जनजाति शिक्षा के प्रति यह कैसा रवैया! अस्तित्व के संकट से जूझ रही राजस्थान की गोविन्द गुरु ट्राइबल यूनिवर्सिटी

राजस्थान में बांसवाड़ा की गोविन्द गुरु ट्राइबल यूनिवर्सिटी में स्थायी स्टाफ न होने से पढ़ाई, परीक्षा गुणवत्ता और फंडिंग प्रभावित, NAAC एक्रेडिटेशन अटका।

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Nitin Kumar Bhal
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Govind Guru Tribal University

Photograph: (The Sootr)

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दक्षिण राजस्थान के पिछड़े जनजातीय अंचल के तीन जिलों बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ में जनजाति के बच्चों में शिक्षा की अलख जगाने के लिए स्थापित गोविन्द गुरु ट्राइबल यूनिवर्सिटी (Govind Guru Tribal University, GGTU) खुद अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। इस यूनिवर्सिटी की स्थापना को 13 वर्ष हो चुके हैं लेकिन, इस अवधि में विश्वविद्यालय ने स्थायी स्टाफ की नियुक्ति तक नहीं की है। रजिस्ट्रार से लेकर अकादमिक व शैक्षणिक पदों पर सभी संविदा (contractual) या अस्थायी कर्मी ही कार्य कर रहे हैं।

जीजीटीयू में अब तक नहीं बने विभाग, भवन भी अधूरा

यूनिवर्सिटी में अभी तक कोई विभाग भी गठित नहीं हो पाया है। इसके साथ ही विश्वविद्यालय परिसर का निर्माण भी अधूरा है। जो स्थिति बनी है, उसके कारण पढ़ाई तथा परीक्षा गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ा है। यहां तक कि राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) से एक्रेडिटेशन की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो सकी है।

166 राजकीय एवं निजी कॉलेज संभालता है जीजीटीयू

यूनिवर्सिटी के एकमात्र स्वीकृत स्थायी कुलसचिव का पद भी खाली है। अतिरिक्त जिला कलक्टर को अस्थायी तौर पर अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है। यूनिवर्सिटी के अधीन बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ जिलों के 166 राजकीय एवं निजी महाविद्यालय आते हैं। इन कॉलेजों में कुल मिलाकर लगभग सवा लाख (1,25,000) छात्र अध्ययनरत हैं।

जीजीटीयू में सभी पद रिक्त

शिक्षा व्यवस्था की मजबूती के लिए स्थायी स्टाफ अत्यंत आवश्यक होता है। हालांकि, गोविन्द गुरु ट्राइबल यूनिवर्सिटी में स्थायी पद स्वीकृत जरूर हैं, परंतु वे खाली पड़े हैं। कुछ प्रमुख गैर-शैक्षणिक और शैक्षणिक पदों की स्थिति इस प्रकार है।

पदनाम (Post)स्वीकृत पद (Sanctioned)भरे पद (Filled)
परीक्षा नियंत्रक (Exam Controller)10
उपकुलसचिव (Deputy Registrar)10
सहायक कुलसचिव (Assistant Registrar)10
स्टेनोग्राफर (Stenographer)10
विधि सहायक (Legal Assistant)10
पुस्तकालयाध्यक्ष (Librarian)10
कनिष्ठ लिपिक (Junior Clerk)10
वाहन चालक (Driver)10
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी (Grade IV Staff)10

शैक्षणिक पदों पर भी स्थिति कुछ अलग नहीं

पदनाम (Academic Post)स्वीकृत पद (Sanctioned)भरे पद (Filled)
प्रोफेसर (Professor)50
एसोसिएट प्रोफेसर (Associate Professor)100
सहायक प्रोफेसर (Assistant Professor)150

जीजीटीयू का नैक एक्रिडिटेशन भी नहीं

स्थायी स्टाफ न होने के कारण जीजीटीयू की प्रशासनिक और अकादमिक कार्यक्षमता प्रभावित होती है। नैक एक्रेडिटेशन के अभाव में विश्वविद्यालय की मान्यता और गुणवत्ता पर संदेह उत्पन्न होता है। इसके साथ ही यूजीसी से मिलने वाले वित्तीय अनुदान भी रुक गए हैं, जिससे विकास कार्य ठप हो गए हैं।

नैक एक्रिडिटेशन क्या है?

नैक एक्रिडिटेशन (NAAC Accreditation) का मतलब राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (National Assessment and Accreditation Council) द्वारा उच्च शिक्षा संस्थानों (जैसे कॉलेज और विश्वविद्यालय) का मूल्यांकन और मान्यता प्राप्त करना है। यह एक प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करना और संस्थानों को बेहतर बनाने के लिए प्रोत्साहित करना है। NAAC एक स्वायत्त संस्था है जो भारत सरकार के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा स्थापित की गई है।

सवा लाख विद्यार्थी हैं जीजीटीयू में

गोविन्द गुरु ट्राइबल यूनिवर्सिटी के अधीन 166 कॉलेज हैं, जहाँ छात्र संख्या लगभग 1.25 लाख है। इन कॉलेजों की बेहतर व्यवस्थाओं और शिक्षा की गुणवत्ता के लिए विश्वविद्यालय की मजबूत आंतरिक संरचना व संसाधन आवश्यक हैं। अभी विश्वविद्यालय की ही स्थिति कमजोर होने से इन कॉलेजों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

भारत में जनजातीय शिक्षा के सामने क्या चुनौतियां हैं?

भारत में जनजातीय शिक्षा की मुख्य समस्याएं अनेक हैं, जो आर्थिक, सामाजिक, भाषाई, प्रशासनिक और बुनियादी ढांचे से जुड़ी हैं। इन समस्याओं के कारण जनजातीय क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण और समावेशी शिक्षा की उपलब्धता बाधित होती है। प्रमुख समस्याएं निम्नलिखित हैं:

  1. भाषाई समस्याएं : अधिकतर जनजातीय बच्चे घर पर अपनी मातृभाषा बोलते हैं, जो अक्सर स्कूलों में पढ़ाई के माध्यम से अलग होती है। इस कारण वे पढ़ाई के पाठ्यक्रम को ठीक से समझने में असमर्थ रहते हैं, जिससे उनका शैक्षणिक प्रदर्शन प्रभावित होता है और पढ़ाई छोड़ने की दर बढ़ जाती है।

  2. गरीबी और आर्थिक अस्थिरता : अधिकतर जनजातीय परिवारों की आर्थिक स्थिति कमजोर होती है, जिससे बच्चे मजदूरी के लिए परिवार की मदद करते हैं और पढ़ाई के लिए कम समय मिल पाता है। यह शिक्षा के मार्ग में बड़ी बाधा है।

  3. शिक्षकों की कमी और अनुपस्थिति : दूरदराज के जनजातीय क्षेत्रों में प्रशिक्षित और संवेदनशील शिक्षक उपलब्ध नहीं होते हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है। शिक्षक-छात्र अनुपात अक्सर अत्यधिक होता है, जिससे विद्यार्थियों को व्यक्तिगत ध्यान नहीं मिल पाता।

  4. खराब बुनियादी संरचना : अनेकों आदिवासी स्कूलों में उचित कक्षाएं, स्वच्छ जल, शौचालय, पुस्तकालय और छात्रावास जैसी आवश्यक सुविधाएं नहीं होतीं। इससे बच्चों के नियमित और सुसंगत अध्ययन में बाधा आती है।

  5. उच्च स्तर पर शिक्षा में पिछड़ापन : बहुत से जनजातीय बच्चे प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा में नामांकन नहीं कर पाते हैं। इसके पीछे सामाजिक-आर्थिक कारण, जागरूकता की कमी और समुचित मार्गदर्शन की अनुपस्थिति है।

  6. संस्कृति और सामाजिक बाधाएं : जनजातीय समुदायों की सांस्कृतिक विविधता और परंपराओं का स्कूल शिक्षा में पर्याप्त सम्मान ना होना बच्चों और उनके परिवारों की शिक्षा में रुचि को कम करता है।

  7. पाठ्यक्रम की अप्रासंगिकता : आदिवासी बच्चों के सांस्कृतिक और सामाजिक संदर्भ से मेल न खाने वाला पाठ्यक्रम उनकी सीखने की रुचि को प्रभावित करता है।

  8. लर्निंग लॉस : अक्सर जनजातीय क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाएँ, महामारी या सामाजिक-आर्थिक संकट के कारण बच्चों को पढ़ाई में लर्निंग लॉस का सामना करना पड़ता है।

गोविन्द गुरु ट्राइबल यूनिवर्सिटी की मुख्य चुनौतियां

चुनौतियांविवरण
स्थायी स्टाफ का अभावसभी महत्वपूर्ण पद खाली, संविदा कर्मचारियों पर निर्भरता
ऐप्टेड विभागों का न बननाविभाग गठन न होने से शैक्षणिक प्रबंधन में समस्या
नैक एक्रेडिटेशन का अभावगुणवत्ता प्रमाणीकरण अधूरा, विश्वविद्यालय की छवि प्रभावित
यूजीसी फंडिंग बंदअनुदान बंद, विकास कार्य रुकावट में
अविकसित परिसरसुविधाओं का अभाव, स्थायी भवन का निर्माण अधूरा

FAQ

1. गोविन्द गुरु ट्राइबल यूनिवर्सिटी में स्थायी स्टाफ की आवश्यकता क्यों महत्वपूर्ण है?
स्थायी स्टाफ विश्वविद्यालय के सुचारू प्रशासन और उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा देने के लिए आवश्यक हैं। इनके बिना अकादमिक और प्रशासनिक क्रियाकलाप प्रभावित होते हैं।
2. गोविन्द गुरु ट्राइबल यूनिवर्सिटी को NAAC एक्रेडिटेशन क्यों नहीं मिल पाया है?
स्थायी स्टाफ और विभाग न होने के कारण नैक एक्रेडिटेशन प्रक्रिया अभी तक प्रारंभ नहीं हो सकी है, जिससे विश्वविद्यालय की गुणवत्ता प्रमाणित नहीं हो पाई है।
3. गोविन्द गुरु ट्राइबल यूनिवर्सिटी में स्थायी स्टाफ की कमी का विद्यार्थियों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
अस्थायी और संविदा कर्मचारियों के कारण पढ़ाई की गुणवत्ता प्रभावित होती है, जिससे विद्यार्थियों को सही शिक्षा और समर्थन नहीं मिलता।
4. गोविन्द गुरु ट्राइबल यूनिवर्सिटी को यूजीसी से फंडिंग क्यों नहीं मिल रही है?
NAAC एक्रेडिटेशन न मिलने और प्रशासनिक कमज़ोरी के कारण विश्वविद्यालय को यूजीसी से वित्तीय सहायता रोक दी गई है।
5. गोविन्द गुरु ट्राइबल यूनिवर्सिटी की मुख्य जिम्मेदारी क्या है?
यह विश्वविद्यालय बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ जिलों के 166 कॉलेजों को नियंत्रित करता है और उनके माध्यम से 1.25 लाख से अधिक छात्रों की उच्च शिक्षा की देखरेख करता है।

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