राजस्थान में नेताजी के कारनामे, विधायक ने भी बेच डाला अवैध 4 लाख टन लाइम स्टोन

राजस्थान में विभिन्न राजनीतिक दलों के कई नेता प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जमकर अवैध खनन कर रहे हैं। खनिज विभाग रोक लगाने की बजाय मामूली जुर्माना लगाकर खानापूर्ति कर रहा है।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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राजस्थान में अवैध खनन का मामला एक बार फिर चर्चा में है, जहां राजनीतिक दलों के कई नेता और जनप्रतिनिधि खुलकर खनन कर रहे हैं। इस बार सबसे बड़ा नाम नागौर जिले के खींवसर से भाजपा विधायक रेवंतराम डांगा का है। उन्होंने अपने पुत्र के नाम पर जमीन खरीदकर वहां से 4 लाख टन पत्थर निकालकर बेच डाले। यह मामला अवैध खनन की गंभीरता को और बढ़ाता है, क्योंकि खनिज विभाग इस पर कोई सख्त कार्रवाई करने की बजाय मामूली जुर्माना लगाकर मामले को रफा-दफा कर देता है।

डांगा ने अवैध 4 लाख टन पत्थर निकाला

भाजपा विधायक रेवंतराम डांगा ने भावंडा क्षेत्र में 2.80 हेक्टेयर जमीन खरीदी और करीब दो साल तक इस भूमि से 4 लाख टन पत्थर निकाला। इस दौरान स्थानीय लोग लगातार शिकायत करते रहे, लेकिन किसी भी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। खनिज विभाग ने इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

जुर्माने से बचने के लिए किया नियमों का उल्लंघन

जब अवैध खनन की शिकायतें बढ़ने लगीं, तो विधायक डांगा ने कानून की नजर से बचने के लिए 9 मई को उक्त जमीन अपने रिश्तेदार के नाम ट्रांसफर कर दी। उन्होंने जमीन को असिंचित बताकर रजिस्ट्री करवाई, जबकि यहां पहले ही खनन हो चुका था। इस कदम से डांगा ने जुर्माने से बचने का प्रयास किया, क्योंकि खनिज विभाग के नियमों के अनुसार, 2 हेक्टेयर भूमि में 30 फीट गहराई तक खनन करने पर 5 लाख टन पत्थर निकलता है, जिससे करीब 60 करोड़ रुपए का जुर्माना तय होता है।

खनिज विभाग की कार्रवाई और जुर्माना प्रक्रिया

खनिज विभाग के नियमों के मुताबिक, खनन किए गए स्थान पर तहसीलदार कार्रवाई करते हैं और खनिज विभाग के पास रिपोर्ट भेजी जाती है। इसके बाद खातेदार को नोटिस दिया जाता है। अगर निर्धारित समय में जुर्माना नहीं भरा जाता, तो संपत्ति कुर्क की जा सकती है, लेकिन इस प्रक्रिया में विभाग की लापरवाही के कारण कई मामले अटके रहते हैं।

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राज्य में अन्य नेताओं द्वारा भी अवैध खनन

रेवंतराम डांगा के अलावा राज्य में कई अन्य नेता भी अवैध खनन में लिप्त हैं। कांग्रेस नेता अरविंद आचार्य ने तांतवास क्षेत्र में अवैध खनन किया, जबकि आप नेता जेतसिंह भेड़ ने खसरा संख्या 163 में खनन किया। इनके खिलाफ खनिज विभाग ने एफआईआर भी दर्ज की है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके अलावा, आरएलपी के नेता रामदेव विश्नोई और कई अन्य स्थानीय नेता भी खनन कर रहे हैं, बावजूद इसके कि इस पर कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया।

अवैध खनन पर प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता

राजस्थान में अवैध खनन के जरिए हो रहे भ्रष्टाचार के बढ़ते मामलों के कारण पर्यावरण और सरकारी खजाने पर भारी असर पड़ रहा है। अवैध खनन के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि इस प्रकार के मामलों में सुधार हो सके। खनिज विभाग और अन्य संबंधित अधिकारियों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए, ताकि राज्य की संपत्ति की रक्षा की जा सके और अवैध गतिविधियों को रोका जा सके।

FAQ

1. राजस्थान में अवैध खनन के मामले क्यों बढ़ रहे हैं?
राजस्थान में अवैध खनन के मामले बढ़ रहे हैं, क्योंकि कई नेता निजी और सरकारी जमीनों पर अवैध रूप से खनन कर रहे हैं। खनिज विभाग की लापरवाही के कारण इस पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है।
2. रेवंतराम डांगा ने खनन के लिए क्या किया था?
रेवंतराम डांगा ने अपने पुत्र के नाम पर जमीन खरीदकर वहां से 4 लाख टन पत्थर निकालकर बेच दिया था। जब मामला उजागर हुआ, तो उन्होंने जमीन का ट्रांसफर रिश्तेदार के नाम कर दिया और जुर्माने से बचने का प्रयास किया।
3. अवैध खनन पर राजस्थान सरकार ने क्या कदम उठाए हैं?
राजस्थान सरकार ने अवैध खनन पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। खनिज विभाग द्वारा मामूली जुर्माना लगाकर मामले को रफा-दफा किया जाता है, जिससे अवैध खनन पर कोई असर नहीं पड़ रहा है।

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