राजस्थान हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कर्मचारी अपराध में बरी तो जेल में बिताई अवधि का मिलेगा वेतन और परिलाभ

राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारी को जेल में बिताए गए समय का वेतन और परिलाभ देने का आदेश दिया, जब उसे अपराध से बरी किया गया। पूरा मामला The Sootr में।

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Nitin Kumar Bhal
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अगर कोई सरकारी कर्मचारी किसी अपराध में बरी हो जाता है, तो उसे जेल में बिताई गई अवधि का वेतन और समस्त परिलाभ (Benefits) दिए जाएंगे। यह आदेश राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने कांस्टेबल हरभजन सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए हैं। इस फैसले में जस्टिस आनंद शर्मा (Justice Anand Sharma) की एकलपीठ ने महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए हैं, जो सरकारी कर्मचारियों के अधिकारों और न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े हैं।

राजस्थान हाईकोर्ट का निर्णय: क्या कहता है आदेश? 

राजस्थान हाईकोर्ट ने कांस्टेबल हरभजन सिंह की याचिका पर निर्णय सुनाते हुए यह स्पष्ट किया कि, यदि किसी सरकारी कर्मचारी को न्यायालय द्वारा बरी कर दिया जाता है, तो उसे उस अवधि का वेतन और सभी परिलाभ दिए जाएंगे जो उसने जेल में बिताई थी। कांस्टेबल के खिलाफ रेप और एससी-एसटी एक्ट (SC/ST Act) के तहत मामले चल रहे थे, लेकिन ट्रायल कोर्ट ने उसे 1 अगस्त 2002 को बरी कर दिया।

कोर्ट ने इस फैसले में यह भी आदेश दिया कि विभाग द्वारा उस अवधि को अनुपस्थित मानते हुए अवैतनिक अवकाश (Unpaid Leave) मानने का आदेश रद्द कर दिया जाए।

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हरभजन सिंह का मामला: केस की पूरी कहानी

हरभजन सिंह की गिरफ्तारी 21 अगस्त 2000 को हुई थी। उसी दिन विभाग ने उसे निलंबित कर दिया था। इसके बाद चार्जशीट (Chargesheet) दायर की गई और लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद 1 अगस्त 2002 को ट्रायल कोर्ट ने हरभजन सिंह को बरी कर दिया।

अदालत के फैसले के बाद, विभाग ने 11 सितंबर 2002 को हरभजन सिंह का निलंबन रद्द कर दिया, लेकिन उसने 21 अगस्त 2000 से 1 अगस्त 2002 तक की अवधि को अनुपस्थित मानते हुए अवैतनिक अवकाश में बदल दिया। यह निर्णय हरभजन सिंह के लिए अस्वीकार्य था और उसने इस फैसले को चुनौती दी।

राज्य सरकार को इस निर्णय से एक महत्वपूर्ण सबक लेना चाहिए कि किसी भी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ चल रहे मामलों में उसे निष्कलंक सिद्ध होने तक किसी प्रकार का वित्तीय दंड (Financial Penalty) या अन्य कठिनाइयां नहीं दी जानी चाहिए। जब किसी कर्मचारी को न्यायालय द्वारा बरी किया जाता है, तो उसे सभी वेतन और परिलाभ (Benefits) दिए जाने चाहिए। इससे सरकारी कर्मचारियों के अधिकारों के प्रति न्यायालय की संवेदनशीलता को भी प्रदर्शित किया गया है।

कांस्टेबल मामले में हाईकोर्ट का विस्तृत निर्णय

हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए पाया कि जब तक किसी कर्मचारी के खिलाफ चल रहे मामलों में उसे दोषी नहीं पाया जाता, तब तक उसे न्यायिक अभिरक्षा में बिताए गए समय का वेतन और अन्य परिलाभ मिलना चाहिए। जस्टिस आनंद शर्मा ने यह आदेश दिया कि सरकारी कर्मचारी के द्वारा जेल में बिताए गए समय को किसी भी परिस्थिति में अनुपस्थित (Absent) नहीं माना जा सकता, विशेषकर जब उस कर्मचारी को अंततः बरी कर दिया गया हो।

यह फैसला सरकारी कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करता है और उन्हें न्यायिक प्रणाली के तहत मिलने वाले अधिकारों को सुनिश्चित करता है।

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राजस्थान में कांस्टेबल हरभजन सिंह का मामला क्या है?

जब हरभजन सिंह को 21 अगस्त 2000 को गिरफ्तार किया गया था, तो वह केवल एक आरोपित (Accused) था और उसे दोषी साबित होने से पहले निर्दोष माना जाता था। हालांकि, विभाग ने उसे निलंबित किया और उसके खिलाफ चल रहे मामले के आधार पर उसे अवैतनिक अवकाश (Unpaid Leave) पर डाल दिया।

यह निर्णय उस वक्त पूरी तरह से अनुचित था, क्योंकि उसे बिना दोषी पाए गए अवैतनिक अवकाश देना कानूनी रूप से सही नहीं था। हाईकोर्ट ने इस मामले में हरभजन सिंह के अधिकारों की रक्षा करते हुए विभाग के आदेश को रद्द कर दिया।

बकाया वेतन का मिलेगा एरियर

राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार, अब हरभजन सिंह को वह बकाया वेतन (Arrears of Salary) मिलेंगे जो उसने जेल में बिताए गए समय के दौरान नहीं प्राप्त किया। यह निर्णय 23 साल बाद आया है, और इसे कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण जीत के रूप में देखा जा रहा है।

विभाग को हरभजन सिंह का वेतन और परिलाभ 21 अगस्त 2000 से 1 अगस्त 2002 तक की अवधि के लिए उसे देने होंगे। यह आदेश सरकारी कर्मचारियों के लिए एक अहम संदेश है कि उन्हें बरी होने के बाद उनके सभी कानूनी अधिकार मिलेंगे।

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राजस्थान में सरकारी कर्मचारियों के अधिकार

राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला सरकारी कर्मचारियों के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। इसके द्वारा यह संदेश दिया गया है कि जब तक किसी कर्मचारी को न्यायालय द्वारा दोषी नहीं ठहराया जाता, तब तक उसके अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता। कर्मचारी अपराध में बरी तो मिलेगा वेतन और परिलाभ।

सरकारी कर्मचारियों के लिए राजस्थान हाईकोर्ट का निर्णय विश्वास सरकारी कर्मचारियों को विश्वास दिलाएगा कि वे न्यायिक प्रणाली के तहत अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं, और अगर वे निर्दोष साबित होते हैं तो उन्हें उनका पूर्ण वेतन और परिलाभ (Benefits) मिलेगा।

FAQ

क्या किसी सरकारी कर्मचारी को बरी होने के बाद जेल में बिताए गए समय का वेतन मिलेगा?
हां, राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार, यदि किसी सरकारी कर्मचारी को अपराध से बरी कर दिया जाता है, तो उसे जेल में बिताए गए समय का वेतन और सभी परिलाभ मिलेंगे।
क्या सरकारी विभाग किसी बरी हुए कर्मचारी को अवैतनिक अवकाश दे सकता है?
नहीं, यदि कर्मचारी बरी हो जाता है, तो विभाग को उसे अवैतनिक अवकाश नहीं देना चाहिए। अदालत ने इस पर रोक लगाई है।
राजस्थान में कांस्टेबल हरभजन सिंह के मामले में क्या हुआ था?
हरभजन सिंह को 2000 में गिरफ्तार किया गया था और 2002 में बरी किया गया। विभाग ने उसे अवैतनिक अवकाश में डाल दिया, जिसे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया।
राजस्थान हाईकोर्ट का निर्णय सरकारी कर्मचारियों के लिए क्या महत्व रखता है?
यह निर्णय सरकारी कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करता है और उन्हें बरी होने के बाद उनके सभी लाभ और वेतन मिलने की स्थिति स्पष्ट करता है।
क्या राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले से सरकारी कर्मचारियों को फायदा होगा?
हां, यह निर्णय अन्य सरकारी कर्मचारियों को प्रेरित करेगा कि वे भी अपने अधिकारों के लिए न्यायालय का सहारा ले सकते हैं और बरी होने पर उन्हें सभी वेतन और परिलाभ मिलेंगे।

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