रायपुर नगर निगम चला रहा सी एंड डी प्लांट, पुराने घर के मलबे से बनाए जा रहे प्रोडक्ट, महिलाओं को मिल रहा रोजगार

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Shivam Dubey
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रायपुर नगर निगम चला रहा सी एंड डी प्लांट, पुराने घर के मलबे से बनाए जा रहे प्रोडक्ट, महिलाओं को मिल रहा रोजगार


नितिन मिश्रा, Raipur. छत्तीसगढ़ की राजधानी में नगर निगम ने सी एंड डी प्लांट की शुरुआत मार्च महीने में की थी। आज इस योजना से महिलाओं और युवाओं को रोज़गार मिल रहा है। इस योजना के अंतर्गत पुराने घरों से निकलने वाले मलबे से बहुत से प्रॉडक्ट बनाए जा रहें हैं। नगर निगम की इससे हर साल 7 लाख 50 हजार रुपए मिलते हैं। द सूत्र ने इसकी पड़ताल की है।




क्या है सी एंड डी योजना 



घरों या फिर किसी स्ट्रैक्चर के टूटने से निकलने वाले मलबे को लोग सड़क में फेंक देते हैं। जिसके चलते दूसरों को परेशानी होती है। इसके निदान के लिए नगर निगम ने सी एंड डी (कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन) योजना की शुरुआत 2 मार्च 2023 को की। इसका प्लांट रायपुर के पास हीरापुर जरवाय में लगाया गया। यहां वेस्ट को अलग-अलग तरीकों से रिसाइकल किया जाता है और उसके प्रोडक्ट बनाने जाने थे। इससे स्व सहायता समूह को महिलाओं को रोज़गार भी दिया जाना था। रायपुर नगर निगम इस पूरे प्रोजेक्ट से सालाना साढ़े सात लाख रुपये की कमाई होनी थी। मलबा उठाने निदान 1100 और हेल्पलाइन नंबर 881589885 पर कॉल किया जा सकता है। इस प्लांट   संचालन एक प्राइवेट कंपनी  रही है। 



द सूत्र ने की पड़ताल 



द सूत्र ने 6 महीने पहले शुरू हुई योजना की पड़ता की है। प्लांट के संचालक सतीश सरकार से बातचीत की है। प्लांट का जायज़ा लेने पर पता चला कि पुराने घरों से निकलने वाले मलबे या किसी बिल्डिंग से निकलने वाले मलबे को रिसाइकल किया जाता है। इसका ठेका एक प्राइवेट कंपनी को दिया गया है।यहां पुराने मलबे को पहले रिसाइकल किया जाता है। रिसाइकल होने के बाद उसमे नया मैटेरियल मिलाया जाता है। जिससे प्रोडक्ट की मजबूती बनी रहे।इस मैटेरियल से चेयर, पार्किंग ब्रिक्स, खम्बे और अन्य चीजें बनाई जा रही हैं। कुछ बने बनाए सामान भी देखने को मिले। जिनकी क्वालिटी अच्छी थी। 




ये है प्रोसेस



प्लांट के मैनेजर सतीश सरकार ने द सूत्र से बताया कि पहले मलबे को नगर निगम द्वारा उठा कर लाया जाता है। जिसके लिये हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है। निगम की गाड़ियों का मलबा लाने ले जाने के लिए गाड़ियों का भाड़ा भी निर्धारित है मलबे की मात्रा के आधार पर उसका भाड़ा तय होता है। मलबे को निगम हमे सप्लाई करता है। रिसाइकल करने के लिए मैन्युअल और क्रेशर मशीन का उपयोग किया जाता है। जिसमें से रेत, गिट्टी, रॉड और अन्य चीजों को अलग- थलग कर रिसाइकल किया जाता है। इसके बाद विभिन्न प्रकार की पेवर ब्लाक, ड्रेन कवर, सीटिंग बेंच, क्ले ब्रिक्स, टाइल्स, सीमेंटेड विंडो, पोल जैसी चीजों का निर्माण किया जाता है। 



मार्केट से कम है रेट



सतीश सरकार ने आगे बताया कि महीने में अभी ज्यादा ऑर्डर नहीं आ रहे हैं। लेकिन यह मार्केट रेट से  कम है तो लोगों का रिस्पांस अच्छा मिल रहा है। लोग प्रॉडक्ट पर भरोसा कर रहे हैं। आने वाले समय में और भी स्व सहायता समूह की महिलाओं के साथ-साथ युवाओं की भर्ती की जाएगी। हर साल निगम को साढ़े सात लाख रुपए देना होगा। हाल ही में महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया है। अब जैसे-जैसे ऑर्डर बढ़ेंगे उनको काम पर लगाया जाएगा। हमारे यहां एक चेयर का रेट स्क्वायर फिट के हिसाब से 5 फिट का 4 हजार रुपए में मिल जाता है। ऐसे ही सभी प्रोडक्ट्स का रेट स्क्वायर फिट के हिसाब से तय है।


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