राजस्थान हाईकोर्ट : न्यायिक कर्मचारियों की हड़ताल अवैध, कल से काम पर लौटें अन्यथा लागू करेंगे रेस्मा

राजस्थान हाईकोर्ट ने न्यायिक कर्मचारियों की हड़ताल को अवैध करार दिया, कर्मचारियों को काम पर लौटने का आदेश दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि नियमानुसार कार्रवाई की जाए।

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Nitin Kumar Bhal
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Rajathan High Court

Photograph: (The Sootr)

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राजस्थान उच्च न्यायालय (Rajasthan High Court) ने राज्य के न्यायिक कर्मचारियों द्वारा की जा रही हड़ताल को अवैध घोषित कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि यदि वकील हड़ताल का अधिकार नहीं रखते, तो वेतनभोगी कर्मचारी भी हड़ताल पर नहीं जा सकते। न्यायालय ने आदेश दिया कि कर्मचारियों को कल यानी शुक्रवार 25 जुलाई 2025 से अपने कार्यस्थल पर लौटने की आवश्यकता है।

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न्यायिक कर्मचारी हड़ताल पर हाईकोर्ट ने क्या आदेश दिया?

उच्च न्यायालय की बेंच ने इस मामले में इबरान व अन्य की आपराधिक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। न्यायमूर्ति अशोक कुमार जैन ने कहा कि जब तक कर्मचारी काम पर नहीं लौटते, तब तक वैकल्पिक व्यवस्था की जाए ताकि अदालतों का कार्य जारी रखा जा सके।

न्यायिक कर्मचारियों की सामूहिक हड़ताल कब से चल रही है?

रजिस्ट्रार न्यायिक द्वारा अदालत में पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार, 18 जुलाई से न्यायिक कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर हैं, जिसके कारण अदालतों का कार्य प्रभावित हो रहा है। उच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीशों और कलेक्टरों से समन्वय करने और होमगार्ड की नियुक्ति करने के निर्देश दिए। साथ ही, बार एसोसिएशन से भी मदद लेने का सुझाव दिया गया है।

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हड़ताल पर उच्च न्यायालय ने कैसा रुख अपनाया है?

अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि कर्मचारी 28 जुलाई तक काम पर नहीं लौटते हैं, तो रजिस्ट्रार जनरल रेस्मा (आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम) लागू करेंगे। हालांकि, अदालत ने इस मुद्दे को राज्य सरकार को भेज दिया है क्योंकि यह एक नीतिगत मामला है, और उच्च न्यायालय इसमें दखल नहीं दे सकता।

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आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम (रेस्मा) क्या है?

  • रेस्मा (आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम) राजस्थान सरकार का कानून है, जो आवश्यक सेवाओं को बिना रुकावट के चलाने के लिए बनाया गया है।

  • इस कानून का उद्देश्य न्यायिक सेवाएं, स्वास्थ्य, बिजली, जल आपूर्ति जैसी आवश्यक सेवाओं की निरंतरता बनाए रखना है।

  • रेस्मा के तहत, हड़ताल को अवैध घोषित किया जा सकता है यदि यह आवश्यक सेवाओं को प्रभावित करती है।

  • रेस्मा लागू होने पर हड़ताली कर्मचारियों को दंडित किया जा सकता है, जैसे जुर्माना, कारावास, या नौकरी से बर्खास्तगी

  • यह कानून सरकार को वैकल्पिक कर्मियों को तैनात करने या अन्य उपाय करने का अधिकार देता है ताकि जनता को इन सेवाओं से वंचित न किया जाए।

 

राजस्थान में न्यायिक कर्मचारी हड़ताल पर क्यों हैं?

राजस्थान में प्रदेशभर के करीब 21 हजार न्यायिक कर्मचारी कैडर पुनर्गठन की मांग को लेकर 18 जुलाई से सामूहिक अवकाश पर हैं। राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ के नेतृत्व में चल रही इस हड़ताल का मुख्य मुद्दा न्यायिक सेवाओं में कैडर पुनर्गठन है। मई 2023 में हाई कोर्ट की फुल बेंच ने कैडर पुनर्गठन का प्रस्ताव पारित कर इसे राज्य सरकार को भेजा था। हालांकि, दो साल बीतने के बावजूद इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ के नेतृत्व में नाराज कमियों ने हडताल शुरू की जिसकी वजह से प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में काम काज पूरी तरह से ठप पड़ा है।

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FAQ

1. क्या राजस्थान उच्च न्यायालय ने न्यायिक कर्मचारियों की हड़ताल को अवैध क्यों करार दिया?
राजस्थान उच्च न्यायालय ने न्यायिक कर्मचारियों की हड़ताल को अवैध करार दिया क्योंकि वेतनभोगी कर्मचारी हड़ताल पर नहीं जा सकते हैं। अदालत ने आदेश दिया कि कर्मचारी शुक्रवार से काम पर लौटें।
2. राजस्थान में अगर न्यायिक कर्मचारी काम पर नहीं लौटते, तो अदालत ने क्या कदम उठाने की योजना बनाई है?
अगर कर्मचारी काम पर नहीं लौटते, तो अदालत ने वैकल्पिक व्यवस्था की योजना बनाई है। जिला न्यायाधीश और कलेक्टर से समन्वय करके होमगार्ड की नियुक्ति की जाएगी। अगर स्थिति बनी रहती है, तो रेस्मा लागू किया जाएगा।
3.क्या न्यायिक कर्मचारियों की हड़ताल से अदालतों का काम प्रभावित हुआ है?
हां, कर्मचारियों की हड़ताल के कारण अदालतों का कामकाज प्रभावित हो रहा है, और याचिकाकर्ता आवश्यक दस्तावेज पेश नहीं कर पाए थे, क्योंकि अधीनस्थ अदालतों में कर्मचारियों की हड़ताल के कारण नकल नहीं मिल पाई थी।

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