Raipur। छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में ईडी ने नोएडा में रिटायर्ड आईएएस अनिल टूटेजा, सीएसएमसीएल के एमडी रहे अरुणपति त्रिपाठी, आबकारी विभाग के आयुक्त रहे निरंजन दास और कारोबारी अनवर ढेबर समेत पाँच के खिलाफ एफ़आइआर दर्ज कराई है। ईडी की ओर से दर्ज एफ़आइआर में वे प्रेडिकेट अफेंस हैं जिनसे ईडी को कार्यवाही का आधार मिलता है।
क्या कहा गया है एफ़आइआर में
एफ़आइआर का आधार होलोग्राम को बताया गया है। ईडी की ओर से दर्ज एफ़आइआर में उल्लेख है कि, ईडी ने छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में मनी लॉंड्रिंग की जाँच करते हुए पाया है कि, इस घोटाले में प्रिज्म होलोग्राफी सेक्योरिटी फिल्मस की अहम भूमिका है। इसे गलत तरीक़े से होलोग्राम बनाने का काम दिया गया।इन नक़ली होलोग्राम के ज़रिए घोटाले को अंजाम दिया गया। यह होलोग्राम नोएडा में बने और यह काम शराब सिंडिकेट ने दिया।ईडी ने एफ़आइआर में उल्लेख किया है कि, प्रिज्म होलोग्राम के संचालक विधू गुप्ता ने ईडी को दिए बयान में छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में होलोग्राम को लेकर अपनी भुमिका स्वीकारी है।
क्या है शराब घोटाला
ईडी ने छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले से मनी लॉंड्रिंग की जाँच शुरु की है।ईडी का आरोप है कि, राज्य की शराब दुकानों में नक़ली होलोग्राम से शराब सप्लाई की गई। इससे राज्य को दो हज़ार करोड़ से अधिक का नुक़सान हुआ। ईडी ने इस मामले में अनवर ढेबर,अरुण पति त्रिपाठी, त्रिलोक ढिल्लन समेत एक अन्य को गिरफ़्तार किया था।
ईडी के लिए एफ़आइआर क्यों जरुरी थी
ईडी ने शराब घोटाला मामले में कार्यवाही शुरु की थी। ईडी की कार्यवाही का आधार आयकर विभाग का दिल्ली के तीस हज़ारी कोर्ट में दायर परिवाद था। उस परिवाद पर विधिक प्रश्न खड़े हो गए। सेशन जज धीरज मोर ने परिवाद पर लिए गए सीजीएम कोर्ट के फ़ैसले पर रोक लगा दी। इस रोक से ईडी की कार्यवाही पर क़ानूनी सवाल खड़े हो गए।सुप्रीम कोर्ट ने सेशन जज कोर्ट के फ़ैसले को आधार मानते हुए ईडी को कार्यवाही से रोक दिया और कहा कि, ईडी के पास जब भी प्रेडिकेट अफेंस के साथ एफ़आइआर मिले वह कार्यवाही जारी करने के लिए हमारी अदालत से अनुमति ले सकती है।सेशन कोर्ट और सीजेएम कोर्ट के खिलाफ आयकर विभाग की याचिका हाईकोर्ट में दायर है, जिस पर आज याने 31 जुलाई को सुनवाई होनी है। लेकिन इस पर हाईकोर्ट का कोई फ़ैसला आता उसके पहले ही ईडी ने सीधे एफ़आइआर दर्ज कर दिया है। नोएडा में दर्ज एफ़आइआर में प्रेडिकेट अफेंस है याने वे धाराएँ हैं जिनसे ईडी को मनी लॉंड्रिंग में कार्यवाही का आधार मिलता है।