राजस्थान में बिजली की मांग में तो कमी आई, लेकिन कटौती जारी, बीजेपी सरकार पर हमलावर, कर्मचारियों का आंदोलन जारी

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The Sootr CG
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राजस्थान में बिजली की मांग में तो कमी आई, लेकिन कटौती जारी, बीजेपी सरकार पर हमलावर, कर्मचारियों का आंदोलन जारी

JAIPUR. राजस्थान में बारिश की कमी के कारण पिछले दिनों में पैदा हुआ बिजली संकट अभी भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। हालांकि, पिछले दो-तीन दिन में तापमान में गिरावट आने से बिजली की मांग करीब एक हजार मेगावॉट कम हुई है, लेकिन बिजली कटौती का सिलसिला जारी है। वहीं तकनीकी कर्मचारियों की हड़ताल के कारण भी आपूर्ति मैनेजमेंट गड़बड़या हुआ है। राहत की बात यह है कि जूनियर इंजीनियर काम पर लौट गए हैं। इस बीच बिजली संकट के मामले में प्रतिपक्षी बीजेपी सरकार पर हमलावर है।



बिजली की मांग 18 हजार मेगावॉट तक पहुंची



राजस्थान में औसतन 13 हजार मेगावॉट बिजली की जरूरत होती है और इतना यहां उत्पादन हो भी जाता है, लेकिन पिछले दिनों तापमान तेजी से बढ़ा और बारिश नहीं होने के कारण घरेलू और कृषि दोनों तरह की बिजली की मांग एकाएक बढ़ गई। इसके चलते एक दिन तो बिजली की मांग 18 हजार मेगावॉट तक पहुंच गई। बिजली की बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए सरकार ने एक्सचेंज से महंगी बिजली भी खरीदी, लेकिन स्थिति नियंत्रण में नहीं आई। 

कोढ़ में खाज का काम जूनियर इंजीनियरों और तकनीकी कर्मचारियों की हड़ताल ने किया। इसके चलते बिजली वितरण तंत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ। जयपुर जैसे शहरों को छोड़ दें तो गांव-कस्बों में घंटो तक बिजली गुल है। वहीं बिजली आपूर्ति सुचारू रखने के लिए सरकार ने उद्योगों में तो बिजली की घोषित कटौती भी शुरू कर दी थी। 



बिजली मंत्री का कहना- मानसून ने धोखा दे दिया



अब पिछले दो दिन से तापमान में सुधार है और घरेलू बिजली की मांग में कमी आई है, लेकिन गांव-कस्बों में कटौती जारी है। वहीं किसानों को भी पूरी बिजली नहीं मिल रही। ऐसे में बीकानेर के कोलायत में तो ग्रामीणों ने सड़क की जेसीबी से खुदाई कर रास्ता रोक दिया। सरकार के बिजली मंत्री भंवर सिंह भाटी का कहना है कि मानसून ने धोखा दे दिया है, इसलिए बिजली संकट देशव्यापी है, फिर भी सरकार अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रही है।



बीजेपी हमलावर, राजे ने उठाए सवाल



प्रदेश में बिजली संकट को लेकर बीजेपी सरकार पर हमलावर है। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने बयान जारी करके कहा है कि हमारे समय में गांवों में भी 22 से 24 घंटे बिजली मिलती थी। लोगों ने इन्वर्टर पैक कर दिए थे। उन्होंने कहा कि ट्रांसफॉर्मर 72 घंटे में बदल दिए जाते थे। आज 72 दिन में भी नहीं बदले जा रहे हैं। नया बिजली कनेक्शन सप्ताह भर में मिल जाता था। आज लंबा समय लगता है। आज प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने लोगों को अंधेरे में धकेलने का काम किया हैं।



डिस्कॉम्स करोड़ों के कर्जे में डूबा



सीएम वसुंधरा राजे ने कहा है कि डिस्कॉम्स 90 हजार करोड़ से ज्यादा के कर्जे में डूब गए हैं। जिससे प्रदेश में विद्युत व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। कांग्रेस सरकार ने 2013 तक तीनों डिस्कॉम कंपनियों पर 78 हजार करोड़ का घाटा छोड़ा था। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार बनी तो उसमें से 62 हजार करोड़ कर्ज सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। नतीजतन डिस्कॉम का घाटा जो प्रतिवर्ष 15 हजार करोड़ की रफ्तार से बढ़ रहा था। वह चार हजार करोड़ प्रतिवर्ष रह गया। लेकिन आज वापस डिस्कॉम 90 हजार करोड़ से ज्यादा के कर्ज में डूब गया है। जिससे प्रदेश कि विद्युत व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है।



बिजली महकमा पूरी तरह से कुप्रबंधन का शिकार है। सरकार के पास कोयला और बिजली खरीद का रोडमैप नहीं है। खराब वोल्टेज के कारण किसानों की मोटरें जल रही हैं। जबकि हमारे समय में गावों तक में घरेलू बिजली 22 से 24 घंटे मिलती थी। उन्होंने कहा कि आज आमजन, किसान और औद्योगिक फैक्ट्रियां बिजली कटौती से परेशान हैं, क्योंकि सरकार ने मुफ्त बिजली के सब्जबाग दिखाकर राजस्थान को विद्युत अराजकता एवं अंधेरे में धकेलने का काम किया है। वहीं कुछ दिन पहले नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने भी बिजली के कुप्रबंधन के लिए सरकार पर आरोप लगाए थे और बिजली खरीद में संस्थागत भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए थे।


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