सूर्यप्रताप सिंह, BHOPAL. मध्य प्रदेश में नई सरकार के बनने के बाद स्वास्थ्य विभाग में अजीबोगरीब निर्णय लिए जा रहे हैं। ये फैसले कहीं ना कहीं मरीजों के हित में ना होकर उनके लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं। यहां नए अस्पताल को आगे बढ़ाने के चक्कर में पुराने की सुविधाओं को खत्म करने का कोशिश जारी है। डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल के एक निर्देश के बाद हुए बदलाव का असर जय प्रकाश शासकिय हॉस्पिटल (जेपी) पर पड़ा है। यहां गायनिक यूनिट (स्त्री रोग विभाग) में डॉक्टर्स की संख्या कम होने से महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
जय प्रकाश हॉस्पिटल पर पड़ा बदलाव का असर
दरअसल, डिप्टी सीएम एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कुछ दिन पहले भोपाल के डॉ. कैलाशनाथ काटजू अस्पताल का निरीक्षण किया था। इस दौरान डिप्टी सीएम ने मरीजों की संख्या ज्यादा न होने पर नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ाने के साथ डॉक्टर्स की संख्या बढ़ाने की बात कही। जिसके बाद डॉक्टर्स को यहां से वहां किया गया है। इस बदलाव का सीधा असर जय प्रकाश हॉस्पिटल (जेपी) पर पड़ा। दो दिन पहले ही जेपी अस्पताल के गायनिक विभाग के करीब 6 डॉक्टर्स को काटजू अस्पताल में भेजा गया है। अब जेपी अस्पताल पहुंच रही गर्भवती महिलाओं को काटजू जाने की सलाह दी जा रही है। जिसके बाद महिलाओं और परिजनों को परेशान होते देखा जा रहा है।
जेपी के गायनिक यूनिट को बंद करने की तैयारी!
उप मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद विभागीय अधिकारियों ने आनन फानन में जेपी अस्पताल के 6 महिला डॉक्टर्स का काटजू में ट्रांसफर कर दिया। अधिकारियों का मानना है कि जेपी की गायनिक यूनिट (स्त्री रोग विभाग) खत्म कर काटजू अस्पताल को ही महिला चिकित्सालय के रूप मे स्थापित किया जाएगा।
काटजू में बढ़ रही मरीजों की संख्या
जेपी अस्पताल में डॉक्टर्स की संख्या कम होने से मरीज अब काटजू जाने को मजबूर हैं। जहां पहले काटजू की ओपीडी में 50 से 60 गर्भवती महिलाएं इलाज के लिए पहुंचती थी अब वहां संख्या बढ़कर 100 पहुंच गई है। पहले काटजू में 5 से 6 डिलीवरी हुआ करती थी वो अब बढ़कर 20 हो गई है।
दो डॉक्टर्स के भरोसे चल रहा विभाग
जेपी का गायनिक विभाग दो डॉक्टर्स के भरोसे चल रहा है, डॉक्टर्स कम होने के कारण मरीजों के परेशान होना पड़ रहा हैं मरीज काटजू अस्पताल जाने को मजबूर है, जेपी में जहां पहले एक दिन में 20 से 25 डिलेवरी हुआ करती थीं वो घटकर अब 10 से नीचे पहुंच गई है, डॉक्टर्स भी मरीजों को भर्ती करने से परहेज कर रहे है।