Raipur। छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने प्रत्याशियों के आवेदन मंगाने की प्रक्रिया शुरु कर दी है। इस प्रक्रिया में आवेदन ब्लॉक अध्यक्ष के पास जमा होगा। ब्लॉक से यह ज़िला कमेटी और फिर प्रदेश कमेटी के पास पहुँचेगा। लेकिन क़रीब दस विधानसभा सीटों पर खुद ज़िलाध्यक्ष ही दावेदार हैं, ऐसे में निष्पक्षता की चुनौती संगठन के सामने है।पीसीसी ऐसे ज़िलों को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरतेगी ऐसे संकेत हैं।
कौन कौन से ज़िलों में ज़िलाध्यक्ष हैं दावेदार
छत्तीसगढ़ में क़रीब दस ज़िले ऐसे हैं जहां ज़िलाध्यक्ष ही टिकट के दावेदार है। आठ जगहों पर तो हलचल सार्वजनिक है। इनमें राघवेन्द्र सिंह जांजगीर, विजय केशरवानी बिलासपुर,सागर सिंह बैस मुंगेली, हितेन्द्र ठाकुर बलौदा बाजार, चन्द्रप्रभा सुधाकर बालोद, सुभद्रा सलाम कांकेर, ऊधो वर्मा रायपुर ग्रामीण और रश्मि चंद्रा महासमुंद।
क्यों है प्रदेश नेतृत्व के लिए चुनौती
पार्टी ने टिकट चयन की जो प्रक्रिया बनाई है, उसमें आवेदन ब्लॉक अध्यक्ष को देना है। ब्लॉक कमेटी आवेदनों पर अपनी संस्तुति के साथ ज़िलाध्यक्ष को भेजेगी, जहां डीसीसी बैठक कर के लिस्ट को शॉर्टलिस्ट करेगी और फिर पीसीसी को भेजेगी। अब जहां पर खुद ज़िलाध्यक्ष ही दावेदार हैं, वहाँ यह निष्पक्षता कैसे रहेगी इसे लेकर दावेदारों के मन में स्वाभाविक सवाल है। कार्यकर्ताओं के मन की बात के अनुरूप प्रत्याशी का चयन हो और पूरी प्रक्रिया पारदर्शी हो इस उद्देश्य के साथ यह प्रक्रिया अपनाई गई है।अब ऐसे में पीसीसी उन ज़िलों से आने वाली सूची को लेकर विशेष सतर्कता बरतेगी ऐसे संकेत हैं।
एक तरीक़ा यह भी है
यह स्वाभाविक है कि, प्रक्रिया के तहत ज़िलाध्यक्ष अपने ब्लॉक अध्यक्ष को आवेदन देंगे और यदि ब्लॉक से वह आवेदन डीसीसी पहुँचता है तो ज़िलाध्यक्ष उस समय खुद को पृथक कर ले जबकि आवेदनों पर विचार चल रहा हो। लेकिन इस आदर्श कल्पना के बावजूद यह मानना थोड़ा मुश्किल है कि, तटस्थता और निष्पक्षता रह सकेगी। यह देखना होगा कि, आखिर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ऐसे ज़िलों को लेकर कौन सा तरीक़ा अमल में लाती है, जिससे प्रत्याशियों को यह लगे कि, उनके साथ कोई पक्षपात नहीं हुआ है।