सागर के बड़तूमा में 12 अगस्त को रैदास मंदिर का भूमिपूजन करेंगे PM मोदी, विरोध खत्म, जानिए क्यों हुई थी कुर्रापुर में मंदिर की मांग

author-image
Rahul Garhwal
एडिट
New Update
सागर के बड़तूमा में 12 अगस्त को रैदास मंदिर का भूमिपूजन करेंगे PM मोदी, विरोध खत्म, जानिए क्यों हुई थी कुर्रापुर में मंदिर की मांग

SAGAR. सागर के बड़तूमा में 12 अगस्त को पीएम नरेंद्र मोदी रैदास मंदिर की आधारशिला रखेंगे। करीब 1 हफ्ते पहले विरोध शुरू हुआ था कि मंदिर बड़तूमा की जगह कुर्रापुर में बनाया जाए। 1 अगस्त को श्री गुरु रविदास सेकुलर पब्लिक स्कूल समिति के अध्यक्ष संत पंचमदास ने ये मांग की थी। उन्होंने कलेक्टर को सीएम के नाम ज्ञापन दिया था।



मंदिर को लेकर हुआ विरोध खत्म



5 अगस्त को संत पंचमदास ने वीडियो जारी करके 102 करोड़ की लागत से बनने वाले संत रविदास के भव्य मंदिर निर्माण का स्वागत किया। 1 अगस्त को विरोध और 5 अगस्त को पक्ष में बयान देने की वजह का खुलासा नहीं हुआ है। कोई अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है। बताया जा रहा है कि अधिकारियों से मुलाकात के बाद पंचमदास ने विरोध वापस ले लिया।



संत पंचमदास ने बताई कुर्रापुर में मंदिर की मांग की वजह



श्री गुरु रविदास सेकुलर पब्लिक स्कूल समिति के अध्यक्ष संत पंचमदास ने बताया कि संत रविदास महाराज का सागर से पुराना नाता है। वे सागर के कर्रापुर में करीब 600 साल पहले आए थे। उस वक्त कर्रापुर कुंतलपुर के नाम से जाना जाता था। इसके बाद इसका केहरपुर नाम हुआ। अभी इसे कर्रापुर के नाम से जानते हैं। संत रविदास बनारस से चित्तौड़गढ़ जा रहे थे, तभी वे कर्रापुर में रुके थे। यहां उन्होंने अपने अनुयायियों को सत्संग सुनाया था। उस समय कर्रापुर में राजा चंद्रहास का राज हुआ करता था। राज्य में जब किसी संत के आने की सूचना राजा चंद्रहास तक पहुंची तो वे मिलने के लिए पहुंचे।



उन्होंने राजा से कहा था- कोई अमर निशानी बनवा देना



राजा चंद्रहास ने संत रविदास महाराज से महल चलने का आग्रह किया, लेकिन वे गए नहीं। उन्होंने राजा को बोला कि मेरे जाने के बाद यहां कोई अमर निशानी बनवा देना। इसके बाद संत रविदास महाराज की याद में राजा चंद्रहास ने कर्रापुर में रैदास कुंड का निर्माण कराया था। कुंड निर्माण के दौरान कुंड का नाम रैदास कुंड रखकर उसमें शिला लगवाई। रैदास कुंड वर्तमान में भी कर्रापुर में मौजूद है। इस समय कर्रापुर में गुरु रविदास आश्रम धाम है। जहां संत रविदास महाराज के दर्शन करने के लिए देश-विदेश के अनुयायी पहुंचते हैं। इस ऐतिहासिक स्थान पर आज भी संत रविदास की याद में बनाया गया रैदास कुंड मौजूद है। देखरेख के अभाव में ये कुंड जर्जर हो चुका है।



कुर्रापुर में गुरु रविदास का आश्रम



कुर्रापुर में गुरु रविदास का 45 साल पुराना आश्रम है। राजा चंद्रहास द्वारा कुंड के नामकरण के दौरान लगाई शिला आश्रम में रखी है। ब्रह्मलीन संत काशीदास महाराज ने संत रविदास महाराज विचारों के प्रचार के लिए यहां आश्रम बनाया गया था। काशीदास महाराज ने ही सालों पहले संत रविदास महाराज के मंदिर का निर्माण कराया था। 1989 में कुर्रापुर में प्राइमरी स्कूल बनाया गया। कर्रापुर आश्रम से संत रविदास के विचारों का प्रचार-प्रसार दुनिया के 65 देशों में हुआ।



ये खबर भी पढ़िए..



गुना में MBA पासआउट युवक ने नौकरी छोड़कर शुरू की गुलाब की खेती, आज हर महीने लाखों की कर रहा कमाई



प्रशासन के दखल से खत्म हुआ विरोध



बड़तूमा में संत रविदास मंदिर बनाने की घोषणा के बाद कर्रापुर आश्रम और अनुयायियों ने विरोध शुरू कर दिया था। संत पंचमदास ने प्रशासन को ज्ञापन देकर मंदिर का निर्माण कर्रापुर में कराने की मांग की थी। कर्रापुर में संत रविदास आए थे, लेकिन बड़तूमा से संत रविदास का कोई नाता नहीं है। प्रशासन ने आश्रम के संचालक और संतों से मुलाकात की। बातचीत के बाद विरोध खत्म हो गया।


Raidas Temple in Sagar Saint Ravidas PM Modi will do Bhumi Pujan of Raidas Temple Kurrapur Badtuma सागर में रैदास मंदिर संत रविदास पीएम मोदी करेंगे रैदास मंदिर का भूमिपूजन कुर्रापुर बड़तूमा