Raipur. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बुधवार को मध्य प्रदेश के अमरकंटक में नर्मदा मां दरबार में पहुंचे हैं। यहां मुख्यमंत्री नर्मदा मंदिर में पूजा पाठ करने के साथ ही ग्यारह रुद्राभिषेक भी किया है। विधानसभा चुनाव के ठीक पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का अमरकंटक दौरे के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। नर्मदा मंदिर के पुजारी उमेश द्विवेदी का कहना है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सीएम बनने के बाद अक्सर मंदिर आते रहे हैं। विदित हो कि यह खबरें वे राजनीतिक रुप से जब भी संकट में घिरे वे अमरकंटक जरुर पहुंचे हैं।अमरकंटक के पुजारियों ने बताया है कि रुद्राभिषेक का कार्यक्रम देर शाम तक चला।
सीएम बनने के बाद बघेल पांचवी बार पहुंचे अमरकंटक
सीएम भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बनने के बाद पांचवी बार नर्मदा जी की ठौर पर आए हैं।उन्होंने ग्यारह रुद्राभिषेक भी करवाया है। उमेश द्विवेदी उर्फ बंटी महाराज, कामता प्रसाद द्विवेदी, राजेश द्विवेदी मुख्यमंत्री के रुद्राभिषेक में मुख्य पुजारी की भुमिका में रहे। इस आयोजन में कुल 7 पुजारियों ने सम्पन्न कराया है। विदित हो कि नर्मदा जी को शिव की मानस पुत्री माना जाता है।वहीं रुद्राभिषेक से शिवजी की कृपा मिलती है। नर्मदा के तट पर शिवजी का रुद्राभिषेक किए जाने को विशिष्ट माना जाता है।
रुद्राभिषेक करने से क्या फल मिलता है?
पंडित कमलेश मिश्र के अनुसार किस पदार्थ से रुद्राभिषेक हो रहा है यह उसके फल पर निर्भर करता है। जैसे दूध से रुद्राभिषेक कराने से सुख शांति मिलती है। गन्ने के रस से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। शहद से भी लक्ष्मी की वृद्धि के लिए रुद्राभिषेक कराया जाता है। घी से करने पर वैभव की प्राप्ति होती है। दही से करने पर पशु और रक्षा वहीं पुष्प जल से रोग नाश के लिए रुद्राभिषेक किया जाता है। जल से कराने से सामान्य शांति मिलती है और सरसों के तेल से विजय और शत्रुओं का संहार होता है। इसके साथ ही किसी भी संकल्प के साथ विजय के लिए रुद्राभिषेक किया जा सकता है।