BHOPAL. राजधानी भोपाल के डेवलपमेंट को लेकर सीएम डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को पहली बैठक की। उन्होंने वीआईपी रोड और BRTS कॉरिडोर को लेकर मंत्री, सांसद, विधायक, महापौर समेत अफसरों से भी डेवलपमेंट के मुद्दे पर चर्चा की। बैठक में डेवलपमेंट प्लान बनाने के भी निर्देश दिए गए।
वीआईपी रोड के चौड़ीकरण को लेकर भी चर्चा हुई
वल्लभ भवन में दोपहर में हुई बैठक में सीएम मोहन यादव ने वीआईपी रोड के चौड़ीकरण के संबंध में जनप्रतिनिधियों के अलावा अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, वित्त नगरीय विकास एवं आवास, परिवहन लोक निर्माण विभाग, कमिश्नर, भोपाल कलेक्टर, निगम कमिश्नर के साथ चर्चा की।
वीआईपी रोड को 6 लेन बनाने को लेकर हो चुकी चर्चा
कमला पार्क से लालघाटी तक वीआईपी रोड के विस्तार का प्रोजेक्ट पिछले कुछ समय से चल रहा है। इस पर पीडब्ल्यूडी और एमपीआरडीसी दोनों ने काम किया है। 8 किमी लंबी वीआईपी रोड को सिक्स लेन करने के प्रोजेक्ट पर सहमति भी हुई थी। हालांकि, पर्यावरणविदों द्वारा हरियाली और तालाब को लेकर चिंता व्यक्त करने पर प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ा था। अब एक बार फिर से वीआईपी रोड के चौड़ीकरण को लेकर चर्चा शुरू हुई है।
जानें BRTS कॉरिडोर को लेकर विस्तार से सबकुछ-
- वर्ष 2009-10 में मिसरोद से बैरागढ़ तक लगभग 24 किमी लंबा बीआरटीएस कॉरिडोर बनाया गया था। तब इस पर 360 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।
- बीसीएलएल और नगर निगम ने 13 साल में कॉरिडोर के रख रखाव पर लाखों रुपए खर्च किए। बावजूद कॉरिडोर से गुजरने वाले लाखों लोगों के लिए यह मुसीबत बना है।
- इसी कॉरिडोर पर सरकार के ही मंत्रियों ने सवाल उठाए थे और रिव्यू करने की बात कही थी।
ये मंत्री और नेता उठा चुके आपत्ति
पिछले साल हबीबगंज अंडरब्रिज के लोकार्पण के दौरान तत्कालीन प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह ने इस कॉन्सेप्ट को ही गलत बताया था। वहीं, मंत्री विश्वास सारंग ने इसे उखाड़ फेंकने की बात कही थी। विधायक रामेश्वर शर्मा, कृष्णा गौर ने भी कॉरिडोर को लेकर आपत्ति की थी।
कॉरिडोर की खासियतें और कमियां...
- एक्सपर्ट की माने तो बीआरटीएस कॉरिडोर की अच्छी बातें भी हैं। जैसे 24 किमी में सड़क की चौड़ाई बढ़ गई। अतिक्रमण हटे और ब्रिज बने। बीआरटीएस नहीं होता तो शायद यह आसान नहीं रहता, लेकिन सिस्टम में कमजोरी ने परेशानी बढ़ाए रखी।
- कॉरिडोर से सिर्फ सिटी बसें ही गुजर रही हैं। दूसरी गाड़ियां नहीं निकल पाई। इस कारण दोनों ओर वाहनों के जाम की स्थिति बन रही है। यदि मिनी बसें या अन्य गाड़ियां कनेक्ट होती तो जाम की स्थिति नहीं बनती।
- इन्हीं कारणों की वजह से दिल्ली से भी कॉरिडोर हट चुका है। कॉरिडोर हटा तो दोनों ओर एक-एक लेन मिल जाएगी। इससे ट्रैफिक का मूवमेंट ठीक होगा, लेकिन इसे हटाने के बाद बसों के लिए भी सिस्टम क्रिएट करना पड़ेगा। ताकि, पब्लिक ट्रांसपोर्ट को यूज करने के लिए भी सुविधा देना पड़ेगा।
- रोड सेफ्टी पर भी ध्यान देना पड़ेगा। बस स्टॉप भी बनाने होंगे। ताकि, बसों के ठहराव के साथ दिव्यांग और सीनियर सिटीजन के लिए व्यवस्था जुटाई जा सके। इसे हटाने के बाद बेहतर नॉन बीआरटीएस सिस्टम देना होगा।
4 साल पहले हुआ था रिव्यू
वर्ष 2019 में भी बीआरटीएस को हटाने को लेकर मामला सुर्खियों में रहा था। तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने बीआरटीएस कॉरिडोर के प्रेजेंटेशन को भी देखा था। रिव्यू भी किया गया था। बाद में सरकार चली गई और कॉरिडोर को लेकर कोई बात नहीं हुई। 2022 में मंत्री सिंह और सारंग समेत अन्य जनप्रतिनिधियों ने फिर से सवाल उठाए थे।
200 से ज्यादा बसें दौड़ रही
बीआरटीएस कॉरिडोर से अभी 200 से ज्यादा सिटी बसें दौड़ रही हैं। जिसमें हर रोज सवा लाख लोग यात्रा करते हैं। इसमें से आधी बसें कॉरिडोर से होकर गुजरती है।
सीएम मोहन यादव ने यह दिए निर्देश
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सभी संभागों के प्रभारी अधिकारियों (ACS और ADG) की बैठक में दिए कई निर्देश दिए हैं-
- कार्यों में पारदर्शिता रहे।
- सरकार की योजनाओं का सुदृढ़ क्रियान्वयन हो।
- कार्यों का सतत मॉनिटरिंग की जाए।
- VIP दौरे के समय जनता को परेशानी न हो, इसका ध्यान रखें।
- कानून व्यवस्था की स्थिति मजबूत रहे।
- शहरों में यातायात प्रबंध सुगम बनाएं।
- मप्र रेल सुविधाएं बढ़ाने पर अध्ययन कर सुझाव दें।
- मिलों के श्रमिकों को राहत का कार्य उज्जैन, इंदौर में हुआ है।
- जेसी मिल, ग्वालियर के श्रमिक को देनदारी की राशि प्रदान करने के लिए रोडमैप बनाएं।
- प्रशासनिक कसावट पर ध्यान दें।
- अधिकारी रात्रि विश्राम कर ग्रामों की समस्याएं हल करें।
- पटवारी एवं ग्राम स्तर के अधिकारी-कर्मचारी जनता को आवश्यक सेवाएं देने के लिए मुख्यालय और मैदान स्तर पर सक्रिय रहें।
- पुलिस कर्मियों की आवास व्यवस्था बेहतर बनाएं। इसकी सीनियर अफसर निरंतर समीक्षा करें।
- मंगलवार की जनसुनवाई के साथ जनता की समस्याएं प्रतिदिन हल की जाएं।
- मध्यप्रदेश को विकास और कानून व्यवस्था में मिसाल के रूप में स्थापित करें।