BHOPAL. रामलला अयोध्या के राम मंदिर में विराजमान हो चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे विधि-विधान से रामलला के प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान को संपन्न किया। अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर मध्य प्रदेश में आलीराजपुर के कुम्हारवाड़ा के रहने वाले अयूब खान पठान ने अपने परिवार के साथ हिंदू धर्म अपना लिया। अयूब खान अब राजकुमार और उनकी पत्नी करिश्मा कहलाएंगी। वहीं अयूब खान उर्फ राजकुमार का कहना है कि वह पूर्वजों की गलतियों को सुधार रहे हैं।
अयूब अब कहलाएंगे राजकुमार
अयूब ने हिंदू धर्म अपनाकर अपना नाम राजकुमार रख लिया है। जबकि उनकी उनके 22 वर्षीय पुत्र शाहरुख को नया नाम सुभाष दिया गया है। अयूब से राजकुमार बने युवक का कहना था कि उसे इस्लाम धर्म की बहुत सी चीजों पर आपत्ति थी। वह कभी भी उसमें मैच नहीं हो पाता था। उसका लगाव हिंदू धर्म में था और वहां अधिकतर मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करता था। प्राण प्रतिष्ठा के दिन बाकायदा समारोहपूर्वक अयूब के परिवार का विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने पैर धोकर और अंगवस्त्र पहनाकर हिंदू धर्म में स्वागत किया।
जानकारी के मुताबिक अयूब ने आदिवासी युवती करिश्मा से निकाह किया था। निकाह के बाद भी करिश्मा सनातन धर्म का पालन करती रहीं। अयूब ने इसे लेकर कभी कोई आपत्ति नहीं जताई।
धर्मांतरण कानून क्या है ?
धर्मांतरण कानून एक प्रकार का कानून है, जो धर्म परिवर्तन को नियंत्रित या प्रतिबंधित करता है। इन कानूनों का उद्देश्य धर्म परिवर्तन को हतोत्साहित करना, या इसे केवल कुछ निश्चित स्थितियों में अनुमति देना हो सकता है। भारत में, धर्मांतरण एक व्यक्तिगत अधिकार है। भारत के संविधान में धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार निहित है। कोई भी व्यक्ति अपने इच्छानुसार धर्म परिवर्तन कर सकता है।
हालांकि, कुछ राज्यों में धर्मांतरण को नियंत्रित करने वाले कानून हैं। इन कानूनों में आमतौर पर निम्नलिखित प्रावधान शामिल होते हैं:
- जबरन या लालच देकर धर्म परिवर्तन पर प्रतिबंध
- अल्पसंख्यकों के बीच धर्म परिवर्तन पर प्रतिबंध
- धर्म परिवर्तन के लिए सरकारी अनुमति की आवश्यकता
- इन कानूनों को अक्सर "लव जिहाद" के खिलाफ एक उपाय के रूप में देखा जाता है। "लव जिहाद" एक शब्द है जिसका उपयोग उन मामलों का वर्णन करने के लिए किया जाता है जहां मुस्लिम पुरुष हिंदू महिलाओं को शादी के लिए मनाने के लिए धर्म परिवर्तन करते हैं।
धर्मांतरण कानूनों की आलोचना
धर्मांतरण कानूनों की अक्सर आलोचना की जाती है। आलोचकों का तर्क है कि ये कानून धर्म की स्वतंत्रता का उल्लंघन करते हैं। वे यह भी तर्क देते हैं कि ये कानून अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभावपूर्ण हैं।
धर्मांतरण कानूनों के समर्थन में तर्क
धर्मांतरण कानूनों के समर्थन में कई तर्क दिए जाते हैं। समर्थकों का तर्क है कि ये कानून धर्म परिवर्तन को हतोत्साहित करते हैं, जिससे धर्म के बीच शांति और सद्भाव को बढ़ावा मिलता है। वे यह भी तर्क देते हैं कि ये कानून अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं।
धर्मांतरण कानून एक जटिल मुद्दा है। इन कानूनों के समर्थन और विरोध में मजबूत तर्क दिए जाते हैं। यह तय करना कि क्या धर्मांतरण कानून आवश्यक हैं या नहीं, एक कठिन निर्णय है।