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Photograph: (the sootr)
JAIPUR. राजस्थान में नियुक्त हुए नए पुलिस महानिदेशक राजीव शर्मा के चयन में प्रशासनिक दक्षता के साथ ही सोशल इंजीनियरिंग को भी ध्यान रखा गया है। 1990 बैच के वरिष्ठ आईपीएस राजीव शर्मा का ताल्लुक ओबीसी समुदाय से है। राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार ने इस नियुक्ति के जरिए जातीय संतुलन साधने का भी संदेश दिया है।
छह साल में चार डीजीपी ओबीसी से
राजस्थान में छह साल से उमेश मिश्रा को छोड़कर अधिक समय ओबीसी समुदाय का अधिकारी ही डीजीपी बनाया गया है। इस दौरान वह पांचवें डीजीपी हैं। इनमें राजीव शर्मा चौथे ओबीसी पुलिस मुखिया होंगे। वे उत्कल रंजन साहू की जगह लेंगे। साहू भी ओबीसी समुदाय के थे, जिन्हें हाल ही में राजस्थान लोकसेवा आयोग का चेयरमैन बनाया गया है। साहू के बाद दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले आईपीएस रवि प्रकाश मेहरड़ा को कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया था। वे इसी 30 जून को रिटायर हुए हैं।
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ब्रज कनेक्शन ने दिखाया रंग
आईपीएस राजीव शर्मा मूलत: उत्तर प्रदेश के मथुरा के रहने वाले हैं। वे सीएम भजनलाल शर्मा के करीबी और विश्वस्त अधिकारी माने जाते हैं। खुद सीएम भी भरतपुर के रहने वाले हैं। दोनों शहर ब्रज क्षेत्र का ही हिस्सा है। बताया जाता है कि राजीव शर्मा की नियुक्ति में इस ब्रज कनेक्शन ने अहम भूमिका निभाई है।
इसलिए काम आया जातीय कार्ड
सूत्रों का कहना है कि राजीव शर्मा की नियुक्ति में यह भी देखा गया है कि टॉप नौकरशाही में जातीय संतुलन बना रहे। वर्तमान में मुख्य सचिव सुधांश पंत सामन्य वर्ग से हैं। खुद सीएम भजनलाल शर्मा भी सामान्य वर्ग हैं। ऐसे में राजनीतिक रणनीति यह रही कि डीजीपी पद पर ओबीसी वर्ग के अधिकारी की नियुक्ति की जाए। हालांकि, यूपीएससी ने जिन तीन अधिकारियों का पैनल भेजा था, उसमें राजीव शर्मा का नाम टॉप पर था।
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कार्यशैली व अनुभव काम आया
सूत्रों का कहना है कि आईपीएस राजीव शर्मा की वरिष्ठता, पुलिसिंग दक्षता और उनका व्यवहार उनके चयन के पक्ष में काम आया। वे 35 साल के अपने कैरियर में कई महत्वपूर्ण भूमिका में रहे हैं। उनकी छवि ईमानदार और अनुशासनप्रिय अधिकारी के रूप में रही है।
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