नितिन मिश्रा, RAIPUR. छत्तीसगढ़ के जेल विभाग ने एक नई नीति तैयार की है। जिसके तहत यदि जेल में किसी कैदी की मौत हो जाती है तो उसके परिजनों को साढ़े सात लाख रुपए मिलेंगे। यह नीति एनएचआरसी के निर्देश पर तैयार की गई है। मौत होने के बाद जेल के अधीक्षक के द्वारा एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी। उस रिपोर्ट को सरकार की मंजूरी के बाद मुआवजे की रकम कैदी के परिजनों को मिलेगी।
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जेल विभाग की नई नीति
छत्तीसगढ़ के जेल विभाग ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) के निर्देश पर नई नीति बनाई है। जिसके तहत जेल में किसी कैदी की मौत होने पर उसके परिजनों को मुआवजा दिया जाएगा। लेकिन इसके लिए कुछ शर्ते भी तय की गई हैं। जेल में कैदियों के आपसी लड़ाई– झगड़े में या फिर जेल कर्मियों की प्रताड़ना से हुई मौत पर ही मुआवजे की रकम मिलेगी। मौत के बाद परिजनों को देने के लिए 7 लाख 50 हजार रुपए मुआवजा तय किया गया है। नई नीति के अनुसार बीमारी सहित प्राकृतिक मृत्यु के मामले में मुआवजा नहीं दिया जाएगा। इसी तरह अप्राकृतिक मृत्यु मामलों में मुआवजा नहीं दिया जाएगा। जेल से भागने के दौरान अगर मौत हो जाती है तो मुआवजा नहीं मिलेगा। यदि किसी प्राकृतिक आपदा और विपत्ति के कारण मौत होने पर भी कोई मुआवजा नहीं मिलेगा।
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इन पैमानों पर मिलेगा मुआवजा
यदि जेल के बंदी की मौत आपसी झगड़े के कारण हुई तो साढ़े 7 लाख रुपए दिए जाएंगे। जेल स्टॉफ द्वारा प्रताड़ना या मारपीट किए जाने के कारण बंदी की मौत होती है तो भी साढ़े 7 लाख रुपए मुआवजा दिया जाएगा। अगर जेल में बंदी की मौत जेल अधिकारियों या कर्मचारियों द्वारा कर्तव्य में लापरवाही या उदासीनता के कारण उपचार के दौरान होती है तो 5 लाख रुपए दिए जाएंगे। इसी तरह चिकित्सा अधिकारियों या पैरा मेडिकल स्टॉफ की लापरवाही के कारण इलाज के दौरान मृत्यु होती है तो 5 लाख रुप दिए जाएंगे। बंदी यदि जेल प्रशासन की प्रताड़ना से व्यथित होकर आत्महत्या कर लेता है तो बंदी के परिजनों या कानूनी उत्तराधिकारियों को 5 लाख रुपए दिए जाएंगे।
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जेल अधीक्षक भेजेंगे रिर्पोट
किसी भी कैदी की मौत होने पर संबंधित जेल अधीक्षक विस्तृत रिपोर्ट न्यायिक या मजिर्राट्रियल जाव रिपोर्ट पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मृत्यु के अंतिम कारण की रिपोर्ट, बंदी के जेल में प्रवेश के समय की मेडिकल हिस्ट्री व बंदी को पूर्व में दिए गए चिकित्सकीय उपचार का ब्योरा महानिदेशक जेल को भेजेंगे। वे उचित मुआवजा स्वीकृत करने के लिए इस राज्य शासन को भेजेंगे। जेल विभाग के एसीएस प्रमुख सचिव, मुआवजा राशि स्वीकृत करने के लिए अधिकृत होंगे।