संजय गुप्ता, INDORE. उज्जैन में आई आंधी-तूफान के दौरान महाकाल लोक में लगी सप्तऋषियों की मूर्तियों के गिरने और टूटने के मामले में लगी जनहित याचिका इंदौर हाईकोर्ट से खारिज हो गई है। कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने यह याचिका लगाई थी और यही खारिज होने का बड़ा कारण बनी।
चुनाव में माइलेज हासिल करने के लिए लगाई याचिका
याचिका में मिश्रा ने खुद को समाजसेवी बताया था। लेकिन शासन की ओर से सीनियर एडवोकेट जनरल प्रशांत सिंह और एडिशनल एडवोकेट जनरल आनंद सोनी ने तर्क रखे कि वह कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता है। यह याचिका आने वाले समय में विधानसभा चुनाव के लिए माइलेज हासिल करने के लिए लगाई गई है। जो विविध नियमों के तहत सुनवाई योग्य नहीं है।
हाईकोर्ट डबल बैंच ने दो आधार पर कर दी खारिज
हाईकोर्ट इंदौर डबल बैंच ने सुनवाई के दौरान यह पाया कि मिश्रा कांग्रेस के प्रवक्ता है जो जनहित याचिका के विविध नियमों के तहत सही नहीं है, दूसरा यह है कि मामले में लोकायुक्त ने खुद संज्ञान लेते हुए मामले की जांच शुरू कर दी है, ऐसे में इस याचिका में उठाए गए मामले में आगे सुनवाई की जरूरत ही नहीं है, अभी लोकायुक्त की जांच रिपोर्ट भी आना बाकी है। इसके आधार पर डबल बैंच ने याचिका खारिज कर दी।
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याचिका में मिश्रा ने भ्रष्टाचार, षडयंत्र की बात उठाई थी
इस याचिका में मिश्रा ने मप्र शासन, नगरीय प्रशासन विभाग, संभागायुक्त उज्जैन, कलेक्टर उज्जैन, एसपी उज्जैन, टीआई महाकाल उज्जैन, डायरेक्टर मेला कार्यालय, मेसर्स एमपी बाबरिया , मारूतीनंदन सोसायटी, मेसर्स डीएच पटले , मेसर्स गायत्री इलेक्ट्रिकल को पार्टी बनाया था। उन्होंने याचिका में कहा था कि इस मामले की हाईकोर्ट के रिटायर जज की कमेटी द्वारा जांच कराई जाना चाहिए, इसमें भ्रष्चाचार हुआ है और यह आपराधिक षडयंत्र हुआ है। सभी जिम्मेदारों को सस्पेंड किया जाना चाहिए। कंपनियों को आडिट के बिना आगे पेमेंट नहीं किया जाए। साथ ही जिमेदारों पर आपराधिक केस होना चाहिए।