बाबा श्याम के भक्तों के लिए बड़ी खबर, खाटूश्याम मंदिर में आज और कल कपाट बंद

राजस्थान में खाटूश्याम मंदिर में 25 जुलाई को तिलक शृंगार की प्रक्रिया शुरू होगी, जिसके चलते मंदिर के कपाट 26 जुलाई की शाम 5 बजे संध्या आरती तक अस्थायी रूप से बंद होंगे।

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Nitin Kumar Bhal
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Khatu Shyam

Photograph: (The Sootr)

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खाटूश्याम मंदिर (Khatu Syam) राजस्थान (Rajasthan) समेत देश-विदेश में श्रद्धा और भक्ति का प्रमुख केंद्र है। मंदिर में इस समय परंपरागत तिलक शृंगार की प्रक्रिया चल रही है। 25 जुलाई 2025 की रात 10 बजे शयन आरती के बाद मंदिर के कपाट अस्थायी रूप से बंद कर दिए जाएंगे। यह बंदी प्रक्रिया 26 जुलाई की शाम 5 बजे संध्या आरती के साथ समाप्त होगी। इस दौरान मंदिर में आम श्रद्धालुओं के दर्शन पर अस्थायी रोक रहेगी। यह पूरी प्रक्रिया हर वर्ष की तरह नियमित रूप से होती है, जिसमें बाबा श्याम को पंचद्रव्यों से स्नान कराकर विशेष शृंगार किया जाता है।

कब बंद होंगे खाटू श्याम के कपाट?

श्री श्याम मंदिर कमेटी ने भक्तों से अपील की है कि वे तिलक शृंगार की प्रक्रिया के समय को ध्यान में रखते हुए मंदिर आने की योजना बनाएं। इस विशेष अनुष्ठान में लगभग 8 से 12 घंटे का समय लगता है। कमेटी के मंत्री मानवेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि यह कदम परंपराओं और पूजा विधि को ठीक से निभाने के लिए लिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि भ्रम की कोई स्थिति न बने, इसके लिए पहले से सूचना दी जा रही है। भक्तों को सलाह दी गई है कि वे मंदिर तभी आएं जब कपाट फिर से खोल दिए जाएं।

खाटूश्याम को हारे का सहारा क्यों कहते हैं?

खाटूश्याम बाबा (खाटू वाले श्याम बाबा) को 'हारे के सहारे' और कलियुग के देवता के रूप में पूजा जाता है। उनकी महिमा महाभारत काल से जुड़ी हुई है, जब भीम के पौत्र बर्बरीक ने युद्ध में भाग लेने से पहले भगवान श्री कृष्ण को अपना शीश दान किया था। इस महान बलिदान से प्रसन्न होकर श्री कृष्ण ने आशीर्वाद दिया कि वे कलियुग में श्याम के नाम से पूजे जाएंगे और भक्तों की हर कठिनाई में सहारा बनेंगे। आज भी लाखों श्रद्धालु बाबा श्याम के दरबार में अपनी आस्था और विश्वास लेकर पहुंचते हैं।

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कपाट खुलने पर ही जाएं मंदिर

मंदिर कमेटी ने सभी भक्तों से आग्रह किया है कि वे इस परंपरा का सम्मान करें और दर्शन के लिए मंदिर तभी आएं जब कपाट पुनः खुल चुके हों। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी भक्तों को पूरी श्रद्धा और सम्मान के साथ दर्शन का अवसर मिले। भक्तों के विश्वास और आस्था का यह समय उनके और भगवान के बीच के रिश्ते को और मजबूत करता है।

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खाटू श्याम जी के बारे में जानें ...

  • खाटू श्याम जी की कहानी महाभारत काल से जुड़ी है।
  • वे भीम के पोते और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक थे।
  • बर्बरीक ने भगवान कृष्ण को अपना सिर दान कर दिया था, जिसके बाद उन्हें 'श्याम' नाम मिला और उन्हें कलियुग में भगवान कृष्ण का अवतार माना गया।
  • बर्बरीक बचपन से ही वीर और महान योद्धा थे।
  • उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करके उनसे तीन अभेद्य बाण प्राप्त किए थे। जिसके कारण उन्हें "तीन बाण धारी" भी कहा जाता है।
  • जब महाभारत का युद्ध होने वाला था, तब बर्बरीक ने भी युद्ध में भाग लेने का निर्णय लिया।
  • उन्होंने अपनी माता से आशीर्वाद लिया और उन्हें वचन दिया कि वे हारे हुए पक्ष का साथ देंगे।
  • युद्ध में जाते समय बर्बरीक को रास्ते में भगवान कृष्ण मिले, जो ब्राह्मण के रूप में उनका परीक्षण कर रहे थे।
  • भगवान कृष्ण ने बर्बरीक से दान में उनका सिर मांगा।
  • बर्बरीक ने अपना वचन निभाते हुए अपना सिर काटकर भगवान कृष्ण को दान कर दिया।
  • बर्बरीक के इस महान बलिदान से प्रसन्न होकर भगवान कृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि कलियुग में उनकी पूजा श्याम नाम से की जाएगी और वे "हारे का सहारा" बनेंगे।
  • मान्यता है कि बर्बरीक का सिर खाटू नगर (सीकर, राजस्थान) में प्रकट हुआ, जहां बाद में खाटू श्याम मंदिर का निर्माण हुआ।

 

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FAQ

1. खाटूश्याम मंदिर में तिलक शृंगार कब किया जाएगा?
तिलक शृंगार की प्रक्रिया 25 जुलाई की रात 10 बजे शुरू होगी और 26 जुलाई की शाम 5 बजे संध्या आरती के साथ समाप्त होगी।
2. तिलक शृंगार की प्रक्रिया के दौरान मंदिर के कपाट क्यों बंद किए जाते हैं?
मंदिर के कपाट तिलक शृंगार की प्रक्रिया के कारण अस्थायी रूप से बंद किए जाते हैं ताकि विशेष शृंगार विधि को सही तरीके से पूरा किया जा सके।
3. क्या भक्तों को तिलक शृंगार की प्रक्रिया के दौरान दर्शन का मौका मिलेगा?
नहीं, इस दौरान दर्शन पर अस्थायी रोक रहेगी। भक्तों से अपील की गई है कि वे मंदिर तब आएं जब कपाट पुनः खोले जाएं।

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