Raipur. छत्तीसगढ़ में अब बहुआयामी गरीबी से लोग बाहर आ रहे हैं। पिछले 5 सालों में 40 लाख लोगों ने अपने जीवन में परिवर्तन पाया है और बहुआयामी गरीबी से बाहर आ गए हैं। मिली जानकारी के मुताबिक शहरों की तुलना में गांवों में गरीबों की संख्या तेजी से कम हुई है। प्रदेश के तीन जिलों कबीरधाम, सरगुजा और दंतेवाड़ा में 23 से 25 फीसदी लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। यह जानकारी नीति आयोग की रिपोर्ट से निकली है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के 4 जिले ऐसे हैं जहां गरीबी का अनुपात 10 फीसदी से नीचे रह गया है। छत्तीसगढ़ में 2015-16 और 2019-21 के बीच 13.53 फीसदी लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं, 2020 की प्रोजेक्टेड जनसंख्या के हिसाब से यह संख्या 39 लाख 90 हजार से ज्यादा है। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली आबादी का अनुपात राज्य में 2015-16 में 29.90 प्रतिशत था, जो 2019-21 में घटकर 19.37 फीसदी रह गया है। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में यह गिरावट 16.07 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि शहरी क्षेत्रों में 5.58 फीसदी लोग ही गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं।
4 जिलों की स्थिति बेहतर
नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ के 4 जिलों में गरीबी का अनुपात 10 फीसदी से भी कम है। राज्य के 4 जिलों में रायपुर में 8.73 फीसदी, दुर्ग में 3.55 फीसदी, धमतरी में 5.81 फीसदी और बालोद में 5.77 फीसदी गरीब हैं। नीति आयोग ने बहुआयामी गरीबी की प्रगति की समीक्षा 12 संकेतकों के आधार पर की है। पिछले 5 वर्षों में राज्य ने इन सभी सूचकांकों में उल्लेखनीय सुधार किया है । जिन सूचकांक में सुधार किया गया है उनमें पोषण (-7.90), स्वास्थ्य (-1.00), मातृत्व सभी 12 संकेतकों स्वास्थ्य (-4.49), स्कूली शिक्षा के वर्ष (-2.89), स्कूलों में उपस्थिति (-0.12), खाना पकाने का ईंधन (12.19) स्वच्छता ( 42.21) पीने का पानी (-9.77) बिजली ( 2.45) आवास ( 8.25) सपंत्ति (-4.41) और बैंक खाते (-1.19) शामिल हैं।
बीजापुर में बढ़ी गरीबी!
वहीं इस रिपोर्ट के मुताबिक जहां एक ओर प्रदेश की हालत अच्छी है। वहीं पुराने जिलों में बीजापुर में ही गरीबी कम होने के बजाय बढ़ गई है। मिली जानकारी के मुताबिक यहां हेड काउंट रेशियो में 8.52 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 2020 की जनसंख्या के हिसाब से देखें तो यहां करीब 23 हजार बहुआयामी गरीब बढ़े हैं। बाद में बने राज्य के 9 और जिलों बालोद, बलौदाबाजार, बलरामपुर, बेमेतरा, मुंगेली, सुकमा, सूरजपुर, कोंडागांव और गरियाबंद में भी करीब 8 लाख लोग गरीबी से बाहर आ गए हैं ।