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अलवर सांसद एवं केंद्रीय वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव वेटलैंड कन्वेंशन की महासचिव डॉ. मुसोंड़ा मुम्बा से मुलाकात के दौरान सिलीसेढ़ का चित्र सौंपते हुए। Photograph: (The Sootr)
सुनील जैन
भारत के केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupendra Yadav) ने जिंबॉब्वे में आयोजित रामसर COP15 में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए राजस्थान (Rajasthan) के अलवर की प्रतिष्ठित सिलीसेढ़ झील को रामसर साइट (Ramsar Site) घोषित करने का प्रस्ताव रखा। यादव ने वेटलैंड कन्वेंशन की महासचिव डॉ. मुसोंड़ा मुम्बा से मुलाकात के दौरान इस प्रस्ताव को प्रस्तुत किया और झील के सांस्कृतिक (Cultural) और आध्यात्मिक (Spiritual) महत्व को भी साझा किया।
रानी के लिए बनवाया भव्य महल
अलवर शहर से 16 किमी दूर यह सिलीसेढ़ झील बनी हुई है। अलवर के तत्कालीन शासक महाराज विनय सिंह ने 1845 में अपनी रानी शीला के लिए इस झील के किनारे भव्य महल का निर्माण कराया था। सिलीसेढ़ झील महल की स्थापना शुरू में आखेट करने और उसमें रहने के उद्देश्य से आवास के रूप में की गई थी। बाद में इसे महल के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। अब आरटीडीसी का हेरिटेज होटल संचालित है।
नौका विहार की सुविधा भी उपलब्ध
इस झील के निर्माण के पीछे तत्कालीन शासक का मुख्य उद्देश्य अलवर को पानी उपलब्ध कराना था। झील से अलवर शहर तक नहर पक्की नहर बनी हुई है, लेकिन वर्तमान में अतिक्रमण की भेंट चढ़ने के कारण अलवर शहर में सिलीसेढ़ का पानी नहीं आ पाता है। झील के चारों ओर पहाड़ी क्षेत्र स्थित है। यह झील अलवर शहर के नजदीक होने के कारण सबसे बड़ा टूरिस्ट पॉइंट है, जिसमें नौका विहार की सुविधा भी उपलब्ध है।
भारत ने किन आर्द्रभूमियों को रामसर साइट बनाने का प्रस्ताव दिया?
अलवर सांसद यादव ने इस अवसर पर भारत की अन्य महत्वपूर्ण आर्द्रभूमियों को भी रामसर स्थलों की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव रखा। इसमें अरुणाचल प्रदेश के ग्लो लेक (Glo Lake), बिहार के गोगाबिल लेक (Gogabil Lake), गुजरात के छारी ढांड वेटलैंड रिज़र्व (Chhari Dhand Wetland Reserve) और गोसाबरा वेटलैंड (Gosabara Wetland) शामिल हैं। इन प्रस्तावों का उद्देश्य भारत की आर्द्रभूमियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान और संरक्षण देना है।
रामसर साइट का क्या महत्व है?
रामसर साइट के रूप में किसी भी आर्द्रभूमि का नामांकन अंतर्राष्ट्रीय मान्यता, संरक्षण प्रयासों में वृद्धि, और सतत विकास (Sustainable Development) के अवसर प्रदान करता है। इसके अलावा, यह स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग के नए रास्ते खोलता है।
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भारत में कितने रामसर स्थल हैं?
भारत में पिछले एक दशक में रामसर स्थलों की संख्या में 250% की वृद्धि हुई है। वर्तमान में भारत में कुल 91 रामसर साइटें हैं, जो एशिया में सबसे अधिक हैं। हाल ही में, राजस्थान के फलौदी (Phalodi) में खीचन (Khechan) और उदयपुर (Udaipur) में मेनार (Menar) को भी रामसर स्थल घोषित किया गया है।
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रामसर साइट क्या है और यह नाम कैसे पड़ा?रामसर साइट एक ऐसी आर्द्रभूमि (wetland) होती है जिसे अंतरराष्ट्रीय महत्व की मान्यता मिली होती है। इसका नाम 02 फरवरी 1971 में ईरान के रामसर शहर में आयोजित सम्मेलन (Ramsar Convention) के नाम पर पड़ा, जहां इस आर्द्रभूमि संरक्षण से संबंधित अंतर-सरकारी संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। जानें ... रामसर साइट क्या है?
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भारत की आर्द्रभूमि संरक्षण में प्रतिबद्धता
रामसर साइटों की संख्या में वृद्धि भारत की आर्द्रभूमि के संरक्षण और प्रबंधन के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इसके अलावा, भारत में "अमृत धरोहर" (Amrit Dharohar) जैसी पहल और वेटलैंड शहरों की मान्यता से यह स्पष्ट है कि भारत वेटलैंड्स के संरक्षण को एक महत्वपूर्ण कदम मानता है।
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भारत में कुछ महत्वपूर्ण रामसर साइट
सबसे बड़ा रामसर स्थल : सुंदरबन आर्द्रभूमि, पश्चिम बंगाल में स्थित है।
सबसे छोटा रामसर स्थल : रेणुका वेटलैंड, हिमाचल प्रदेश में स्थित है।
सबसे पुराने रामसर स्थल : चिल्का झील (ओडिशा) और केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान) को भारत के पहले रामसर स्थलों के रूप में मान्यता दी गई थी।
हाल ही में शामिल किए गए स्थल (जून 2025)
खीचन (फलोदी राजस्थान) और मेनार (उदयपुर राजस्थान)
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भारत में जून 2025 तक घोषित रामसर साइट के बारे में जानें
रामसर साइट का नाम | राज्य | विशेषता / महत्त्व |
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कोल्लेरु झील | आंध्र प्रदेश | दक्षिण भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील |
दीपोर बील | असम | जैव विविधता और प्रवासी पक्षियों का महत्वपूर्ण स्थल |
नागी पक्षी अभयारण्य | बिहार | पक्षी संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण अभयारण्य |
नकटी पक्षी अभयारण्य | बिहार | पक्षी संरक्षित क्षेत्र |
नंदा झील | गोवा | समुद्री और तटीय जैव विविधता |
खिजड़िया, नलसरोवर, थोल झील, वाधवाना | गुजरात | तटीय और दलदलीय आर्द्रभूमि |
सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान | हरियाणा | पक्षी अभयारण्य एवं वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र |
भिंडावास वन्यजीव अभयारण्य | हरियाणा | पक्षी एवं प्राणी निवास |
चंद्र ताल | हिमाचल प्रदेश | उच्च ऊंचाई वाली झील |
पोंग बांध झील | हिमाचल प्रदेश | पर्वतीय जलाशय |
रेणुका झील | हिमाचल प्रदेश | हिमाचल का सबसे छोटा रामसर स्थल |
होकरसर झील | जम्मू और कश्मीर | प्राचीन आर्द्रभूमि एवं जैव विविधता |
शालबुघ, वुलर झील | जम्मू और कश्मीर | ताजगी से भरपूर उच्च ऊंचाई वाली झीलें |
रंगनाथिटु पक्षी अभयारण्य | कर्नाटक | पक्षी संरक्षण और पर्यावरणीय संरक्षण |
अष्टमुडी झील | केरल | मैंग्रोव और तटीय जलमार्ग |
सस्थमकोट्टा झील | केरल | देश की सबसे बड़ी ताजे पानी की झील |
वेम्बनाड-कोल वेटलैंड | केरल | महत्वपूर्ण मैंग्रोव और पक्षी अभयारण्य |
त्सो कार झील | लद्दाख | उच्च ऊंचाई वाली विस्तृत झील |
त्सोमोरिरी झील | लद्दाख | संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र |
भोज वेटलैंड | मध्य प्रदेश | जलचर और पक्षी संरक्षण बिंदु |
सिरपुर झील | मध्य प्रदेश | तटीय जल और दलदलीय क्षेत्र |
तवा जलाशय | मध्य प्रदेश | महत्वपूर्ण जलाशय, पक्षी एवं मछली निवास |
खीचन | राजस्थान | प्रवासी पक्षी (कुरजां) के लिए प्रसिद्ध, मध्य एशियाई उड़ान मार्ग का प्रमुख पड़ाव |
मेनार | राजस्थान | "पक्षी गाँव", 150 से अधिक पक्षी प्रजातियों का घर |
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान | राजस्थान | संरक्षण क्षेत्र, पक्षी और वन्य जीवों के लिए प्रमुख स्थल |
सांभर झील | राजस्थान | पर्यावरणीय और पक्षी संरक्षण महत्व |
चिल्का झील | ओडिशा | भारत का सबसे बड़ा खारे पानी का लैगून, समुद्री कछुओं का घोंसला |
भितरकनिका | ओडिशा | मैंग्रोव और जैव विविधता संरक्षण क्षेत्र |
काज़ुवेली पक्षी अभयारण्य | तमिलनाडु | प्रवासी पक्षियों के लिए प्रमुख स्थल |
नागरकोइल जलाशय | तमिलनाडु | पक्षी और जलजीव संरक्षण केंद्र |
सिरपुर वेटलैंड | छत्तीसगढ़ | जैव विविधता समृद्ध आर्द्रभूमि |
लोकटक झील | मणिपुर | भारत की सबसे बड़ी तैरती झील |
लाल जोपासलगढ़ का तटवर्ती क्षेत्र | महाराष्ट्र | तटीय और दलदल क्षेत्र |
नंदूर मदमेश्वर | महाराष्ट्र | वन्यजीव अभयारण्य और जलस्तर नियंत्रण |
ठाणे क्रीक | महाराष्ट्र | महत्वपूर्ण तटीय जल क्षेत्र |
बखिरा पक्षी अभयारण्य | उत्तर प्रदेश | पक्षी संरक्षण के लिए प्रमुख स्थल |
हैदरपुर पक्षी अभयारण्य | उत्तर प्रदेश | पक्षी संरक्षण और प्रवासी पक्षी आवास |
नवाबगंज पक्षी अभयारण्य | उत्तर प्रदेश | जैव विविधता केंद्र |
पार्वती-आर्गा वेटलैंड | उत्तर प्रदेश | आर्द्रभूमि और वन्यजीव संरक्षण |
आमरापुर वेटलैंड | उत्तर प्रदेश | आर्द्रभूमि संरक्षण क्षेत्र |
सुंदरबन | पश्चिम बंगाल | विश्व धरोहर, विशाल मैंग्रोव वन, बंगाल टाइगर आवास |
पूर्वी कोलकाता वेटलैंड | पश्चिम बंगाल | महत्वपूर्ण शहरी आर्द्रभूमि |
कर्नाटक के अन्य 3 रामसर साइट (जैसे काबिनी डेल्टा) | कर्नाटक | जैव विविधता, जल संसाधन संरक्षण |
अरुणाचल प्रदेश के उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्र | अरुणाचल प्रदेश | संवेदनशील आर्द्रभूमि और पारिस्थितिकी तंत्र |
केरल में अन्य मैंग्रोव क्षेत्रों | केरल | पारिस्थितिकी संरक्षण क्षेत्र |
मिजोरम का एक रामसर स्थल | मिजोरम | जैव विविधता संरक्षण क्षेत्र |
सिक्किम का एक रामसर स्थल | सिक्किम | हिमालयी आर्द्रभूमि |
झारखंड के भी एक रामसर स्थल | झारखंड | जीव विविधता समृद्ध क्षेत्र |
अन्य राज्यों के छोटे-छोटे रामसर स्थल | विभिन्न राज्यों | स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण |
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