राजस्थान सरसों उद्योग संकट में, सबसे बड़ा उत्पादक राज्य फिर भी बंद हो रही मिलें, जानें पूरा मामला

राजस्थान सरसों उत्पादन में भारत का सबसे बड़ा राज्य है, लेकिन तेल मिलों की बंदी और बुनियादी ढांचे की कमी ने इस क्षेत्र की प्रगति को प्रभावित किया है। The Sootr में जानिए राजस्थान में सरसों उद्योग की स्थिति।

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Nitin Kumar Bhal
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Photograph: (The Sootr)

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राजस्थान (Rajasthan) भारत का सबसे बड़ा सरसों उत्पादक राज्य है, जो देश के कुल सरसों उत्पादन का 45-49% हिस्सा प्रदान करता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और रेपसीड सरसों अनुसंधान निदेशालय की रिपोर्ट के अनुसार 2024-25 में राजस्थान ने 52.03 लाख टन सरसों का उत्पादन किया, जो भारतीय कृषि के लिए महत्वपूर्ण है। राज्य की 34.74 लाख हेक्टेयर भूमि पर सरसों की खेती हो रही है, जिसमें प्रमुख जिले अलवर, भरतपुर, श्रीगंगानगर, धौलपुर और सवाई माधोपुर हैं।  इस सब के बावजूद राजस्थान का सरसों उद्योग गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है। लगातार मिलें बंद हो रही हैं। ऐसे में आय के साथ रोजगार का संकट भी खड़ा हो गया है।

राजस्थान में सरसों उत्पादन के प्रमुख जिले कौन से हैं?

  • अलवर: 10 लाख टन उत्पादन के साथ राज्य का सबसे बड़ा उत्पादक जिला।

  • भरतपुर: 8 लाख टन उत्पादन।

  • श्रीगंगानगर: 7 लाख टन उत्पादन।

राजस्थान में सरसों का उत्पादन बड़े पैमाने पर हो रहा है, लेकिन इसके बावजूद इस क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण समस्याएँ भी हैं, जिनका प्रभाव राज्य की आर्थिक स्थिति पर पड़ता है।

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राजस्थान में कितनी तेल मिल बंद हो चुकी हैं?

राजस्थान में कभी 1,600 तेल मिलें थीं, जिनमें से 1,000 बंद हो चुकी हैं। 600 मिलें भी केवल 50% क्षमता पर चल रही हैं। राजस्थान तेल मिलों की स्थिति का प्रमुख कारण उच्च कर, कच्चे माल की कमी और सरकारी नीतियों की उपेक्षा है। जैसे-जैसे तेल मिलें बंद हो रही हैं, कच्चा सरसों मजबूरी में गुजरात और दिल्ली भेजा जा रहा है।

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राजस्थान में तेल मिलों के बंद होने के कारण

  1. उच्च कर: 0.5% किसान कल्याण शुल्क और 1% मंडी कर।

  2. कच्चे माल की कमी: एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) से कम पर बेचने की मजबूरी।

  3. जीएसटी बोझ: 18% जीएसटी और इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर से बढ़ी लागत।

  4. प्रतिस्पर्धा: आयातित सोया और पाम तेल (65% खपत) सस्ते होने के कारण।

  5. बुनियादी ढांचे की कमी: बिजली और पानी की कमी के कारण भरतपुर और जयपुर में मिलों की स्थिति खराब हो रही है।

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सरकार ने राइजिंग राजस्थान 2024 योजना में 500 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने की घोषणा की है, इसके साथ ही जयपुर, भरतपुर और अलवर में 5 तेल पार्क स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है। इसके अलावा, पीएमएफएमई (प्रधानमंत्री फूड प्रोसेसिंग मिशन एंटरप्राइजेज) स्कीम के तहत 100 माइक्रो यूनिट्स को 50% सब्सिडी दी गई है। सरसों उद्योग से राजस्थान में 50,000 प्रत्यक्ष रोजगार और 1 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न होते हैं।

राजस्थान में सरसों की खपत और निर्यात

राजस्थान में हर साल लगभग 20% सरसों (10.4 लाख टन) स्थानीय खपत में जाता है, जबकि 80% (41.6 लाख टन) निर्यात किया जाता है। प्रमुख निर्यात गंतव्यों में गुजरात (40%), दिल्ली (20%), उत्तर प्रदेश (15%) और विदेश (25%) शामिल हैं।

राजस्थान सरसों उद्योग समस्याएं और समाधान क्या हैं?

राजस्थान के सरसों उद्योग को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें प्रमुख हैं - उच्च कर, कच्चे माल की कमी, जीएसटी बोझ, और बुनियादी ढांचे की समस्याएँ। यदि इन समस्याओं का समाधान किया जाता है, तो राजस्थान को अपने सरसों उद्योग में बड़ी सफलता मिल सकती है।

समाधान

  1. सरकारी नीतियाँ: सरकारी योजनाओं में सुधार और उन्हें लागू करने के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए।

  2. प्रोसेसिंग क्षमता में वृद्धि: तेल मिलों और प्रोसेसिंग पार्कों के निर्माण से उद्योग में वृद्धि हो सकती है।

  3. निर्यात को बढ़ावा: निर्यात की सुविधा बढ़ाकर राज्य की आय में वृद्धि की जा सकती है।

राजस्थान से सरसों तेल का विदेशी निर्यात

  • ऑस्ट्रेलिया: 1.34 लाख टन।

  • यूएई, यूएसए, नीदरलैंड: अन्य प्रमुख निर्यात गंतव्य।

2024 में, राजस्थान से सरसों तेल निर्यात से 15,370 करोड़ रुपये की आय हुई, जो राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

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राजस्थान में पांच वर्ष में सरसों उत्पादन और खपत की क्या स्थिति है?

वर्षउत्पादन (लाख टन) स्थानीय खपत (लाख टन)निर्यात (लाख टन) निर्यात (करोड़ रु.) सक्रिय मिल 
202048.009.60 (20%)38.40 (80%)11,500800
202149.509.90 (20%)39.60 (80%)12,500750
202250.0010.00 (20%)40.00 (80%)14,000700
202351.0010.20 (20%)40.80 (80%)15,000650
202452.0310.41 (20%)41.62 (80%)15,370600

स्रोत: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और रेपसीड सरसों अनुसंधान निदेशालय 2024

सरसों का तेल और खली की ​बिक्री

राजस्थान में बड़ी कंपनियाँ जैसे अडानी विलमर, बुंगे इंडिया और इमामी एग्रोटेक प्रमुख रूप से सरसों खरीदती हैं। ये कंपनियाँ सरसों के तेल में रिफाइंड मिलाकर उसे 140-180 रुपये प्रति लीटर बेचती हैं। इसके अलावा, मदर डेयरी और अमूल जैसे डेयरी ब्रांड भी 50,000 टन खली खरीदते हैं, जो पशु आहार के रूप में इस्तेमाल होती है।

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राजस्थान में तेल पार्क और प्रोसेसिंग हब की आवश्यकता

राजस्थान में तेल मिलों की स्थिति सुधारने के लिए तेल पार्क की स्थापना बेहद महत्वपूर्ण हो गई है। जयपुर और अलवर में प्रोसेसिंग हब बनाए जाने से इस उद्योग को नई दिशा मिल सकती है।

  1. एमएसपी खरीद: राज्य में सरसों की 100% एमएसपी पर खरीद होनी चाहिए।

  2. सौर ऊर्जा: सोलर प्लांट से बिजली की लागत कम की जा सकती है।

  3. निर्यात सुविधा: जोधपुर में ड्राई पोर्ट सुविधा की स्थापना की जा सकती है, जिससे निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।

FAQ

1. राजस्थान में सरसों का उत्पादन कितना है?
राजस्थान भारत में सरसों का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है, जहां 2024-25 में 52.03 लाख टन सरसों का उत्पादन हुआ।
2. राजस्थान में सरसों की प्रमुख खपत कहाँ होती है?
राजस्थान में 20% सरसों स्थानीय खपत में जाता है, जिसमें जयपुर, जोधपुर और उदयपुर के बाजार शामिल हैं।
3. राजस्थान में तेल मिलों की स्थिति क्या है?
राजस्थान में 1,600 तेल मिलें थीं, जिनमें से 1,000 बंद हो चुकी हैं और 600 केवल 50% क्षमता पर चल रही हैं।
4. राजस्थान से सरसों का निर्यात कहाँ होता है?
सरसों का निर्यात मुख्य रूप से गुजरात, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और विदेशों जैसे ऑस्ट्रेलिया, यूएई, और यूएसए में किया जाता है।
5. राजस्थान में सरसों उद्योग से कितने रोजगार उत्पन्न होते हैं?
सरसों उद्योग से राजस्थान में 50,000 प्रत्यक्ष और 1 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न होते हैं, जिनमें अलवर, भरतपुर, श्रीगंगानगर और जयपुर प्रमुख स्थान हैं।

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