रामसर साइट बन सकती है राजस्थान की सिलीसेढ़ झील, केन्द्रीय मंत्री ने रामसर COP15 में दिया प्रस्ताव

राजस्थान के अलवर से सांसद और केन्द्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने जिंबाब्वे में आयोजित रामसर COP15 में अलवर की सिलीसेढ़ झील को रामसर साइट घोषित करने का प्रस्ताव रखा।

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Nitin Kumar Bhal
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Bhupendra Yadav

अलवर सांसद एवं केंद्रीय वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव वेटलैंड कन्वेंशन की महासचिव डॉ. मुसोंड़ा मुम्बा से मुलाकात के दौरान सिलीसेढ़ का चित्र सौंपते हुए। Photograph: (The Sootr)

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सुनील जैन

भारत के केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupendra Yadav) ने जिंबॉब्वे में आयोजित रामसर COP15 में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए राजस्थान (Rajasthan) के अलवर की प्रतिष्ठित सिलीसेढ़ झील को रामसर साइट (Ramsar Site) घोषित करने का प्रस्ताव रखा। यादव ने वेटलैंड कन्वेंशन की महासचिव डॉ. मुसोंड़ा मुम्बा से मुलाकात के दौरान इस प्रस्ताव को प्रस्तुत किया और झील के सांस्कृतिक (Cultural) और आध्यात्मिक (Spiritual) महत्व को भी साझा किया।

रानी के लिए बनवाया भव्य महल

अलवर शहर से 16 किमी दूर यह सिलीसेढ़ झील बनी हुई है। अलवर के तत्कालीन शासक  महाराज विनय सिंह ने 1845 में अपनी रानी शीला के लिए इस झील के किनारे भव्य महल का निर्माण कराया था। सिलीसेढ़ झील महल की स्थापना शुरू में आखेट करने और उसमें रहने के उद्देश्य से आवास के रूप में की गई थी। बाद में इसे महल के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। अब आरटीडीसी का हेरिटेज होटल संचालित है। 

नौका विहार की सुविधा भी उपलब्ध

इस झील के निर्माण के पीछे तत्कालीन शासक का मुख्य उद्देश्य अलवर को पानी उपलब्ध कराना था। झील से अलवर शहर तक नहर पक्की नहर बनी हुई है, लेकिन वर्तमान में अतिक्रमण की भेंट चढ़ने के कारण अलवर शहर में सिलीसेढ़ का पानी नहीं आ पाता है।  झील के चारों ओर पहाड़ी क्षेत्र स्थित है। यह झील अलवर शहर के नजदीक होने के कारण सबसे बड़ा टूरिस्ट पॉइंट है, जिसमें नौका विहार की सुविधा भी उपलब्ध है।

भारत ने किन आर्द्रभूमियों को रामसर साइट बनाने का प्रस्ताव दिया?

अलवर सांसद यादव ने इस अवसर पर भारत की अन्य महत्वपूर्ण आर्द्रभूमियों को भी रामसर स्थलों की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव रखा। इसमें अरुणाचल प्रदेश के ग्लो लेक (Glo Lake), बिहार के गोगाबिल लेक (Gogabil Lake), गुजरात के छारी ढांड वेटलैंड रिज़र्व (Chhari Dhand Wetland Reserve) और गोसाबरा वेटलैंड (Gosabara Wetland) शामिल हैं। इन प्रस्तावों का उद्देश्य भारत की आर्द्रभूमियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान और संरक्षण देना है।

रामसर साइट का क्या महत्व है?

रामसर साइट के रूप में किसी भी आर्द्रभूमि का नामांकन अंतर्राष्ट्रीय मान्यता, संरक्षण प्रयासों में वृद्धि, और सतत विकास (Sustainable Development) के अवसर प्रदान करता है। इसके अलावा, यह स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग के नए रास्ते खोलता है।

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भारत में कितने रामसर स्थल हैं?

भारत में पिछले एक दशक में रामसर स्थलों की संख्या में 250% की वृद्धि हुई है। वर्तमान में भारत में कुल 91 रामसर साइटें हैं, जो एशिया में सबसे अधिक हैं। हाल ही में, राजस्थान के फलौदी (Phalodi) में खीचन (Khechan) और उदयपुर (Udaipur) में मेनार (Menar) को भी रामसर स्थल घोषित किया गया है।

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रामसर साइट क्या है और यह नाम कैसे पड़ा?

रामसर साइट एक ऐसी आर्द्रभूमि (wetland) होती है जिसे अंतरराष्ट्रीय महत्व की मान्यता मिली होती है। इसका नाम 02 फरवरी 1971 में ईरान के रामसर शहर में आयोजित सम्मेलन (Ramsar Convention) के नाम पर पड़ा, जहां इस आर्द्रभूमि संरक्षण से संबंधित अंतर-सरकारी संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे।

जानें ... रामसर साइट क्या है?

  • यह एक आर्द्रभूमि है, जो पारिस्थितिकी और जैव विविधता के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण होती है।
  • रामसर कन्वेंशन के तहत ये साइटें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त होती हैं ताकि इनके संरक्षण और सतत उपयोग को सुनिश्चित किया जा सके।
  • ये स्थल जलपक्षियों सहित कई जीव-जंतुओं और पौधों का आवास होते हैं और पर्यावरण संतुलन, बाढ़ नियंत्रण, जल शोधन आदि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • दुनियाभर में इन साइटों को मान्यता देकर इनके संरक्षण और विवेकपूर्ण प्रबंधन पर जोर दिया जाता है।
  • भारत में भी लगातार रामसर साइट्स की संख्या बढ़ रही है, जो देश के पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा में सहायक हैं।

भारत की आर्द्रभूमि संरक्षण में प्रतिबद्धता

रामसर साइटों की संख्या में वृद्धि भारत की आर्द्रभूमि के संरक्षण और प्रबंधन के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इसके अलावा, भारत में "अमृत धरोहर" (Amrit Dharohar) जैसी पहल और वेटलैंड शहरों की मान्यता से यह स्पष्ट है कि भारत वेटलैंड्स के संरक्षण को एक महत्वपूर्ण कदम मानता है।

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भारत में कुछ महत्वपूर्ण रामसर साइट

सबसे बड़ा रामसर स्थल : सुंदरबन आर्द्रभूमि, पश्चिम बंगाल में स्थित है।

सबसे छोटा रामसर स्थल : रेणुका वेटलैंड, हिमाचल प्रदेश में स्थित है।

सबसे पुराने रामसर स्थल : चिल्का झील (ओडिशा) और केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान) को भारत के पहले रामसर स्थलों के रूप में मान्यता दी गई थी।

हाल ही में शामिल किए गए स्थल (जून 2025)

खीचन (फलोदी राजस्थान)  और मेनार (उदयपुर राजस्थान)

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भारत में जून 2025 तक घोषित रामसर साइट के बारे में जानें

रामसर साइट का नामराज्यविशेषता / महत्त्व
कोल्लेरु झीलआंध्र प्रदेशदक्षिण भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील
दीपोर बीलअसमजैव विविधता और प्रवासी पक्षियों का महत्वपूर्ण स्थल
नागी पक्षी अभयारण्यबिहारपक्षी संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण अभयारण्य
नकटी पक्षी अभयारण्यबिहारपक्षी संरक्षित क्षेत्र
नंदा झीलगोवासमुद्री और तटीय जैव विविधता
खिजड़िया, नलसरोवर, थोल झील, वाधवानागुजराततटीय और दलदलीय आर्द्रभूमि
सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यानहरियाणापक्षी अभयारण्य एवं वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र
भिंडावास वन्यजीव अभयारण्यहरियाणापक्षी एवं प्राणी निवास
चंद्र तालहिमाचल प्रदेशउच्च ऊंचाई वाली झील
पोंग बांध झीलहिमाचल प्रदेशपर्वतीय जलाशय
रेणुका झीलहिमाचल प्रदेशहिमाचल का सबसे छोटा रामसर स्थल
होकरसर झीलजम्मू और कश्मीरप्राचीन आर्द्रभूमि एवं जैव विविधता
शालबुघ, वुलर झीलजम्मू और कश्मीरताजगी से भरपूर उच्च ऊंचाई वाली झीलें
रंगनाथिटु पक्षी अभयारण्यकर्नाटकपक्षी संरक्षण और पर्यावरणीय संरक्षण
अष्टमुडी झीलकेरलमैंग्रोव और तटीय जलमार्ग
सस्थमकोट्टा झीलकेरलदेश की सबसे बड़ी ताजे पानी की झील
वेम्बनाड-कोल वेटलैंडकेरलमहत्वपूर्ण मैंग्रोव और पक्षी अभयारण्य
त्सो कार झीललद्दाखउच्च ऊंचाई वाली विस्तृत झील
त्सोमोरिरी झीललद्दाखसंवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र
भोज वेटलैंडमध्य प्रदेशजलचर और पक्षी संरक्षण बिंदु
सिरपुर झीलमध्य प्रदेशतटीय जल और दलदलीय क्षेत्र
तवा जलाशयमध्य प्रदेशमहत्वपूर्ण जलाशय, पक्षी एवं मछली निवास
खीचनराजस्थानप्रवासी पक्षी (कुरजां) के लिए प्रसिद्ध, मध्य एशियाई उड़ान मार्ग का प्रमुख पड़ाव
मेनारराजस्थान"पक्षी गाँव", 150 से अधिक पक्षी प्रजातियों का घर
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यानराजस्थानसंरक्षण क्षेत्र, पक्षी और वन्य जीवों के लिए प्रमुख स्थल
सांभर झीलराजस्थानपर्यावरणीय और पक्षी संरक्षण महत्व
चिल्का झीलओडिशाभारत का सबसे बड़ा खारे पानी का लैगून, समुद्री कछुओं का घोंसला
भितरकनिकाओडिशामैंग्रोव और जैव विविधता संरक्षण क्षेत्र
काज़ुवेली पक्षी अभयारण्यतमिलनाडुप्रवासी पक्षियों के लिए प्रमुख स्थल
नागरकोइल जलाशयतमिलनाडुपक्षी और जलजीव संरक्षण केंद्र
सिरपुर वेटलैंडछत्तीसगढ़जैव विविधता समृद्ध आर्द्रभूमि
लोकटक झीलमणिपुरभारत की सबसे बड़ी तैरती झील
लाल जोपासलगढ़ का तटवर्ती क्षेत्रमहाराष्ट्रतटीय और दलदल क्षेत्र
नंदूर मदमेश्वरमहाराष्ट्रवन्यजीव अभयारण्य और जलस्तर नियंत्रण
ठाणे क्रीकमहाराष्ट्रमहत्वपूर्ण तटीय जल क्षेत्र
बखिरा पक्षी अभयारण्यउत्तर प्रदेशपक्षी संरक्षण के लिए प्रमुख स्थल
हैदरपुर पक्षी अभयारण्यउत्तर प्रदेशपक्षी संरक्षण और प्रवासी पक्षी आवास
नवाबगंज पक्षी अभयारण्यउत्तर प्रदेशजैव विविधता केंद्र
पार्वती-आर्गा वेटलैंडउत्तर प्रदेशआर्द्रभूमि और वन्यजीव संरक्षण
आमरापुर वेटलैंडउत्तर प्रदेशआर्द्रभूमि संरक्षण क्षेत्र
सुंदरबनपश्चिम बंगालविश्व धरोहर, विशाल मैंग्रोव वन, बंगाल टाइगर आवास
पूर्वी कोलकाता वेटलैंडपश्चिम बंगालमहत्वपूर्ण शहरी आर्द्रभूमि
कर्नाटक के अन्य 3 रामसर साइट (जैसे काबिनी डेल्टा)कर्नाटकजैव विविधता, जल संसाधन संरक्षण
अरुणाचल प्रदेश के उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रअरुणाचल प्रदेशसंवेदनशील आर्द्रभूमि और पारिस्थितिकी तंत्र
केरल में अन्य मैंग्रोव क्षेत्रोंकेरलपारिस्थितिकी संरक्षण क्षेत्र
मिजोरम का एक रामसर स्थलमिजोरमजैव विविधता संरक्षण क्षेत्र
सिक्किम का एक रामसर स्थलसिक्किमहिमालयी आर्द्रभूमि
झारखंड के भी एक रामसर स्थलझारखंडजीव विविधता समृद्ध क्षेत्र
अन्य राज्यों के छोटे-छोटे रामसर स्थलविभिन्न राज्योंस्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण

FAQ

रामसर साइट क्या है और इसका महत्व क्या है?
रामसर साइट एक अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त आर्द्रभूमि है, जिसे वेटलैंड कन्वेंशन द्वारा संरक्षित किया जाता है। यह साइट पर्यावरणीय संरक्षण, सतत विकास और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देती है।
भारत में रामसर साइटों की संख्या कितनी है?
वर्तमान में भारत में कुल 91 रामसर साइटें हैं, जो एशिया में सबसे अधिक हैं। यह संख्या पिछले दशक में 250% बढ़ी है।
सिलीसेढ़ झील को रामसर साइट बनाने का प्रस्ताव क्यों रखा गया?
सिलीसेढ़ झील को रामसर साइट बनाने का प्रस्ताव इसके सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व के कारण रखा गया है, जिससे इसका संरक्षण और विकास सुनिश्चित किया जा सके।

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