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राजस्थान rajasthan की राजधानी जयपुर के विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) में कार्यरत 200 से अधिक आभूषण निर्माता इस समय अमेरिका (USA) द्वारा निर्यात पर 50% टैरिफ लगाने के कारण समस्याओं का सामना कर रहे हैं। यह कदम विशेष रूप से आभूषण निर्माताओं के लिए बड़ा संकट उत्पन्न कर रहा है, क्योंकि इन इकाइयों की लगभग पूरी गतिविधि निर्यात पर निर्भर करती है। यूएस राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने इंडिया पर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इससे निर्यात को झटका लगना ही था। 50% टैरिफ विवाद बड़े संकट का कारण बन गया है।
विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) पर निर्भर निर्यातक
सेज में जो इकाइयां होती हैं, वे घरेलू बाजार में अपनी वस्तुएं नहीं बेच सकतीं। वे उनका निर्यात ही कर सकती हैं। जयपुर के सेज की अधिकांश कंपनियां अपने उत्पादों का अमेरिका में निर्यात करती हैं। अब उच्च टैरिफ के कारण अमेरिका में निर्यात मुश्किल हो गया है।
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कम कर्मचारियों की संख्या और छंटनी का खतरा
अगर यह संकट जारी रहा तो सेज की इकाइयों में कार्यरत कर्मचारियों की संख्या कम की जा सकती है। क्रिसमस के ऑर्डर तो सितंबर के अंत तक पूरे हो जाते हैं, लेकिन निर्यात के नए सौदे रुक गए हैं। जयपुर से आभूषण निर्यात अमेरिका में ज्यादा हेाता है। इसलिए टैरिफ का जयपुर के सेज पर असर होगा।
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आंकड़े और स्थिति
कर्मचारी संख्या : लगभग 35,000 कर्मचारी जयपुर के SEZ में कार्यरत हैं।
संकट : उच्च अमेरिकी टैरिफ और नई ऑर्डर की रुकावट।
आशंका : यदि समस्या हल नहीं हुई, तो कर्मचारियों की संख्या में कमी हो सकती है।
रत्न एवं आभूषण निर्यात परिषद की प्रतिक्रिया
रत्न एवं आभूषण निर्यात परिषद के पूर्व अध्यक्ष राजीव जैन ने कहा, सभी को उम्मीद है कि यह गतिरोध जल्द सुलझेगा। लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है, तो सेज में चल रही इकाइयों के लिए को बहुत मुश्किल होगी। सेज में काम कर रही औद्योगिक इकाइयों पर सोने पर आयात शुल्क नहीं लगता। अगर सरकार उन्हें घरेलू बाज़ार में केवल आभूषणों में इस्तेमाल होने वाले सोने पर आयात शुल्क लगाकर आपूर्ति करने की अनुमति दे, न कि आभूषणों की पूरी कीमत पर, तो कुछ राहत मिल सकती है।
गैर-SEZ इकाइयों के लिए बचने का मौका
जैन ने यह भी बताया कि सामान्य औद्योगिक क्षेत्रों में काम करने वाले और निर्यात करने वाले निर्माताओं के पास घरेलू बाजार (Domestic Market) में कदम रखने का विकल्प है, लेकिन SEZ इकाइयों के पास यह अवसर नहीं है। SEZ में स्थित इकाइयाँ केवल निर्यात पर निर्भर होती हैं और उनके लिए यह स्थिति बहुत कठिन हो सकती है।
सरकारी हस्तक्षेप की उम्मीद
सरकार (Government) यदि चाहती है तो नकारात्मक परिदृश्य में हस्तक्षेप करके स्थिति को संभाल सकती है। वर्तमान में, कर्मचारियों की संख्या में कमी की बात नहीं की जा रही है, लेकिन यदि टैरिफ का समाधान जल्द नहीं हुआ, तो यह एक कठिन स्थिति हो सकती है।
उत्पादन की भरपाई और भविष्य की योजनाएं
इस समस्या का समाधान जल्दी होने की उम्मीद है, लेकिन निर्माताओं को चिंता है कि अगस्त में उत्पादन (Production) में हुए नुकसान की भरपाई के लिए अतिरिक्त शिफ्टों (Shifts) का सहारा लिया जा सकता है। इसके बाद नुकसान (Loss) से बच पाना मुश्किल होगा।
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