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Photograph: (the sootr)
मुकेश शर्मा @ जयपुर
राजस्थान भाजपा में चल रही गुटबाजी को साधने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने हाशिए पर चल रहे नेताओं को मुख्यधारा में लाना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में तिरंगा यात्रा और विभाजन विभिषिका स्मृति दिवस की जिम्मेदारी पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और वसुंधरा गुट के खास नेता अशोक परनामी को दी है।
इससे इस बात की पूरी संभावना है कि आगे मंत्रिमंडल और भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी में भी सभी गुटों के साथ जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों का ध्यान रखा जाएगा।
दरअसल, डेढ़ साल पहले भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनने के बाद से अब तक मंत्रिमंडल में कोई फेरबदल या विस्तार नहीं हुआ है। इसका मुख्य कारण पार्टी की गुटबाजी और पार्टी हाईकमान के नियंत्रण रखने की कवायद को माना जाता है।
सरकार बनने के बाद से ही पूर्व सीएम वसुधंरा राजे और उनके समर्थक विधायकों तथा अन्य नेताओं ने संगठन में भी कोई विशेष रुचि नहीं दिखाई है
सीएम की मुलाकातों से मिल रहे संकेत
पिछले एक सप्ताह में पूर्व मुख्यमंत्री वसुधंरा राजे की पीएम से मुलाकात और उसके तत्काल बाद सीएम भजनलाल शर्मा की भी पीएम तथा गृह मंत्री अमित शाह के साथ हुई मुलाकात और रविवार को संगठन मंत्री बीएल संतोष से बातचीत से कई तरह के संकेत मिल रहे हैं।
सिलसिलेवार हुई इन मुलाकातों से जल्दी ही राज्य मंत्रिमंडल में फेरबदल व विस्तार के साथ ही संगठन में नियुक्तियां तथा राजनीतिक नियुक्तियां हो सकती हैं। इन नियुक्तियों में सभी गुटों का समावेश किया जाएगा, इस बात की पूरी संभावना है।
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राजे गुट की फेरबदल पर निगाहें
राज्य में भजनलाल शर्मा के सीएम बनने के साथ ही पूर्व सीएम वसुधंरा राजे और उनके समर्थकों को दरकिनार कर दिया गया, लेकिन इस दौरान राजे या उनके समर्थकों ने कभी कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की।
दूसरी ओर 2018 में सत्ता से बाहर होने के बाद से वसुधंरा राजे के आरएसएस से संबंध लगातार सुधरे हैं। इसका फायदा राजे गुट को मिलना तय है। संभावना है कि मंत्रिमंडल सहित राजनीतिक नियुक्तियों और प्रदेश संगठन में राजे समर्थकों को पूरी तवज्जो मिलेगी। बड़ा सवाल यह है कि क्या राजे गुट ने नेताओं को अहमियत मिल पाएगी?
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