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जयपुर में रामगढ़ बांध पर कृत्रिम बारिश की तकनीक का ट्रायल अटका हुआ है। यह ट्रायल डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) से 10,000 फीट तक ड्रोन उड़ाने की मंजूरी मिलने पर ही आगे बढ़ेगा। कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने केंद्रीय सिविल एविएशन मंत्री राममोहन नायडू से मिलने का समय मांगा है ताकि ड्रोन के लिए जरूरी मंजूरी प्राप्त की जा सके।
ड्रोन को 400 फीट तक ही उड़ाने की अनुमति
कृत्रिम बारिश के लिए प्रयोग कर रही निजी कंपनी जेनेक्स एआई की टीम पिछले दो हफ्तों से रामगढ़ बांध के इलाके में काम कर रही है। फिलहाल ड्रोन को 400 फीट तक ही उड़ाने की अनुमति मिली हुई है, जबकि बादलों की ऊंचाई दो से 20 हजार फीट तक होती है। इसलिए 10,000 फीट तक ड्रोन उड़ाने की मंजूरी जरूरी है, ताकि बारिश वाले बादलों तक पहुंचा जा सके।
मौसम और बादलों की ऊंचाई से जुड़ी चुनौती
राजस्थान में सितंबर में मानसून विदा हो जाता है, और बारिश वाले बादल सितंबर के दूसरे सप्ताह के बाद मिलना मुश्किल हो जाता है। यदि इस माह के भीतर ड्रोन को 10 हजार फीट तक उड़ाने की मंजूरी नहीं मिली, तो कृत्रिम बारिश का प्रयोग सफल होना मुश्किल होगा।
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12 अगस्त को ट्रायल क्यों फेल हुआ
12 अगस्त को ड्रोन से कृत्रिम बारिश का ट्रायल सफल नहीं हो पाया था। उस दिन कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा खुद थे। ट्रायल के दौरान ड्रोन गिर गया। इसके बाद, ड्रोन को 400 फीट तक उड़ाने में कामयाबी मिली। इसके बाद समस्या यह आई कि बादल अधिक ऊंचाई पर थे। इसलिए ड्रोन बदलों तक नहीं पहुंच पाया और ट्रायल फेल हो गया।
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तकनीकी खराबी के कारण ड्रोन गिरा
कंपनी के वैज्ञानिक और फील्ड टेक्नीशियन रोज ड्रोन उड़ाकर डेटा एकत्र कर रहे हैं। रविवार को भी ड्रोन एक तकनीकी खराबी के कारण एक गांव के पास गिर गया था। जेनेक्स एआई के डायरेक्टर अजिंक्या का कहना है कि इस तरह की घटनाएं सामान्य होती हैं और वे लगातार मौसम से जुड़े डेटा इकट्ठा कर रहे हैं। उनका दावा है कि डीजीसीए से मंजूरी मिलने के बाद राजस्थान में कृत्रिम बारिश का ट्रायल फिर से शुरू किया जाएगा।
कृषि मंत्री की कोशिशें
कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने जल्द से जल्द मंजूरी पाने के लिए केंद्रीय सिविल एविएशन मंत्री से मुलाकात का समय मांगा है। मंत्री का कहना है कि यदि इस महीने तक मंजूरी नहीं मिलती, तो ट्रायल को पूरा करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलेगा। इसके बाद कंपनी को कई प्रयोग करने हैं, और कुल मिलाकर 60 दिनों तक इस तरह के प्रयोग चलने हैं।
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