मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की पिछली सरकार के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजस्थान पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक पंच लाइन इस्तेमाल की थी 'जाने क्या दिख जाए'। आज पार्टी के विधायक दल की बैठक में जब खुद वसुंधरा राजे ने उन्हें दी गई पर्ची खोलकर पढ़ी होगी तो शायद उन्हें अपनी ही लाइन याद आ गई होगी। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की जोड़ी ने जिस तरह से छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश में चौंकाया उससे भी बड़ा चौंकाने वाला फैसला राजस्थान में किया। यहां पहली बार के विधायक भजनलाल शर्मा को पार्टी विधायक दल का नेता बना दिया गया यानी भजन लाल शर्मा अब राजस्थान के मुख्यमंत्री होंगे।
सांगानेर से टिकट देने पर जताई थी आपत्ति
भजनलाल शर्मा भरतपुर के रहने वाले हैं और इस बार सांगानेर से विधायक चुने गए हैं। सांगानेर विधानसभा क्षेत्र राजधानी जयपुर का ही एक हिस्सा है और जब भजन लाल शर्मा को टिकट दिया गया था तो उनके प्रतिद्वंद्वी भी कांग्रेस के प्रत्याशी पुष्पेंद्र भारद्वाज ने उन्हें बाहरी बताते हुए चुनाव लड़ा था। यह बात सही भी है क्योंकि जब भजनलाल शर्मा का नाम सांगानेर विधानसभा क्षेत्र के लिए सामने आया था तो इसी क्षेत्र में रहने वाले बहुत सारे लोगों का यह कहना था कि आखिर पार्टी ने किसको टिकट दिया है क्योंकि भजनलाल शर्मा संगठन में तो लंबे समय तक सक्रिय रहे हैं लेकिन प्रदेश की जनता के लिए और खासतौर पर सांगानेर की जनता के लिए वह बहुत परिचित नाम नहीं थे।
48000 वोटों से भी ज्यादा के अंतर से जीते भजनलाल
जब चुनाव चल रहा था तो कांग्रेस के प्रत्याशी पुष्पेंद्र भारद्वाज की तैयारी को देखते हुए यह माना जा रहा था कि इस विधानसभा क्षेत्र से भजनलाल शर्मा यदि जीतेंगे भी तो है जीत बहुत बड़ी नहीं होगी। उनकी जीत को सुनिश्चित इसलिए माना जा रहा था कि सांगानेर भारतीय जनता पार्टी का गढ़ रहा है और यहां से लगातार भाजपा के प्रत्याशी जीतते रहे हैं, इसके बावजूद यह माना जा रहा था कि इस बार पार्टी ने एक बाहरी व्यक्ति को यहां से टिकट देकर इस सीट को खतरे में डाल दिया है लेकिन भजनलाल शर्मा ने सबको गलत साबित किया और वह 48000 वोटों से भी ज्यादा के अंतर से यहां से जीते। और अब पार्टी इन्होने मुख्यमंत्री बना दिया है और जिस प्रत्याशी के बारे में सांगानेर के लोग यह पूछ रहे थे कि आखिर भजनलाल कौन हैं वह आप एक वीआईपी विधानसभा क्षेत्र के रहवासी हो गए हैं।
प्रदेश पदाधिकारी रहकर सहजता से काम किया
बहरहाल पार्टी आलाकमान ने एक बार फिर चौंकाया और जबरदस्त ढंग से चौंकाया क्योंकि भजनलाल शर्मा का नाम एक दो बार सामने तो आया था लेकिन इसे बहुत सीरियसली नहीं लिया गया था। हालांकि, पार्टी में लंबे समय से सक्रिय हैं प्रदेश स्तर पर प्रदेश महामंत्री और प्रदेश उपाध्यक्ष के पद उनके पास लंबे समय से है। वे पहली बार अशोक परनामी के समय प्रदेश पदाधिकारी बने थे और उसके बाद मदनलाल सैनी, सतीश पूनिया और अभी सीपी जोशी के समय भी उनके पास प्रदेश स्तर का पद संगठन में था। यानी आमतौर पर प्रदेश अध्यक्ष जब बदलता है तो उसकी टीम भी बदल जाती है, लेकिन भजनलाल शर्मा उन प्रदेश पदाधिकारी में रहे जो हर अध्यक्ष के साथ सहजता से काम कर रहे थे।
प्रदेश प्रभारी का साथ मिला
सूत्रों का कहना है कि भजनलाल शर्मा को पार्टी में पार्टी के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह का आशीर्वाद प्राप्त है और उनके लिए पूरी लॉबिंग उन्होंने ही की है। चूंकि पार्टी को राजस्थान में एक सामान्य वर्ग का चेहरा चाहिए था और शर्मा लंबे समय से संगठन में सक्रिय थे इसलिए पार्टी के इस खांचे में भी फिट बैठ रहे थे।
राजनाथ ने की राजे से लंबी मुलाकात
राजस्थान में मुख्यमंत्री पद को लेकर लंबी कवायद चली और इस पूरी कवायत में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को मनाना शायद पार्टी के लिए सबसे मुश्किल काम था और इसीलिए राजनाथ सिंह को यहां भेजा गया, क्योंकि वही पार्टी में राजे से सीनियर हैं। जयपुर पहुंचने के बाद राजनाथ सिंह और वसुंधरा राजे के बीच जयपुर के होटल में लंबी बातचीत हुई और उसके बाद राजनाथ सिंह अपनी गाड़ी में ही वसुंधरा राजे को पार्टी मुख्यालय लेकर गए। वहां बैठक के दौरान राजनाथ सिंह ने एक पर्ची वसुंधरा राजे को दी। राज्य में पर्ची खोली तो उनके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान आई और फिर उन्होंने भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाने यानी भारतीय जनता पार्टी विधायक दल का मुखिया बनाए जाने का नाम प्रस्तावित किया। ।
सीएम और डिप्टी सीएम तीनों जयपुर से
पार्टी ने जयपुर शहर की सीट सांगानेर विधानसभा क्षेत्र से भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया है वही दो उपमुख्यमंत्री बनाए गए हैं। इनमें विद्याधर नगर से दिया कुमारी और दूदू विधानसभा क्षेत्र से प्रेमचंद बैरवा को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है। विद्याधर नगर भी जयपुर शहर की सीट है और दूदू भी जयपुर जिले का हिस्सा रहा है। हालांकि, पिछली सरकार ने दूदू को एक अलग जिला बना दिया था।
जातिगत समीकरण साधे
पार्टी ने तीन प्रमुख पदों पर तीन बड़े जाति वर्गों के नेताओं को मौका दिया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ब्राह्मण समुदाय से आते हैं जिसका पूरे प्रदेश में लगभग हर सीट पर असर है। राजस्थान को 33 वर्ष बाद ब्राह्मण समुदाय से मुख्यमंत्री मिला है। भजन लाल शर्मा से पहले ब्राह्मण समुदाय से हरिदेव जोशी राजस्थान के मुख्यमंत्री थे जो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे हैं। दिया कुमारी राजपूत समुदाय से आती हैं और यह समुदाय भी पूरे प्रदेश में असर रखता है। वहीं प्रेमचंद बेरवा अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं और राजस्थान में अनुसूचित जाति वर्ग में मेघवाल और बैरवा समुदाय सबसे ज्यादा संख्या में है। इस तरह पार्टी ने एक जातिगत संतुलन बैठाने की कोशिश की है ताकि इसका फायदा लोकसभा चुनाव में भी मिल सके।
देवनानी बने विधानसभा अध्यक्ष
पार्टी ने वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी को विधानसभा का अध्यक्ष बनाया है। देवनानी सिंधीसमुदाय से आते हैं और अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र से चौथी बार चुनकर विधानसभा में पहुंचे हैं। विधायक के रूप में यह उनकी अंतिम पारी मानी जा सकती है क्योंकि 75 वर्ष की उम्र प्राप्त कर चुके हैं ऐसे में पार्टी ने विधानसभा अध्यक्ष बनाकर उनका एक बेहतर रिटायरमेंट सुनिश्चित कर दिया है।