मनीष गोधा @ जयपुर
राजस्थान में पिछले 5 साल के दौरान सरकारी भर्ती परीक्षाओं और स्कूल परीक्षाओं में जिस तरह की गड़बड़ियां सामने आई हैं, उन पर रोक लगाने के लिए राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने एक नया आईडिया तो दिया है लेकिन विभाग के अधिकारियों और शिक्षा से जुड़े लोगों का मानना है कि यह लागू करना बेहद मुश्किल काम है।
यह था मंत्री का आइडिया
राजस्थान में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं और 12वीं के परीक्षाएं फरवरी में होनी है और इन्हीं परीक्षाओं की तैयारी के लिए पिछले सप्ताह शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने अधिकारियों के बड़ी बैठक की थी। इसी बैठक में उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए की परीक्षाओं में यदि कोई गड़बड़ी होती है तो उससे होने वाले नुकसान का आकलन धनराशि के रूप में किया जाए और जो कार्मिक इसमें दोषी पाया जाए उसे इसकी वसूली की जाए। यानी प्रश्न पत्र ले किया नकल या किसी अन्य कारण से कोई परीक्षा रद्द होती है या स्थगित करनी पड़ती है और उसमें यदि किसी सरकारी कर्मचारी को दोषी पाया जाता है तो दोबारा परीक्षा कराने या परीक्षा स्थगित करने के कारण जो खर्च हुआ है उसकी वसूली संबंधित दोषी कर्मचारियों से की जाएगी।
आइडिया नया लेकिन क्रियान्वयन मुश्किल
राजस्थान में प्रश्न पत्र लीक एक बड़ा मुद्दा है और मौजूदा भारतीय जनता पार्टी की सरकार इसी मुद्दे को हथियार बनाकर सत्ता में आई है। इसे देखते हुए यह अपने आप में एक नया और प्रभावी आइडिया तो माना जा रहा है लेकिन इसे लागू कर पाना बेहद मुश्किल बताया जा रहा है। मंत्री ने निर्देश दिए हैं इसलिए शिक्षा विभाग के अधिकारी इसका फार्मूला खोजने में तो जूते हैं लेकिन उनका कहना है कि परीक्षाओं का आयोजन बहुत लंबी प्रक्रिया है और इसमें करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। गड़बड़ी के स्तर पर हुई और उसके लिए दोषी कौन है यह तो जांच से साबित हो जाएगा लेकिन उससे नुकसान क्या हुआ और कितना हुआ इसका धनराशि के रूप में मूल्यांकन करना आसान नहीं है और इसका कोई एक निश्चित फार्मूला भी तय नहीं किया जा सकता है। जैसे प्रश्नपत्र यदि लीक हुआ तो वह किस स्तर पर लीक हुआ और उसे समय तक जो खर्च हुआ क्या उसकी भरपाई की जाएगी या पूरी परीक्षा के लिए जो बजट तय किया उसकी भरपाई की जाएगी।
सरकारी शिक्षक रह चुके शिक्षाविद रामकृष्ण अग्रवाल का कहना है कि शिक्षा मंत्री का यह विचार परीक्षा में गड़बड़ी रोकने के लिए डराने के उपाय से ज्यादा कुछ भी नहीं है क्योंकि एक परीक्षा में लाखों बच्चे बैठते हैं और करोड़ों रुपए का खर्च होता है। किसी भी गड़बड़ी के कारण परीक्षा स्थगित होती है तो दोषी पाए जाने वाले सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों से इतनी राशि की वसूली करना संभव नहीं है। यदि सरकारी कर्मचारी अधिकारी को निलंबित किया जाता है तो भी उसे भरण पोषण तो देना ही पड़ता है। वहीं यदि उसे सेवा मुक्त कर दिया जाए तो उसके पेंशन और अन्य सेवा लाभ रोक कर भी सरकार इतनी राशि की वसूली नहीं कर सकती। सरकार को परीक्षा में गड़बड़ियां रोकने के ज्यादा व्यवहारिक उपाय सोचने चाहिए।
हर काम के लिए खर्च होता है पैसा
किसी भी परीक्षा को कराने के लिए सरकार को हर काम के लिए पैसा खर्च करना पड़ता है। इसमें पेपर तैयार करने से लेकर परीक्षा केंद्र तय करने, केंद्र अधीक्षकों से लेकर परीक्षा में ड्यूटी देने वाले शिक्षकों के मानदेय और प्रश्न पत्रों के ट्रांसपोर्टेशन तक हर काम पर खर्च होता है और यही कारण है कि नुकसान का मूल्यांकन कर पाना आसान काम नही है
Q & A
Q- राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने परीक्षा में गड़बड़ी होने पर नुकसान का आंकलन कर वसूली संबंधित अधिकारी कर्मचारी से करने के निर्देश दिए हैं। इस निर्देश को लागू करने में क्या चुनौतियां आ सकती हैं?
उत्तर: राजस्थान के शिक्षा मंत्री के इस निर्देश को लागू करने में निम्नलिखित चुनौतियां आ सकती हैं:
नुकसान का आकलन करना मुश्किल: परीक्षा में गड़बड़ी से होने वाले नुकसान का आकलन करना एक मुश्किल काम है। इसमें परीक्षा के तैयारी, आयोजन और संचालन से लेकर परीक्षा रद्द होने या स्थगित होने से होने वाले खर्च को शामिल करना होगा। यह खर्च हर परीक्षा में अलग-अलग हो सकता है।
कार्रवाई करना मुश्किल:
गड़बड़ी के लिए दोषी पाए जाने वाले अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई करना भी आसान नहीं होगा। यदि उन्हें निलंबित किया जाता है तो भी उन्हें भरण-पोषण मिलता रहेगा। वहीं यदि उन्हें सेवा से बर्खास्त किया जाता है तो भी उनकी पेंशन और अन्य सेवा लाभ रोककर भी सरकार इतनी राशि की वसूली नहीं कर सकती।
आम लोगों की नाराजगी:
इस निर्देश से आम लोगों में भी नाराजगी हो सकती है। उनका मानना हो सकता है कि यह सरकार का डराने का तरीका है और इससे परीक्षा में गड़बड़ी रोकने में कोई मदद नहीं मिलेगी।
इन चुनौतियों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि राजस्थान सरकार के इस निर्देश को लागू करना आसान नहीं होगा। इसके लिए सरकार को कुछ ठोस कदम उठाने होंगे, जैसे कि:
नुकसान का आकलन करने के लिए एक स्पष्ट और निश्चित फॉर्मूला तैयार करना।
गड़बड़ी के लिए दोषी पाए जाने वाले अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना।
आम लोगों को इस निर्देश के उद्देश्य और लाभों के बारे में जागरूक करना।
यदि सरकार इन चुनौतियों को दूर करने में सफल होती है तो यह निर्देश परीक्षा में गड़बड़ी रोकने में एक प्रभावी उपाय साबित हो सकता है।