छग में ऐसे कैसे स्कूल चले हम! महासमुंद के स्कूली बच्चे शिक्षक न होने से नाराज, बिलासपुर और मनेंद्रगढ़ में भी हालात कुछ ठीक नहीं? 

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Harmeet
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छग में ऐसे कैसे स्कूल चले हम! महासमुंद के स्कूली बच्चे शिक्षक न होने से नाराज, बिलासपुर और मनेंद्रगढ़ में भी हालात कुछ ठीक नहीं? 


 

Raipur. छत्तीसगढ़ में शिक्षकों की कमी को लेकर छात्रों में नारागजी देखी जा रही है। दरअसल रायपुर के मुख्यमंत्री निवास के सामने महासमुंद के छात्रों ने अपनी कॉपी-किताब और बस्ता रख दिया है। छात्रों का कहना है कि पिछले 6 साल से एक ही शिक्षक है। शिक्षक नहीं होने से पढ़ाई ही नहीं हो पा रही है। छात्रों के साथ पहुंचे परिजनों ने भी सीएम हॉउस के सामने हंगामा किया है। लगभग सैकड़ों की संख्या में रायपुर के सीएम हॉउस के सामने पहुंचे छात्रों ने शिक्षकों की मांग की है। पूरा मामला महासमुंद के अमलोर स्कूल का हैं। 




पिछले 6 सालों से सिर्फ एक ही शिक्षक 



मिली जानकारी के मुताबिक महासमुंद के अमलोर स्कूल में पिछले 6 सालों से केवल एक शिक्षक हैं। वहीं एक ही शिक्षक के भरोसे ही स्कूल के सभी कक्षाओं की पढ़ाई चल रही है। वहीं इस शिक्षा व्यवस्था से परेशान होकर बच्चे और पालकगण रायपुर के मुख्यमंत्री निवास पहुंचे हैं, जहां स्कूली बच्चों ने पुस्तक-कॉपी और बैग रख दिया। पालकों का कहना है कि स्कूल की व्यवस्था नहीं सुरधने से उनके बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। इसके साथ ही छात्रों और उनके परिजनों ने जल्द व्यवस्था दुरुस्त करने की मांग की है। 



द सूत्र ने शिक्षा मंत्री से की बात 



पूरे मामले में जब द सूत्र ने शिक्षा मंत्री प्रेम साय सिंह टेकाम से बात की तो शिक्षा मंत्री का कहना है कि शिक्षकों की कमी तो है, लगातार स्कूलें खुल रही हैं। इस संबंध में DA को तत्काल निर्देश दिया गया है कि इसकी समुचित व्यवस्था करें और पढ़ाई व्यवधान ना हो। वहीं अभी भर्ती प्रक्रिया चल रही है। जब प्रक्रिया होगी तो उसमें निश्चित रूप से लोग कोर्ट गए हुए हैं। दिक्कतें हैं फिर भी व्यवस्था की जाएगी। किसी भी स्कूल में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित ना हो इसकी पूरी व्यवस्था की जाएगी। 



मनेंद्रगढ़ में शराब के नशे में शिक्षक!



मनेंद्रगढ़ के केराबहरा में शासकीय प्राथमिक शाला में शिक्षक शराब के नशे में धुत दिखाई देते हैं। प्राथमिक शाला में केवल एक टीचर है जो कि शराब के नशे में ही रहते हैं। पिछले दिनों शिक्षक का शराब के नशे में वीडियो वायरल हुआ था, जिसके बाद पास के ही गांव से दूसरे शिक्षकों को यहां पढ़ाने के लिए भेजा गया। जैसे ही शिक्षक आए तो गांव वालों ने उन्हें घेर लिया और खूब खरी खोटी सुनाई।



बिलासपुर में भी यही हाल!



बिलासपुर के घुट्कु प्राइमरी स्कूल में भी यही हालात हैं। यहां भी केवल एक टीचर है लेकिन बच्चों को यहां पहुंचने के लिए काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। स्कूल तक जाने के लिए बच्चों को रेलवे की पटरियां पार करनी पड़ती है। कुल मिलाकर यह तीनों तस्वीरें छत्तीसगढ़ की शिक्षा विभाग की पोल खोल रही है। छत्तीसगढ़ में 48 हजार 300 से ज्यादा सरकारी स्कूल है। वहीं विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट में सरकार ने खुद माना है कि 15 सौ से ज्यादा स्कूलों के पास खुद के भवन नहीं है और 2500 से ज्यादा स्कूलों के भवन जर्जर है। ऐसा नहीं है कि स्कूलों पर खर्च नहीं होता हाल ही में स्कूल शिक्षा विभाग ने 2000 करोड़ रुपए का बजट बनाया लेकिन यह पैसा जा कहां रहा है समझ नहीं आ रहा।



सीएम भूपेश बघेल का ट्वीट



वहीं 3 जुलाई को सीएम भूपेश बघेल के ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट हुआ। जिसमें लिखा था विश्व बैंक कहता है कि छत्तीसगढ़ में 50 फ़ीसदी विद्यालय सरकार द्वारा चलाए जाते हैं। राज्य सरकार इन विद्यालयों को न केवल पठन-पाठन की दृष्टि से आधुनिक बना रही है। बल्कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में इन्हें देश के सर्वश्रेष्ठ विद्यालय बनाने के लिए भी संकल्पित हैं। वहीं वर्ल्ड बैंक से 300 मिलियन का कर्ज भी राज्य सरकार ने लिया है। इस पर ही सवाल खड़ा हो रहा है कि जब शिक्षक ही नहीं होंगे तो स्कूल आधुनिक कैसे बनेंगे?


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