राजस्थान में ग्राइंडिंग उद्योग संकट : बढ़ रहे खनिज निर्यात से स्थानीय उद्योगों पर गंभीर प्रभाव, जानें समस्या और समाधान

राजस्थान सरकार निवेश बढ़ाने में सक्रिय है, लेकिन पारंपरिक ग्राइंडिंग उद्योग संकट में है क्योंकि फेल्सपार, क्वार्टज और माइका खनिज बड़े पैमाने पर बाहर भेजे जा रहे हैं। पहले लगी रोक हटने के कारण प्रदेश की 6,000 से अधिक यूनिटें प्रभावित हो रही हैं।

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Nitin Kumar Bhal
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Photograph: (The Sootr)

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राजस्थान (Rajasthan) सरकार ने प्रदेश में निवेश बढ़ाकर नए उद्योग खड़े करने पर जोर दिया है, लेकिन इसी बीच परंपरागत ग्राइंडिंग उद्योग (Mineral Grinding Industries) संकट में है। राजस्थान में उत्पादित फेल्सपार, क्वार्टज और माइका जैसे खनिज बड़ी मात्रा में गुजरात, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सहित अन्य राज्यों को सीधे कच्चे रूप में भेजे जा रहे हैं। पहले प्रदेश में कच्चे खनिजों के बाहर जाने पर प्रतिबंध था, जिससे राजस्थान में पाउडर निर्माण उद्योग फल-फूल रहा था और 6 हजार से ज्यादा ग्राइंडिंग यूनिट काम कर रही थीं लेकिन, उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रतिबंध हटाए जाने के बाद यह उद्योग संकट की ओर बढ़ गया है।

हाईकोर्ट द्वारा प्रतिबंध हटाने का  ग्राइंडिंग उद्योग पर असर

हाईकोर्ट द्वारा प्रतिबंध हटाने के बाद अब बाहर के राज्यों को कच्चा माल सीधे मिल रहा है, जिससे स्थानीय ग्राइंडिंग उद्योग प्रभावित हो रहे हैं। उद्योग संघ ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय से सरकार को लैंड टैक्स और अन्य शुल्क लगाने की छूट मिली है, जिसका उपयोग वह खनिजों के बाहर जाने पर अतिरिक्त कर लगाकर कर सकती है। ऐसा करने से स्थानीय यूनिटों को बचाया जा सकता है और उद्योगों को पुनर्जीवित किया जा सकता है। इस संदर्भ में सरकार को कई बार ज्ञापन भी दिए गए हैं।

 

राजस्थान मिनरल उद्योग संघ के प्रदेश अध्यक्ष आशीषपाल पदावत के अनुसार करीब दो साल पहले तक राज्य सरकार ने कच्चे खनिजों के बाहर जाने पर पाबंदी लगाई थी। इसका सकारात्मक प्रभाव यह हुआ कि स्थानीय स्तर पर पाउडर बनाने वाले लगभग 6,000 यूनिटें स्थापित हुईं, जिनसे रोज़ाना लगभग 3 लाख टन खनिज पाउडर का उत्पादन होता था। इसमें से अधिकतर पाउडर गुजरात के मौरवी, उत्तर प्रदेश के खुर्जा, हरियाणा के बहादुरगढ़ जैसे शहरों में भेजा जाता था, जहां टाइल और अन्य संबंधित उद्योग काम कर रहे हैं।

राजस्थान में मिलने वाले प्रमुख खनिज

राजस्थान खनिज संपदा के मामले में भारत का एक प्रमुख राज्य है। यहां लगभग 67 प्रमुख खनिज पाए जाते हैं, जो देश के कुल खनिज उत्पादन में लगभग 22 प्रतिशत हिस्सा डालते हैं। राजस्थान को खनिजों का अजायबघर भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ कई खनिजों का उत्पादन एकाधिकार में है। 

राजस्थान में पाए जाने वाले प्रमुख खनिज

 

जिला प्रमुख खनिज
उदयपुर सीसा, जस्ता, चांदी, तांबा
राजसमंद सीसा, जस्ता
भीलवाड़ा सीसा, जस्ता, चांदी
बीकानेर जिप्सम
नागौर जिप्सम
अजमेर सीसा, जस्ता
सिरोही सीसा, जस्ता
अलवर ग्रेनाइट (संगमरमर), फेल्सपार
भरतपुर मार्बल, चूना पत्थर
चूरू माइका

 

राजस्थान के परंपरागत ग्राइंडिंग उद्योग को संकट में डालने वाले कारण

राजस्थान सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध पहले कच्चे खनिजों को बाहर राज्य भेजने पर लगते थे जिससे यहां के स्थानीय उद्योगों को फायदा मिला। पाउडर बनाने वाले 6,000 से अधिक यूनिट इस प्रतिबंध से समर्थित हुए। लेकिन हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों ने इस पर रोक खत्म कर दी, जिससे अन्य राज्यों के उद्योग सीधे राजस्थान से कच्चा माल मंगाने लगे। इसके कारण स्थानीय ग्राइंडिंग यूनिट के उद्योग गहरे संकट में हैं। उद्योग संघ का कहना है कि राज्य सरकार को अतिरिक्त लॉन्ड टैक्स और शुल्क लगाकर इस समस्या को नियंत्रित करना चाहिए, ताकि क्षेत्रीय रोजगार बनी रहे और उद्योग बंद ना हों।

 

राजस्थान में ग्राइंडिंग उद्योग की समस्याओं के समाधान के सुझाव

  • स्थानीय ग्राइंडिंग उद्योग को बचाने के लिए कच्चे माल के बाहर जाने पर कड़ी रोक लगाई जाए।

  • राज्य सरकार को लैंड टैक्स और अन्य शुल्क अतिरिक्त लगाए जाने चाहिए ताकि कच्चे खनिज बाहर भेजना महंगा हो जाए।

  • उद्योगों को पुनर्जीवित करने के लिए आर्थिक पैकेज और तकनीकी सहायता पर ध्यान दिया जाए।

  • खनिज कच्चे माल की आपूर्ति और मांग के बीच तालमेल कायम किया जाए।

 

राजस्थान के खनिज उद्योग का आर्थिक महत्व

राजस्थान में खनिज उत्पादन न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था बल्कि देश की उद्योग व्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है। राज्य में उत्पादित खनिजों जैसे सीसा, जस्ता, जिप्सम, रॉक फॉस्फेट, संगमरमर, चांदी आदि का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में होता है। यह उद्योग लगभग दो मिलियन श्रमिकों को रोजगार प्रदान करता है। राज्य सरकार निवेश को प्रोत्साहित कर नए उद्योग स्थापित करना चाहती है, लेकिन साथ ही क्षेत्रीय संकट से भी निपटना आवश्यक है।

गुजरात, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में राजस्थान के खनिज पाउडर की मांग

राजस्थान में प्रतिदिन करीब 3 लाख टन खनिज पाउडर का उत्पादन होता था। इसमें से 80 फीसदी से ज्यादा पाउडर गुजरात (Gujarat) के मोरबी (Morbi) भेजा जाता था, जहां देश की सबसे बड़ी टाइल्स इंडस्ट्री (Tiles Industry) है। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के खुर्जा (Khurja), हरियाणा (Haryana) के बहादुरगढ़ (Bahadurgarh) और गुजरात (Gujarat) के बड़ौदा (Vadodara) में भी पाउडर की भारी मांग है।

 

FAQ

1: राजस्थान में ग्राइंडिंग उद्योग के संकट का मुख्य कारण क्या है?
राजस्थान में ग्राइंडिंग उद्योग का संकट मुख्य रूप से कच्चे खनिजों के बाहर राज्य भेजने पर लगी पूर्व रोक हटने के कारण है, जिससे स्थानीय पाउडर उत्पादक यूनिटों को कच्चा माल महंगा या अनुपलब्ध हो रहा है।
2: राजस्थान में कौन-कौन से प्रमुख खनिज पाए जाते हैं?
राजस्थान में सीसा, जस्ता, जिप्सम, रॉक फॉस्फेट, चांदी, संगमरमर, माइका, क्वार्टज, फेल्सपार आदि खनिज प्रमुख रूप से पाए जाते हैं।
3: राज्य सरकार पारंपरिक ग्राइंडिंग उद्योग की समस्या को कैसे हल कर सकती है?
उत्तर: राज्य सरकार कच्चे खनिजों के बाहर जाने पर अतिरिक्त टैक्स और शुल्क लगाकर स्थानीय उद्योगों को बचाने और पुनर्जीवित करने की दृष्ट्रि रख सकती है।
4: राजस्थान का खनिज उत्पादन देश में किस स्थान पर है?
राजस्थान देश के कुल खनिज उत्पादन में लगभग 22 प्रतिशत हिस्सा रखता है और यह कई खनिजों में देश में अग्रणी स्थान पर है।
5. राजस्थान के खनिज पाउडर की मांग कहां है?
राजस्थान में उत्पादित खनिज पाउडर की सबसे अधिक मांग गुजरात (Gujarat) के मोरबी (Morbi), उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के खुर्जा (Khurja), और हरियाणा (Haryana) के बहादुरगढ़ (Bahadurgarh) जैसे क्षेत्रों में है, जहां टाइल्स इंडस्ट्री (Tiles Industry) की भारी मांग है।

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