Raipur. राजधानी के इंदिरा प्रियदर्शिनी घोटाले की कोर्ट के आदेश पर आगामी जाँच में जुटी रायपुर पुलिस को अहम सफलता हासिल हुई है। रायपुर पुलिस मामले में आरोपी नीरज जैन से पूछताछ कर रही है। वहीं मामले में विशेष लोक अभियोजक संदीप दुबे ने जानकारी दी है कि, घोटाले की रक़म से अन्य जगह निवेश किए गए 28 लाख पचास हज़ार रुपए वापस आ चुके हैं।
क्या है मसला
रायपुर के इंदिरा प्रियदर्शनी सहकारी बैंक में 2006-7 में घोटाला सामने आया था। कोतवाली रायपुर में एफ़आइआर दर्ज की गई थी। इस मामले में तत्कालीन बैंक मैनेजर उमेश सिन्हा, बैंक डायरेक्टर संचालक मंडल और ऑडिटरों को आरोपी बनाया गया था।विवेचना में यह पाया गया था कि, फ़र्ज़ी कंपनियों की बैंक गारंटी की रक़म बढ़ाते हुए ऋण स्वीकृत किए गए थे। इन कंपनियों को दिए लोन वापस नहीं आए और बैंक डिफ़ॉल्ट हो गया। इस बैंक में बड़ी संख्या में खातेदार गरीब थे, जिनके पैसे डूब गए, बाईस हज़ार खातेधारकों में से क़रीब बीस हज़ार खातेदारों की रक़म जो क़रीब एक लाख तक की थी वो बीमा की सुविधा से लौट गई लेकिन बड़ी संख्या वाली रक़म के खाताधारकों को पैसा ही नहीं मिला। मामले में कार्यवाही अदालत में चलती रही। सभी आरोपियों को ज़मानत मिल गई है।
कोर्ट में सरकार ने कहा आगे जाँच करना है
हालिया दिनों राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में आवेदन पेश किया।राज्य सरकार की ओर से विशेष लोक अभियोजक संदीप दुबे ने कोर्ट से कहा कि उन्हें आगे जाँच करनी है। कोर्ट की अनुमति के बाद डायरी वापस पुलिस के पास अग्रिम जाँच के लिए आ गई।
प्रमुख सूत्रधारों में एक नीरज से पूछताछ जारी
घोटाले के आरोपी जिनकी संख्या 12 हैं उन्हें लेकर यह आवेदन कोर्ट में दिया गया कि, वे लंबे अरसे से कोर्ट में उपस्थित नहीं हो रहे हैं। विशेष लोक अभियोजक संदीप दुबे ने बताया
“हमारे आवेदन के बाद कोर्ट का रुख सख़्त हुआ है। नीरज जैन जिससे कि इस मामले में पूछताछ करनी थी, वो पेशी में आए थे जिसके बाद उनसे पूछताछ की जा रही है।”
विशेष लोक अभियोजक संदीप दुबे ने बताया
“लक्ष्य यह भी है कि, ग़रीबों के पैसे उन्हें वापस मिलें। हमें यह बताते ख़ुशी है कि निवेशकों के 28 लाख 50 रुपए वापस आए हैं।”