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Photograph: (TheSootr)
Sri Ganganagar : राजस्थान के अनूपगढ़ से कांग्रेस विधायक शिमला नायक और घड़साना के उपखंड मजिस्ट्रेट (SDM) सुनील चौहान के बीच एक दिलचस्प और विवादित घटनाक्रम सामने आया। विधायक शिमला नायक किसानों के साथ SDM कार्यालय में ज्ञापन देने पहुंची थीं, लेकिन जब SDM तुरंत बाहर नहीं आए, तो उनकी नाराजगी का सामना SDM को करना पड़ा। इस घटना ने क्षेत्र में चर्चा का माहौल बना दिया है, खासतौर पर किसानों के मुद्दों को लेकर इस तरह का विवाद होना प्रदेश की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन गया है।
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MLA शिमला नायक और SDM
— राजस्थानी ट्वीट (@8PMnoCM) September 29, 2025
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किसानों के मुद्दों पर ज्ञापन
विधायक शिमला नायक ने ज्ञापन देने के लिए SDM कार्यालय का रुख किया था। उनका मुख्य उद्देश्य रबी की फसल के लिए सिंचाई पानी का रेगुलेशन मार्च तक जारी रखने, ऑनलाइन गिरदावरी शुरू करने, डीएपी (DAP) और यूरिया (Urea) की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने और स्मार्ट मीटर लगाने के फैसले को वापस लेने की मांग करना था। इन मुद्दों पर किसान काफी परेशान थे और विधायक ने इस ज्ञापन के माध्यम से किसानों के दर्द को प्रशासन के सामने रखा था।
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किसानों की परेशानियाँ
ज्ञापन में सबसे प्रमुख मुद्दा किसानों के लिए सिंचाई पानी की उपलब्धता था। रबी की फसल की सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी की आवश्यकता थी, जो किसानों के लिए एक गंभीर समस्या बन चुकी थी। इसके अलावा, डीएपी और यूरिया की कमी भी किसानों के लिए बड़ी चिंता का विषय थी। इन खादों की कमी के कारण किसानों की फसलें प्रभावित हो रही थीं, और उनका उत्पादन घटने के कारण उनका आर्थिक नुकसान हो रहा था।
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SDM से बाहर न आने पर विधायक की नाराजगी
विधायक शिमला नायक को SDM कार्यालय पहुंचने के बाद पहले गार्ड के जरिए SDM को बाहर बुलाने का संदेश भेजा गया, लेकिन जब काफी देर तक SDM बाहर नहीं आए, तो विधायक का धैर्य टूट गया। इसके बाद, विधायक शिमला नायक खुद SDM के कार्यालय में पहुंच गईं और SDM से पूछा कि इतनी देर तक बाहर क्यों नहीं आए। यह सवाल दोनों के बीच बहस का कारण बना। विधायक ने कहा कि वह आधे घंटे से बाहर खड़ी थीं और 50-60 लोग उनके साथ इंतजार कर रहे थे।
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आरोप और सफाई का दौर
विधायक ने आरोप लगाया कि अगर किसी जनप्रतिनिधि से इस तरह का व्यवहार किया जाता है, तो यह गलत है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जिला कलेक्टर भी अपने सारे काम छोड़कर पहले ज्ञापन लेने आते हैं। SDM ने जवाब दिया कि उन्होंने कभी ज्ञापन लेने से मना नहीं किया, और गार्ड से सूचना मिलने पर वे बाहर आ रहे थे। लेकिन विधायक ने कहा कि उन्हें पहले से ही सूचित किया गया था और यह व्यवहार असंवेदनशील था।
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नए राजनीतिक विवाद को दिया जन्म
इस बहस के बाद, SDM सुनील चौहान बाहर आए और विधायक से ज्ञापन स्वीकार किया। उन्होंने यह भी कहा कि वह जल्द ही ज्ञापन पर कार्रवाई करेंगे। यह घटना केवल प्रशासनिक विवाद नहीं रही, बल्कि यह क्षेत्र की राजनीतिक स्थिति को भी प्रभावित करने वाली थी। कांग्रेस विधायक शिमला नायक ने अपनी पार्टी के हित में किसानों के मुद्दों को उठाया था, लेकिन इस नोकझोंक के बाद यह सवाल उठने लगा कि क्या प्रशासन में जनप्रतिनिधियों के साथ इस तरह का व्यवहार करना उचित है।
सिंचाई पानी की आपूर्ति
किसानों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा सिंचाई पानी था। रबी फसल के लिए पानी की जरूरत थी, और यह मुद्दा कई बार उठ चुका था। विधायक शिमला नायक ने यह सुनिश्चित करने के लिए ज्ञापन दिया था कि सिंचाई पानी की आपूर्ति मार्च तक जारी रहे। हालांकि, इस मुद्दे पर अब तक प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए थे।
डीएपी और यूरिया की आपूर्ति
किसानों के लिए डीएपी और यूरिया की कमी भी एक प्रमुख समस्या बन गई थी। इन दोनों खादों की कमी से किसानों की फसलें प्रभावित हो रही थीं, और उनकी उत्पादन क्षमता में भारी कमी आई थी। विधायक ने सरकार से इन खादों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने की मांग की थी ताकि किसानों को राहत मिल सके।
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सरकार की जिम्मेदारी
शिमला नायक एसडीएम विवाद यह साबित करता है कि राज्य सरकार और प्रशासन को किसानों के मुद्दों पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। किसानों के लिए सुविधाओं की आपूर्ति, जैसे सिंचाई पानी, खाद, और उचित समर्थन नीतियां सुनिश्चित करना जरूरी है। सरकार को चाहिए कि वह इन मुद्दों पर त्वरित कार्रवाई करें और किसानों के लिए नीतियों में बदलाव करें ताकि वे अपनी फसलें सही तरीके से उगा सकें।