनका जिक्र है लेकिन यह जिक्र अनवर ढेबर के दबाव और प्रभाव को स्थापित करने के रुप में पेश है।


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