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Photograph: (the sootr)
राजस्थान में भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी की कथित नई सूची सामने आने के बाद पार्टी में बवाल मच गया। यह सूची सोशल मीडिया पर वायरल हुई और कुछ ही घंटों में विवाद का कारण बन गई। इस सूची में कई नेताओं को अहम पदों पर नियुक्ति दी गई थी, जिसके बाद पार्टी के भीतर नाराजगी का माहौल बन गया।
वायरल सूची को लेकर पार्टी में हंगामा
शनिवार, 16 अगस्त को भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी की नई टीम की सूची सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। यह सूची सात पेजों की थी, जिसमें कई नेताओं को महत्वपूर्ण पदों पर जिम्मेदारी मिलने की बात कही गई थी। जैसे ही यह सूची सार्वजनिक हुई, पार्टी के कई नेता नाराज होकर भाजपा मुख्यालय पहुंचे और सूची में शामिल नामों का विरोध किया। दावा किया गया कि सूची में कई ऐसे नाम हैं जिन्हें महत्वपूर्ण पदों पर जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन जिन नेताओं को कार्यकारिणी में स्थान नहीं मिला, वे इस फैसले से नाखुश थे।
प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ की सफाई
राजस्थान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और इस वायरल सूची को फर्जी बताया। उन्होंने कहा कि पार्टी की ओर से कोई भी अधिकृत सूची जारी नहीं की गई थी और सोशल मीडिया पर जो सूची वायरल हो रही है, वह गलत है। राठौड़ ने यह भी कहा कि पार्टी में पदों पर नियुक्ति करते समय वरिष्ठ और सक्रिय कार्यकर्ताओं की मेहनत को ध्यान में रखा जाएगा।
राठौड़ ने मामले की गंभीरता को समझते हुए यह भी बताया कि इस फर्जी सूची को वायरल करने वालों की जांच कराई जाएगी और यदि पार्टी के किसी कार्यकर्ता का हाथ पाया गया, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
भाजपा शहर जिला अध्यक्ष अमित गोयल की भूमिका
पार्टी के शहर जिला अध्यक्ष अमित गोयल के सोशल मीडिया अकाउंट से ही पहले भाजपा की कार्यकारिणी की सूची जारी की गई थी, जिसमें कुल 34 पदाधिकारियों के नाम थे। इस सूची में 8 उपाध्यक्ष, 3 महामंत्री, 9 मंत्री, 1 कार्यालय मंत्री, 6 प्रदेश प्रवक्ता, 1 आईटी संयोजक, 1 सोशल मीडिया संयोजक और 1 मीडिया सह संयोजक का नाम शामिल था। इस सूची में कुछ ऐसे नाम भी थे, जिनकी सिफारिश पर यह नेता कार्यकारिणी में शामिल किए गए थे। सूची के वायरल होने के बाद विवाद बढ़ते देख इसे तुरंत डिलीट कर दिया गया।
प्रस्तावित सूची में क्या था विशेष?
वायरल सूची में यह भी जानकारी दी गई थी कि कई मंत्री, सांसद और विधायक जिन्होंने नए नेताओं को शहर कार्यकारिणी में शामिल करने के लिए सिफारिश की थी। यह बात भी हैरान करने वाली थी कि इन सिफारिशों को पार्टी के भीतर कितना स्वीकारा गया था। इससे यह संकेत मिला कि सत्तारूढ़ नेताओं और उनके समर्थकों के प्रभाव को पार्टी कार्यकारिणी में जगह देने की कोशिश की जा रही थी, जिसे लेकर पार्टी के कुछ अन्य सदस्य नाराज थे।
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