BHOPAL. आरक्षक भर्ती परीक्षा में हुए फर्जीवाड़े के एक मामले में ग्वालियर में सीबीआई की विशेष अदालत ने सजा सुनाई है। विशेष अदालत ने तीन आरोपियों को दोषी पाए जाने पर चार-चार साल की सजा सुनाई है और 42000 का अर्थ दंड भी लगाया है। इस मामले में कुल चार आरोपी थे जिनमें से एक आरोपी सरकारी गवाह बन गया। इस आधार पर तीन आरोपियों को सजा सुनाई गई है। यह मामला सितंबर 2012 का है।
इस तरह हुआ था खुलासा
सितंबर 2012 में हुई आरक्षक भर्ती परीक्षा में मुरैना के रहने वाले दधिबल सिंह ने अपने स्थान पर राजस्थान के धौलपुर में रहने वाले सुनील कुमार को सॉल्वर बनाकर परीक्षा में बिठाया था, लेकिन परीक्षा में फोटो मिसमैच हुई और हस्ताक्षर भी सही नहीं थे जिसके आधार पर सुनील कुमार को पर्यवेक्षकों ने पकड़ लिया था। इसके बाद जब सुनील से पूछताछ की गई तो इस बात का खुलासा हुआ था कि दधिबल सिंह ने आगरा निवासी करतार सिंह से संपर्क किया था और करतार सिंह ने फिरोजाबाद के रहने वाले विजय तोमर को दधिबल सिंह से मिलवाया था।
करतार के बयान के आधार पर सजा सुनाई
इसके बाद विजय तोमर ने परीक्षा में सॉल्वर के रूप में बैठने के लिए सुनील से बात की थी और इसके बाद सुनील को पैसे भी दिलवाए थे। इस बात की पुष्टि सरकारी गवाह बने करतार ने भी की है। जिसके आधार पर विशेष न्यायालय ने इस मामले में दधिबल सिंह समेत सॉल्वर सुनील कुमार और दलाल विजय तोमर को दोषी ठहराया है और उन तीनों को चार-चार साल की सजा सुनाई है और 42000 का अर्थ दंड भी लगाया है।
धांधलियां सामने आने के बाद CBI जांच चली
व्यापमं घोटाला देश का चर्चित घोटाला रहा है, जिसकी वजह से बीजेपी और शिवराज सिंह चौहान की सरकार को कई आरोपों का सामना करना पड़ा था। व्यापमं एक प्रोफेशनल एग्जाम बोर्ड है, जिसका नाम बदलकर प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड और अब कर्मचारी चयन मंडल करना पड़ा। इसका काम सरकारी विभागों के लिए रिक्त पदों को भरने उम्मीदवारों की परीक्षा कराना होता था, लेकिन इसकी आयोजित परीक्षाओं में बड़े स्तर पर धांधलियां सामने आईं और बाद में इसकी सीबीआई जांच चली। सीबीआई जांच के दौरान कई को सजा हुई, जबकि कई की संदेहास्पद परिस्थितियों में मौत भी हो चुकी है। कुल मिलाकर व्यापमं ने मप्र सरकार की छवि को खासा नुकसान पहुंचाया था और अब इस मामले में दोषी लोगों को सजाएं मिलना शुरू हो गई हैं।