राजस्थान हाईकोर्ट की डबल बेंच ने एक बार फिर आसाराम की अंतरिम जमानत की तारीख बढ़ा दी है। आसाराम को इलाज के लिए 12 अगस्त तक अंतरिम जमानत मिली है। इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने 7 जुलाई तक अंतरिम जमानत दे रखी थी। इसके बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने इसे 9 जुलाई तक बढ़ा दिया था। अब एक बार फिर बढ़ाकर इसे 12 अगस्त तक कर दिया गया है।
आसाराम ने मांगी थी 6 महीने की जमानत
86 साल के आसाराम ने 2013 के गांधीनगर दुष्कर्म केस में 6 महीने की स्थाई जमानत मांगी थी, लेकिन गुजरात हाईकोर्ट ने सिर्फ 3 महीने की जमानत मंजूर की थी। इसके बाद आसाराम ने राजस्थान हाईकोर्ट से जमानत के लिए याचिका लगाई थी, क्योंकि जोधपुर दुष्कर्म केस में भी वो दोषी है और आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। आसाराम दोनों कोर्ट से मंजूरी मिलने के बाद ही इलाज के लिए रवाना हुआ था।
जोधपुर AIIMS में आसाराम की बीमारी को लेकर एक रिपोर्ट पेश की गई थी, जिसके अनुसार, उन्हें कोरोनरी आर्टरी डिजीज है। यह हाई रिस्क श्रेणी की बीमारी में आती है। रिपोर्ट के अनुसार, आसाराम को विशेष नर्सिंग देखभाल, करीबी निगरानी, नियमित रूप से एंडोक्रिनोलॉजिस्ट और नेफ्रोलॉजिस्ट से काउंसलिंग की जरूरत है।
यह है आसाराम के वकील का दावा
आसाराम (Asaram) के वकील का दावा है कि आसाराम की कई मेडिकल जांच की गई हैं। सभी विशेषज्ञों की सलाह और रिपोर्ट में एक बात समान है कि यह एक घातक स्थिति है। उन्होंने कहा कि आवेदक की स्थिति या स्वास्थ्य बिल्कुल भी ठीक नहीं है। उन्हें समुचित उपचार की जरूरत है। इसके लिए अंतरिम जमानत देना जरूरी है।
FAQ
1. आसाराम को जमानत क्यों दी गई है?
आसाराम को उनकी गंभीर स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए जमानत दी गई है। उनकी बीमारी कोरोनरी आर्टरी डिजीज के कारण उन्हें विशेष देखभाल और इलाज की आवश्यकता है, जिसके लिए जमानत मंजूर की गई है।
2. आसाराम के इलाज के लिए जमानत का क्या महत्व है?
आसाराम के इलाज के लिए जमानत महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्हें गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जमानत से उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने और विशेषज्ञों से काउंसलिंग प्राप्त करने का अवसर मिलता है।
3. क्या आसाराम को इस जमानत का लाभ मिलने के बाद उनका मुकदमा प्रभावित होगा?
नहीं, आसाराम की जमानत का निर्णय केवल उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। उनके मुकदमे पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि उन्हें अपनी सजा पूरी करनी है।